नगर विधायक डा. राधा मोहन दास अग्रवाल की शिकायत जाँच में प्रथम दृष्टया सही मिली, जल निगम के प्रबंध निदेशक विकास गोठनवाल इंजीनियरों के खिलाफ कार्यवाही की जानकारी नगर विधायक को दी
गोरखपुर. गोरखपुर में अण्डरग्राऊन्ड जलापूर्ति में घटिया और फटी हुई पाईप डालने तथा सीवर लाईन डालने में हुई लापरवाही के आरोप को प्रथम दृष्टया सही पाये जाने के बाद अधिशासी अभियंता से लेकर अवर अभियंता स्तर तक के 21 कार्यरत अभियंताओं तथा 9 सेवानिवृत अभियंताओं के विरूद्ध कार्यवाही शुरू कर दी गयी है.
यह जानकारी जल निगम के प्रबंध निदेशक विकास गोठनवाल ने आज नगर विधायक डा राधा मोहन दास अग्रवाल को फोन करके दी.
डॉ अग्रवाल ने बताया कि देवरिया रोड पर बन रहे नाले की गलत डिजाईन के आरोप को प्रथम दृष्टया सही मानते हुए वाराणसी के जलनिगम के मुख्य अभियंता की अध्यक्षता में एक अन्वेषण दल का गठन कर दिया गया है । जांच दल के निर्णय को फाईनल माना जायेगा।
प्रबन्ध निदेशक ने डा अग्रवाल को बताया कि आजादनगर पंचपेडवा में घटिया स्तर की फटी हुई अधोमानक पाईप डालने का उनका आरोप शासन के स्तर पर सही पाया गया है और कार्यरत अधिशासी अभियंता विक्रम सिंह , सहायक अभियंता आदर्श वर्मा ,सुदेश कुमार ,राजेश विश्वकर्मा ,आनन्द मिश्र ,इन्द्रसेन, एन के श्रीवास्तव ,एम एन मौर्या व श्रीराम गुप्ता तथा अवर अभियंता डीएन यादव ,अभिषेक चौबे ,उपहार गुप्ता ,एसके चौधरी ,एनडी सिंह ,जगवन्दन ,नन्दू प्रसाद ,तथा मेराज अली के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी.
इसके अलावा अधिशासी अभियंता सूरज लाल एवं एसपी द्विवेदी ,सहायक अभियंता मो रफी खान ,दर्शन प्रसाद,परमजीत सिंह ,एके सिंह तथा सुभाष चन्द्र पाण्डेय और जूनियर इंजीनियर आरएन त्रिपाठी जो कि सेवानिवृत्त हो चुके हैं, के खिलाफ भी कार्यवाही शुरू कर दी गई है. सेवानिवृत्त अभियंताओं के विरूद्ध कार्यवाही के लिये जल निगम बोर्ड से अनुमति लेनी होती है. बोर्ड ने कार्यवाही की अनुमति दे दी है.
प्रबन्ध निदेशक ने गोरखपुर के मुख्य अभियंता को निर्देशित किया गया है कि गोरखपुर में जमीन में डाले गये सारी भूमिगत पाईप की प्रेशर-तकनीकि से जांच करके मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी जाये कि उनमें 6 बार का दबाव सहने की क्षमता है या नहीं ? जब तक जांच नहीं हो जायेगी ,ठेकेदारों को भुगतान नही होगा और उन्हें खराब पाईप नये सिरे से बदलनी होगी।
प्रबन्ध निदेशक ने डा अग्रवाल को बताया कि शासन स्तर पर , नन्दानगर,दरगहिया,झरनाटोला से लेकर मालवीयनगर होते हुए महादेवपुरम तक सीवर लाईन डालने के काम में अभियंताओं के ऊपर गैर-जिम्मेदारी,लापरवाही,गलत नियोजन तथा खराब सुपरवीजन का आरोप प्रथम दृष्टया सही पाये गये हैं और परियोजना प्रबंधक रतनसेन सिंह ,सहायक अभियंता एनके श्रीवास्तव तथा पंकज एवं अवर अभियंता सुजीत चौरसिया के विरूद्ध कार्यवाही प्रचलित की जा रही है।
विकास गोठनवाल ने नगर विधायक को बताया कि अधिशासी अभियंता स्तर के अभियंताओं पर वह स्वय कार्यवाही करते हैं और कार्यरत दोनों अधिशासी अभियंता विक्रम सिंह और रतनसेन सिंह को चार्जशीट जारी कर दिये हैं ।सहायक एवं अवर अभियंता स्तर तक के अभियंताओं पर अधीनस्थ अधिकारी चार्चशीट जारी करते हैं,उन्हें इसके लिए निर्देशित किया जा चुका है।
इसके अतिरिक्त गोरखपुर ईकाई को यह निर्देश पहले ही दिया जा चुका है कि पुराने खोदे गये क्षेत्रों की सडकों को पहले जैसे अच्छी बनाये बिना किसी नये क्षेत्र में सीवर लाईन डालने के लिए खोदाई नहीं की जायेगी ।नगर विधायक की इस आपत्ति पर कि ठेकेदार बहुत घटिया स्तर की सड़क बना रहे हैं,प्रबंध निदेशक ने डा अग्रवाल को बताया कि मुख्यालय स्तर से इसके लिए एक कमेटी का गठन कर दिया गया है जो गोरखपुर जाकर उनके साथ ही गुणवत्ता पर नियंत्रण करेगा ।
प्रबन्ध निदेशक ने बताया कि शासन ने उनका यह आरोप भी प्रथम दृष्टया मान लिया है कि देवरिया रोड पर बन रहे नाले की डिजाईन शायद गलत हो सकती है।नाले की डिजाईनिंग करते समय इस तथ्य को ध्यान में रखना चाहिए था कि राप्ती नदी और तुर्रा नाले में 1998 तथा 2001 की बाढ़ दुबारा आ सकती है ,इसलिए नाले का बेस-लेवेल तुर्रा नाले के एचएफएल ( बाढ़ में अधिकतम जलस्तर ) से ऊंचा होना चाहिए था।इसका समाधान किया जाना जरूरी है।
इस बात की भी जांच होगी कि नाले में जिन मोहल्लों से जलनिकासी होगी क्या उनका लेवेल स्वीकृत और निर्माणाधीन नाले के बेस-लेवेल से ऊंचा है अथवा नहीं ? साथ ही इस आरोप की जांच आवश्यक है कि जब बसुन्धरा मोड ( नाला शुरू होने की जगह ) से गुरूंग तिराहे का सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की दूरी सिर्फ 1 किमी थी और 3 करोड में नाला बन सकता था तो क्यों 16 करोड की लागत के 6 किमी लम्बे नाले की डिजाईन बनाई गई और क्या अब इस नाले को एसटीपी से जोड़ा जा सकता है ? प्रबंध निदेशक विकास गोठनवाल ने बताया कि वाराणसी जल निगम के मुख्य अभियंता की अध्यक्षता में एक अन्वेषण दल गठित कर दिया गया है,जिसमें आई आई टी के एक प्रोफेसर को एक्सपर्ट ओपीनियन के लिए रखा गया है।