गोरखपुर। ‘ हम तुम्हें बद्दुआ नहीं देंगे ‘ की रचनाकार, शिक्षिका एवं कवयित्री श्रीमती नुसरत अतीक़ ‘गोरखपुरी’ की ग़ज़ल संग्रह, ‘‘ एहसास की अमरबेल” का लोकार्पण रविवार को होटल प्रगति इन ( विजय चौक,) के हाॅल में दिन में प्रख्यात चिकित्सक डा. अज़ीज़ अहमद, पूर्व महापौर डा. सत्या पाण्डेय, विशेष सचिव, परिवहन डा. अखिलेश मिश्र, वरिष्ठ रचनाकार टी.एन. श्रीवास्तव ‘वफ़ा गोरखपुरी’, अंर्तराष्ट्रीय शायर डा. कलीम क़ैसर, कुवैत के अंर्तराष्ट्रीय शायर डा. अफ़रोज़ आलम, रोटेरियन अरविन्द चौधरी ने किया।
संग्रह का लोकार्पण करते हुए डा. अज़ीज़ ने कहा कि नुसरत अतीक़ का सम्बन्ध एक साहित्यिक परिवार से रहा है। इसलिए उनमें रचनाशीलता तो होनी ही चाहिए थी। ‘एहसास की अमरबेल’ को उर्दू और हिंदी दोनों भारतीय भाषाओं में लाकर उन्होंने इसका सुबूत दिया है, जो एक बड़ा काम है। ‘एहसास की अमरबेल’ मानवीय संवेदनाओं का काव्यात्मक दस्तावेज़ है।
मुख्य अतिथि विशेष सचिव परिवहन डा. अखिलेश मिश्र (आईएएस) ने कहा कि नुसरत इतनी सौम्य एवं कर्मठ रचनाकार हैं कि उनकी रचनायें संवेदनाओं से बाहर नहीं जातीं। ‘ एहसास की अमरबेल’ में ऐसी बहुत सी रचनायें आपको मिल जायेंगी जो अपने पाठक को चौंकने पर मजबूर कर देंगी।
पूर्व मेयर डा0 सत्या पाण्डेय ने कहा कि नारी जीवन की तमाम व्यस्तताओं में रहकर भी इतनी रचनाशील है, यह बड़ी बात है।
अन्तर्राष्ट्रीय शायर एवं मंच संचालक डा. कलीम क़ैसर ने कहा कि गोरखपुर के इतिहास में नुसरत पहली ऐसी रचनाकार हैं, जिनका ग़ज़ल संग्रह दो राष्ट्रीय भाषाओं में एक साथ आ रहा है। उनकी रचनाओं की सबसे बड़ी ख़ूबी ये है कि वो उन पंक्तियों में ख़ुद सांस लेती हुई दिखाई देती हैं। ये एक रचनाकार के लिए बहुत बड़ी बात है।
डायरेक्टर ‘फातिमा हास्पिटल’ फादर साबू, रोटरी क्लब गोरखपुर के अध्यक्ष अरविन्द विक्रम चौधरी और श्री वफ़ा गोरखपुरी ने भी श्रीमती नुसरत अतीक़ की ग़ज़ल संग्रह पर अपने-अपने विचार रखे।
अन्त में श्रीमती नुसरत अतीक़ ने अपनी काव्य यात्रा और इस ग़ज़ल संग्रह के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन कुवैत से आये हुए अन्तर्राष्ट्रीय रचनाकार, आलोचक डा0 अफ़रोज़ आलम ने किया और अध्यक्षता वरिष्ठ शायर और राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित टी0एन0 श्रीवास्तव ‘वफ़ा गोरखपुर’ ने किया। प्रस्तुत है कवियों द्वारा पढ़ी गयी उनकी रचनाओं के कुछ अंश-
• एहसास की है ये जो ‘अमरबेल’ हाथ में।
हर तरह से बुलन्द है अपने सिफ़ात में।। —-‘ वफ़ा’ गोरखपुरी
• रवायत टूटती है टूट जाए।
न हों रोज़ा तो अफ़्तारी न कीजे।। —-डा0 अखिलेश मिश्र (आई.ए.एस.)
• जिस गेट पर लिखा हुआ रहता था ये बयान।
मेहमान मेरा होता है भगवान के समान।।
लेकिन तरक़्कियाते ज़माना तो देखिए।
उस गेट पर लिखा है ‘‘कुत्तों से सावधान’’ —–सुनील कुमार ‘तंग’
• कोशिश ये ज़ियादा से न कुछ कम से हुई है।
तामीरे वतन ‘मैं’ से नहीं ‘हम’ से हुई है।। ——डा0 कलीम ‘क़ैसर’
• ख़्वाहिशे इश्क़ की तकमील कहाँ होती है।
गरचे वो शोख़ नहीं शोख़नुमा है तो सही।। ——डा. अफ़रोज़ आलम
• किसे है शौक़ भला इतने ग़म सजाने का।
मगर ये वक़्त है अब ख़ुद को आज़माने का।। —–डा. सरला अस्मा
• सौन्दर्य बोध नाले में भी होता है।
बस दृष्टि ‘सुअर’ की होनी चाहिए।। —– डा. अनिल चौबे
• केकर कौन धूप बा, के पहचानी। —- संजय मिश्र ‘संजय’
अन्त में नगर के वरिष्ठ शायर शमीम शहज़ाद की नज़्म ‘एहसास की अमरबेल’ श्री कलीमुल हक ने प्रस्तुत की। आयोजन को सफल बनाने में वफ़ा फैन्स क्लब के सचिव अमरनाथ जायसवाल, डा. मुस्तफा खान, अशफाक उमर, फर्रूख जमाल, अर्शद अहमद का सराहनीय योगदान रहा। इस अवसर पर सरदार जसपाल सिंह, ऐश्वर्या पाण्डेय, शशि राय, डा. प्रियंका वर्मा, संजय जायसवाल समेत अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहें।