गोरखपुर। गोरखपुर विश्वविद्यालय के शिक्षक प्रो आरपी सिंह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर विश्वविद्यालय परिसर में सीसीटीवी कैमरा न होने पर सवाल उठाया है।
उन्होंने लिखा है कि, गोरखपुर विश्वविद्यालय में दो दिन पूर्व जो घटना घटित हुई निश्चित ही बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इस पर न्यायिक जांच की व्यवस्था कर विश्वविद्यालय प्रशासन ने समझदारी का परिचय दिया है। जांच में क्या सत्य सामने आता है इससे भी अधिक महत्वपूर्ण है ऐसी किसी घटना की पुनरावृति ना हो, इसको पुख्ता तौर पर सुनिश्चित किया जाय।
प्रो सिंह ने लिखा कि विश्वविद्यालय में कई वर्षों से अनेक बिंदुओं पर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं लेकिन यह व्यवस्था पर्याप्त नहीं है। इस बात को मैं एक उदाहरण से स्पष्ट करना चाहूंगा। 2015-16 में वाणिज्य के तत्कालीन विभाग एवं संकाय अध्यक्ष प्रो० गोपीनाथ जी को कुछ शिकायतें मिली जिस पर उन्होंने वाणिज्य तथा व्यवसाय प्रशासन भवन के अनेक बिंदुओं का स्वयं सर्वेक्षण कर विभागीय शिक्षकों के समर्थन सहित विश्वविद्यालय प्रशासन से सीसीटीवी कैमरे लगवाने के लिए आग्रह किया। प्रशासन से एक टीम भी आई जिसने कहां-कहां कैमरे लगने हैं इनका निर्धारण किया। किंतु कुछ दिनों बाद यह मामला प्रशासन द्वारा ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। उसके बाद से विश्वविद्यालय में तमाम कार्य हुए हैं जिनके औचित्य पर प्रश्न भी उठते रहे हैं। यदि यह महत्वपूर्ण कार्य सभी भवनों में उसी समय हो गया होता तो शायद इस तरह की घटना घटित ही नहीं होती।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में अराजक और असामाजिक तत्व आते जाते रहते हैं, अमर्यादित बातें और हरकतें करते रहते हैं, इन को एकदम से रोका नहीं जा सकता तो भी इन पर सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से निगरानी तो की ही जा सकती है। कोविड-19 में अधिकांश भवन नियमित कक्षाओं के अभाव में सूने पड़े रहते हैं ऐसे में ऐसी हरकतें बढ़ी हैं। बहुत आवश्यक हो गया है कि एक जिम्मेदार संस्था की भांति विश्वविद्यालय के वंचित भवनों के प्रवेश निकासी व अन्य संवेदनशील बिंदुओं पर सीसीटीवी कैमरे की व्यवस्था व नियमित संचालन व निगरानी तत्काल सुनिश्चित कर दी जाए। यदि ऑडियो के साथ हो तो और अच्छा रहेगा। यह सभी के और खासकर महिलाओं के हित में बहुत आवश्यक है।