महराजगंज. नेपाल से आ रही भारतीय श्रमिक की गर्भवती पत्नी ने 30 मई को भारत-नेपाल बार्डर के नो मैंस लैंड पर बच्चे को जन्म दिया. बच्चे के जन्म के बाद महिला को एम्बुलेंस से नौतनवा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ले जाया गया.
बार्डर पर जन्म होने के कारण माता-पिता ने बच्चे का नाम बार्डर रखा है हालांकि बच्चे का नाम बार्डर रखे जाने के बारे में बच्चे के माता-पिता से अभी पुष्टि नहीं हो पायी है लेकिन स्थानीय अखबारों में इस बारे में खबर छपी है.
कोविड-19 लाॅकडाउन के बीच भारत में फंसे नेपाली नागरिकों और नेपाल में फंसे भारतीय नागरिकों का सैकड़ों की संख्या में रोज आना-जाना हो रहा है. इसमें अधिकतर श्रमिक हैं. पहले दोनों देशों के नागरिकों को बार्डर पर रोक कर क्वारंटीन किया जाता था लेकिन अब उन्हें आने-जाने दिया जा रहा है. अपने -अपने देश की सीमा में पहुँचने के बाद अपने देश के नियमों के अनुसार उनका स्वास्थ्य परीक्षण व क्वारंटीन हो रहा है.
नेपाल के नवल परासी जिले में ईंट भट्ठा पर मजदूरी करने वाले लाला राम अपनी गर्भवती पत्नी जामतारा के साथ 30 मई को सुबह नेपाल बार्डर पर बेलहिया पहुंचे. वह नेपाल की तरफ से बढ़ते हुए नो मैंस लैंड पर पहुंचे ही थे कि जामतारा को प्रसव पीड़ा शुरू हो गयी. मौके पर मौजूद कुछ महिलाओं ने तत्काल साड़ी, चादर आदि से जामतारा के चारो तरफ घेरा बना दिया और प्रसव करने में मदद की. खुले आसमान तले नो मैंस लैंड पर जामतारा ने बच्चे को जन्म दिया. नो मैंस लैंड दोनों देश की सीमा के बीच दस गज की पट्टी को कहा जाता है.
लाला राम बहराइच जिले के छाला पृथ्वीपुरवा के रहने वाले हैं.