कुशीनगर। कुशीनगर जिले की ढाढा चीनी मिल ने गन्ना सत्र 2020-21 का शत प्रतिशत गन्ना मूल्य भुगतान कर दिया है वहीं जिले की कप्तानगंज चीनी मिल भुगतान में फिसड्डी साबित हो रही है। इस चीनी मिल ने अभी तक सिर्फ 37.50 फीसदी गन्ना मूल्य का भुगतान किया है।
कुशीनगर जिले में निजी क्षेत्र की पांच चीनी मिले चल रही हैं। सत्र 2020-21 में इन पांच चीनी मिलों ने 215.39 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई की थी। पांचों चीनी मिलों पर कुल 69368.75 लाख रुपये गन्ना मूल्य की देनदारी थी जिसमें से अभी तक 60483.44 लाख का भुगतान कर दिया गया है। गन्ना किसानों का अभी भी 8885.29 लाख का भुगतान नहीं हुआ है।
इस महीने की 13 तारीख तक ढाढा चीनी मिल ने शत प्रतिशत गन्ना मूल्य का भुगतान कर दिया। ढाढा चीनी मिल पर किसानों का 19958.85 लाख रूपए गन्ना मूल्य का भुगतान करना था जो उसने कर दिया है। जिले की रामकोला चीनी मिल ने 96.67 फीसदी, कप्तानगंज चीनी मिल ने 37.50 फीसदी, सेवरीही ने 83.21 फीसदी और खड्डा चीनी मिल ने 95.90 फीसदी गन्ना मूल्य का भुगतान किया है।
कप्तानगंज चीनी मिल गन्ना मूल्य भुगतान में सबसे पीछे हैं। इस चीनी मिल पर गन्ना किसानों को 5614.34 लाख रूपया बकाया है। कप्तानगंज चीनी मिल ने अभी तक 18 दिसम्बर 2020 तक का ही भुगतान किया है।
वेटरनस एशोसिएशन किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं भाकियू (अ) के जिलाध्यक्ष रामचन्द्र सिंह ने बताया कि रामकोला (पी) चीनी मिल पर 684.19 लाख, सेवरही पर 2343.02 लाख और खड्डा पर 243.74 लाख गन्ना मूल्य बकाया है। उन्होंने कहा कि योगी सरकार गन्ना मूल्य का समय से भुगतान करने में फेल रही है। किसानों की आवाज सरकार सुन नहीं रही है। यही कारण है कि सूबे की सरकार को किसानों से मोहभंग हो चुका है।
श्री सिंह ने कहा कि कप्तानगंज चीनी मिल के साथ साथ अन्य चीनी मिलों द्वारा किसानों के गन्ने का भुगतान जल्द नहीं हुआ पूरे जनपद का किसान धरना प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होगा।