मेरे पति डॉ कफील खान की रिहाई रोकी गयी : डॉ शाबिस्ता खान

गोरखपुर। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत मथुरा की जेल में बंद डॉ कफील खान की पत्नी डॉक्टर शबिस्ता खान ने आरोप लगाया है कि कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुपालन में रिहा किए जा रहे बंदियों की सूची में डॉ कफील खान का भी नाम था लेकिन लखनऊ से आए एक फोन के बाद उनकी रिहाई रोक दी गई.  उन्होंने उच्च न्यायालय से इस मामले को संज्ञान में लेकर डॉ कफील खान को रिहा करने की प्रार्थना की है.

आज शाम डॉक्टर शबिस्ता खान ने एक वीडियो जारी कर कहा कि उनके पति ने आज उन्हें जेल के पीसीओ से अपरान्ह 3:16 बजे फोन कर बताया कि  उनकी रिहाई रोक दी गई है जबकि रिहा होने वाले बंदियों में उनका भी नाम था. उन्हें  23 मार्च के बाद मथुरा जेल से रिहा किया जाना था. रिहाई वाले बंदियों की सूची में उनका नाम भी शामिल था और यह सूची शासन को गयी थी. शनिवार की सुबह उनकी रिहाई का आर्डर भी आ गया कि शाम को रिहा किया जायेगा लेकिन शाम को लखनऊ से किसी अधिकारी का फ़ोन आने पर उनकी रिहाई रोक दी गई.

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उत्तर प्रदेश सरकार ने बीआरडी मेडिकल कालेज के निलम्बित प्रवक्ता डा. कफील खान को 29 जनवरी को रात 11 बजे मुम्बई में गिरफ्तार किया था. उनकी गिरफ्तारी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में सीएए-एनआरसी के विरोध में हुई सभा के दौरान धार्मिक भावनाएं भड़काने वाला भाषण देने के आरोप में की गई थी. इस केस में जमानत मिलने के बाद भी उन्हें रिहा नहीं किया गया और उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून में निरुद्ध कर दिया गया.

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि जेलों में कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए विचाराधीन व दोषसिद्ध कैदियों को अंतरिम जमानत या पेरोल पर रिहा किया किया जाए. इस आदेश के आलोक में उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद 11,000 बंदियों को 8 हफ्ते के लिए रिहा करने का निर्णय लिया गया है.
जिन 11,000 बंदियों को रिहा किया जाना है उनमें 8500 विचाराधीन और 2500 दोषसिद्ध बंदी शामिल हैं. दोषसिद्ध बंदियों में अधिकतर उम्रदराज बंदियों को चिन्हित किया गया है. शुक्रवार को कई जेलों से बंदियों को रिहा भी किया गया.  गोरखपुर मंडलीय कारागार से शुक्रवार को 94 बंदियों को रिहा किया गया.