देवरिया। दस्तक अभियान में आशा कार्यकर्ताओं द्वारा कालाजार के एक्टिव केस डिटेक्शन (एसीडी) अभियान में मिले संभावित मरीजों की स्क्रीनिंग बनकटा ब्लॉक के रहीमपुर गांव में गुरुवार को कैम्प लगाकर की गई। कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए 54 मरीजों की आरके-39 से कालाजार की जांच की गई। जिसमे एक पिकेडीएल (चर्म रोग संबंधित कालाजार) मरीज मिला। कालाजार के संभावित मरीजों के स्क्रीनिंग के लिए अबतक जिले में तीन कैम्प आयोजित हो चुके हैं, जिसमे 150 लोगों की जाँच की गई। अबतक 4 पिकेडीएल और एक कालाजार के मरीज मिले हैं।
कैम्प के दौरान मौके पर निरीक्षण करने पहुंचे सीएमओ डॉ आलोक कुमार पांडेय ने कहा कालाजार से पीड़ित मरीजों की पहचान के लिए स्वास्थ्य विभाग कालाजार अभियान चला रहा है। खोज-खोज कर कालाजार पर वार किया जा रहा है। खास कर प्रभावित इलाकों में स्वास्थ्य कर्मियों की टीम जाकर बुखार से पीड़ित मरीजों के लक्षण के आधार पर कालाजार की जांच कर रहे हैं और जांच में अगर मरीज पॉजिटिव पाया गया जो उन्हें तत्काल सदर अस्पताल लाकर इलाज शुरू कर दिया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि में इस तरह के छह कैम्प आयोजित किये जाने हैं अब तक जिले के मिश्रोली, हाटा और रहीमपुर में कालाजार मरीजों की जाँच के लिए कैम्प आयोजित हो चुके है।उन्होंने बताया कि कालाजार उन्मूलन में बीमारी की समय से पहचान और अतिशीघ्र इलाज का अहम योगदान होता है। समय से इलाज न मिलने पर अधिकांश मामलों में मृत्यु का खतरा रहता है। अगर किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से अधिक समय से बुखार आ रहा हो, पेट में सूजन हो, वजन कम हो रहा हो और भूख में कमी जैसे लक्षण हैं तो वह कालाजार का संभावित मरीज हो सकता है। ऐसे संभावित मरीजों को सीएचसी-पीएचसी और जिला अस्पताल भेज कर आरके-39 जांच करवानी है। जांच में कालाजार की पुष्टि होने पर 48 घंटे के भीतर इलाज शुरू कर देना है। चर्म रोग संबंधित कालाजार मरीजों में केस हिस्ट्री पर भी नजर रखनी है।
शिविर में एमओआईसी डॉ. मनीष सिंह, वीबीडी परामर्शदाता डॉ. एसके पांडेय, पाथ के डीटीओ डॉ पंकज सहित मलेरिया इन्स्पेक्टर, हेल्थ इन्स्पेक्टर और आशा कार्यकर्ता मौजूद रहीं।
वीबीडी परामर्शदाता ने बताया कालाजार सैंड (बालू) मक्खी से फैलने वाली बीमारी है । यह मक्खी नमी वाले स्थानों व अंधेरे में पायी जाती है। यह मक्खी तीन से छह फुट तक उड़ पाती है। इस मक्खी के काटने से व्यक्ति बीमार हो जाता है। उसे रूक-रूक कर बुखार चढ़ता उतरता है। इस बीमारी से मरीज का पेट फूल जाता है। भूख कम लगती है। शरीर काला पड़ जाता है। लक्षण दिखने पर मरीज को तत्काल चिकित्सक को दिखाना चाहिए।