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सामाजिक कार्यकर्ता जितेन्द्र चतुर्वेदी को मिला नोबल सिटीजन अवार्ड

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के निवासी, सामाजिक कार्यकर्ता और स्वैच्छिक संगठन- डेवलपमेंटल एसोशिएशन फार ह्यूमन एडवांसमेंट-देहात के संस्थापक जितेन्द्र चतुर्वेदी को कांस्टीट्यूशन क्लब, नयी दिल्ली में “नोबल सिटीजन अवार्ड-2020” से सम्मानित किया गया.

यह सम्मान उन्हें आदिवासी-वनवासी समुदायों के उत्थान, मानव तस्करी के विरुद्ध अभियान और बच्चों के संरक्षण हेतु उनके विगत दो दशक से लगातार किए जा रहे प्रयासों के लिए दिया गया.

जितेन्द्र चतुर्वेदी ने जहां एक ओर भारत की नागरिकता से वंचित हजारों वनवासियों के मूलभूत अधिकारों के संघर्ष कर उन्हें एक अधिकार संपन्न जीवन देने में अहम भूमिका निभाई वहीं भारत नेपाल सीमा पर मानव तस्करों के विरुद्ध विगत एक दशक से युद्ध लड़ कर अब तक 568 महिलाओं-लड़कियों को मानव तस्करों से मुक्त कराकर 32 मानव तस्करों को सलाखों के पीछे पहुंचाया है. उनकी संस्था को 1868 खोये हुए बच्चों को वापस उनकी मां की गोद में पहुंचाने की उपलब्धि भी दर्ज है.

उत्तर प्रदेश से जितेन्द्र चतुर्वेदी अकेले सामाजिक कार्यकर्ता हैं जिन्हें इस सम्मान से सम्मानित किया गया है.

यह सम्मान नेपाल राष्ट्र के सामाजिक न्याय मंत्री जीवन घिमिरे व मेजर जनरल विक्रम डोगरा द्वारा नोबल सिटीजन फाउंडेशन व प्रोजेक्ट-100 की ओर से प्रदान किया गया.

भारत से सम्मानित अन्य हस्तियों में पद्मश्री कल्पना सरोज, कैसर खालिद-पुलिस कमिश्नर (मुंबई पुलिस), अनिल मिश्रा-आईआरएस (इंकम टैक्स कमिश्नर) आदि शामिल रहे.

इनके अतिरिक्त स्विट्जरलैंड की ऐना बरचेटी, भूटान के डा0 रिनचेन चोफेल (महानिदेशक-साईवाक) व लेकी त्सेरिंग, मारीशस से नन्दिनी तान्या व चेल्विन रामास्वामी, श्रीलंका से चेतिया कोवाथा व तुवम हारून, मालदीव से अली नाशीन, दक्षिण अफ्रीका के घाना से निकोलस क्वामे और नेपाल के सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी यह सम्मान दिया गया.

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