गोरखपुर. दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की अद्यतन संशोधित परिनियमावली आज तैयार हो गई। परिनियमावली तैयार करने के लिए गठित समिति के संयोजक प्रति कुलपति प्रो हरिशरण ने समिति के सदस्यों के साथ आज संशोधित परिनियमावली का प्रारूप कुलपति प्रोफ़ेसर विजय कृष्ण सिंह के समक्ष प्रस्तुत कर दिया।
आखिरी बार वर्ष1995 में विश्वविद्यालय की परिनियमावली का प्रकाशन हुआ था। पिछले ढाई दशकों में नियमों में लगातार संशोधन होते रहे ।नए नियम आते रहे ।और समय-समय पर नियुक्ति प्रोन्नति की नई नियमावली भी आती रही लेकिन इन सब का संकलित स्वरूप प्रकाशित नहीं हो पा रहा था। हालांकि विश्वविद्यालय ने इन ढाई दशकों में इस कार्य के लिए अनेक समितियों का गठन किया था और उन्हें परिनियमावली को अद्यतन बनाने का कार्य सौंपा था लेकिन किसी न किसी वजह से यह कार्य लगातार लंबित रहा।
परिनियमावली के अद्यतन स्वरूप के उपलब्ध न होने से कई बार महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं और निर्णयों में विलंब, संशय और अनिश्चितता जैसी स्थिति भी बनती थी ।पिछले दिनों जब विश्वविद्यालय ने नैक मूल्यांकन कराने का निश्चय किया तो आवश्यक औपचारिकताएं पूरा करते हुए एक बार फिर यह मुद्दा विश्वविद्यालय प्रशासन के समक्ष आया । नियमतः किसी भी विश्वविद्यालय की अद्यतन परिनियमावली उसकी वेबसाइट और प्रकाशित स्वरूप में उपलब्ध होनी चाहिए।
इस बात के मद्देनजर कुलपति प्रो विजय कृष्ण सिंह ने प्रति कुलपति प्रो हरि शरण , रक्षा अध्ययन के प्रो हर्ष कुमार सिन्हा, विधि संकाय के प्रो अहमद नसीम तथा कुलसचिव की एक समिति गत दिसंबर माह में गठित की ।
समिति से इसे जल्दी से जल्दी पूरा करने के लिए कहा गया ताकि विश्वविद्यालय नैक मूल्यांकन की औपचारिकताएं समय से पूरी कर सके ।समिति के सदस्यों ने लगातार बैठकें करते हुए 40 दिन के भीतर यह कार्य पूरा कर लिया।समिति के संयोजक प्रो हरि शरण ने समिति के सदस्यों के , इसे तैयार करने में विशेष सहयोग करने वाले विश्वविद्यालय के पूर्व प्रशासनिक अधिकारी राम रूप तथा विवि के विभिन्न अनुभागों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि यह प्रारूप अनुमोदन और आवश्यक कार्यवाही के लिए कुलपति जी के समक्ष प्रस्तुत कर दिया गया है।
कुलपति प्रो विजय कृष्ण सिंह ने कहा कि प्रतिकुलपति के संयोजकत्व वाली समिति ने 25 वर्षों से लंबित कार्य को रिकार्ड समय में पूरा किया है। इसके लिए में उन्हें तथा समिति के सभी सदस्यों को बधाई देता हूँ। अद्यतन परिनियमावली उपलब्ध होने से प्रशासनिक निर्णयों में और पारदर्शिता आएगी।
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