कुशीनगर। रविवार को बुद्ध स्थली कुशीनगर स्थित वर्मी बुद्ध बिहार में म्यांमार के राजदूत ऊ मोचो वांग ने बौद्ध धर्म गुरु व कुशीनगर भिक्षु संघ के अध्यक्ष अग्ग महापंडित भदन्त ज्ञानेश्वर को सर्वोच्च धार्मिक सम्मान अभिधज्जा महारथा गुरु की उपाधि प्रदान किया।
म्यांमार मन्दिर के परिसर में आयोजित सम्मान समारोह में म्यांमार के राजदूत व प्रतिनिधि वांग ने म्यांमार सरकार द्वारा प्रदान कोई गए सर्वोच्च सम्मान से एबी ज्ञानेश्वर को सम्मानित करते हुए उपाधि प्रदान की। अपने सबोधन में श्री वांग ने कहा कि म्यांमार की सर्वोच्च उपाधि से सम्मनित करते हुए हम गौरवान्वित हो रहे हैं। इस सम्मान से भारत का सम्मान बढ़ा है और दोनों देशों के आत्मिक रिश्ते मजबूत हुए हैं।
उन्होंने कहा कि भारत एक छोटे भाई की तरह म्यांमार का ख्याल रखता है और हमेशा सहयोग करता है और आगे भी करेगा। विधायक रजनीकांत मणि त्रिपाठी ने कहा कि हिंदुस्तान में म्यांमार खुद चलकर सम्मानित करने आया है । गुरु जी ने कुशीनगर को सजाने व संवारने का काम किया। उनका म्यांमार जाना लगा रहता है। वे अच्छा संदेश लेकर आते हैं।
ज्वाइंट मजिस्ट्रेट पूर्ण बोरा ने कहा कि कुशीनगर का नाम विश्व में रोशन किया। हम सभी याद रखेंगे। अंतराष्ट्रीय बौद्ध संस्थान के पूर्व चेयरमैन भन्ते चंदिमा ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए भिक्षु ज्ञानेश्वर के जीवन पर प्रकाश डाला और कहा कि गुरु जी का जीवन ही संकल्पमय है। उनके भारत आने व उनके जीवन के कठिनाइयों को गिनाया। वह अपने गुरु भिक्षु चन्द्रमणि की सेवा करने आये थे। कुशीनगर में सेवा, शिक्षा की परम्परा को पूरे देश मे स्थापित किया। उनके कर्तव्यों व संघर्षों की बदौलत यह सम्मान मिलना गौरव की बात है।
बौद्ध भिक्षुओं, उपासकों, उपसिकाओं व वरिष्ठ जनों ने राजदूत वांग का स्वागत किया और उन्हें पंचशील ध्वज प्रदान किया। राजदूत वांग ने भी सभी को पंचशील ध्वज देकर सम्मानित किया।बौद्ध भिक्षुओं ने नमो भगवतो का धम्म पाठ किया। उपासक व उपसिकाओं को पंचशील प्रदान किया गया। सारनाथ, श्रावस्ती व अन्य जगहों से आये बौद्ध भिक्षुओं, उपासक व उपसिकाओं ने भदन्त ज्ञानेश्वर से आशिर्बाद लिया। संचालन मन्दिर के प्रतिनिधि टिके राय व मजीबुल्लाह राही ने किया।
इस मौके पर निकिता बोरा, एयरपोर्ट के निर्देशक एके द्विवेदी, अमृतांशु शुक्ला, ओमप्रकाश जायसवाल, एड अभय रतन बौद्ध, डीपी बौद्ध, शौकत अंसारी, केशव सिंह, दिनेश कुमार यादव, रामअधार यादव आदि मौजूद रहे।