स्वास्थ्य

नाइट ब्लड सर्वे : दो शहरी और छह ग्रामीण इलाकों में की गई माइक्रोफाइलेरिया की खोज

गोरखपुर. जनपद के दो शहरी और छह ग्रामीण इलाकों में चार रातों में 4156 से अधिक लोगों के बीच फाइलेरिया के वाहक माइक्रोफाइलेरिया की खोज की गई। इसके लिए 28 जनवरी से 31 जनवरी तक रात 8.30 से 11.00 बजे तक नाइट ब्लड सर्वे किया गया।

जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. एके पांडेय ने शुक्रवार की देर रात तक कैंपियरगंज क्षेत्र के महावनखोर गांव और जंगल कौड़िया क्षेत्र के रायपुर गांव में सर्वे का निरीक्षण किया।

उन्होंने बताया कि सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी के निर्देश पर प्रत्येक साइट के सर्वे में मलेरिया विभाग की टीम लगाई गई थी। इस सर्वे के अलावा कोई भी व्यक्ति कभी भी शहर के लालकोठी स्थित फाइलेरिया नाइट क्लिनिक से रात में माइक्रोफाइलेरिया की जांच करवा सकता है।

जिला मलेरिया अधिकारी सबसे पहले जंगल कौड़िया के रायपुर गांव पहुंचे जहां लैब टेक्नीशियन (एलटी) नवीन श्रीवास्तव मलेरिया निरीछक आस्तिक पाण्डेय , तबरेज के साथ एचएस प्रदीप, बीएचडब्लू शुभम, प्रशांत, आशा कार्यकर्ता सविता, चंद्रकला और पुष्पा नाइट ब्लड सर्वे करते मिले। उन्होंने 60 वर्षीया सोनमती से जांच के बारे में पूछा तो उनका कहना था कि पहली बार गांव में इस प्रकार की जांच हो रही है। सातवीं में पढ़ने वाली काजल ने बताया कि आशा दीदी ने उन्हें जांच के लिए बुलाया है। जांच टीम ने बताया कि कुल लाभार्थियों में 70 फीसदी महिलाएं और बच्चे ही सर्वे में ज्यादा भाग ले रहे हैं।

कैंपियरगंज के महावनखोर में रात 10 बजे सीएचसी के अधीक्षक डॉ. भगवान प्रसाद, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी मनोरंजन सिंह, मलेरिया इंस्पेक्टर रमेश कुमार की देखरेख में एलटी रामधनी, बीएचडब्लू मनोज, नदीम, विष्णु, सहयोगी महेंद्र, राजाराम, आशा संगिनी गीता, आशा कार्यकर्ता संध्या, सावित्री, रेखा, माधुरी सर्वे कर रहे थे।

जिला मलेरिया अधिकारी ने मौजूद लाभार्थियों को फाइलेरिया के बारे में जानकारी दी और जांच का महत्व बताया। 38 वर्षीय रामप्रकाश ने बताया कि उनके गांव में पहली बार यह जांच हो रही है। उन्हें आशा कार्यकर्ता ने इस जांच की जानकारी दी।

एक फीसदी से ज्यादा का परिणाम चिंताजनक

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि जिन लोगों के बीच सर्वे किया गया है, अगर उनमें 1 फीसदी से ज्यादा लोगों में माइक्रोफाइलेरिया पाए जाते हैं तो यह चिंताजनक होगा। ऐसी स्थिति में फाइलेरिया अभियान को और गंभीरता से चलाया जाता है। अगले वर्ष के अभियान की प्लानिंग में यह सर्वे अहम भूमिका निभाता है।

रात में एक्टिव होते हैं माइक्रोफाइलेरिया

फाइलेरिया के वाहक माक्रोफाइलेरिया रात में ही सक्रिय होते हैं। यही वजह है कि स्लाइड रात में बनाई जाती है। जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि रात में लैसेंड के जरिए रक्त निकाल कर स्लाइड बनाई जाती है। स्लाइड को सूखने के बाद 24 घंटे के भीतर स्टेन करा कर माइक्रोस्कोप से जांच की जाती है जिससे बीमारी का पता चलता है। सर्वे में जिन लोगों में माइक्रोफाइलेरिया पाए जाएंगे उन्हें 12 दिन की दवा चलेगी। प्रत्येक स्लाइड पर संबंधित व्यक्ति का स्लाइड नंबर रहता है जिससे फाइलेरिया पीड़ित व्यक्ति का पता चल जाता है।

17 फरवरी से चलेगा अभियान

सीएमओ ने बताया कि जिले के सहजनवां स्थित महुंआपार, कैंपियरगंज के महावनखोर, गगहा स्थित देवकली, लखेड़ी, नगवा, ठठेली और शहर के झरना टोला के विशुनपुरवा, जीतपुर, दरगहिया सर्वे के दृष्टी से संवेदनशील इलाकों के तौर पर चिन्हित थे। पिपरौली के भिटी खोरिया, जंगल कौड़िया के रायपुर, खोराबार के गहिरा और नथमलपुर के मिर्जापुर पचपेड़वा का सर्वे के लिये रैंडम चयन किया गया था। शीघ्र ही सर्वे के परिणाम भी आ जाएंगे। उन्होंने बताया कि जिले में 02 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलायें व गंभीर रूप से बीमार लोगों को छोड़ कर सभी लोगों को 17 फरवरी से 29 फरवरी के बीच आशा कार्यकर्ता उनके घर पहुंच कर फाइलेरिया रोधी दवा खिलाएंगी।