गोरखपुर। दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रोफेसर कमलेश कुमार ने आज कुलपति प्रो राजेश सिंह पर पाठ्यक्रम समिति, संकाय परिषद, विद्या परिषद, प्रवेश समिति,परीक्षा समिति, वित्त समिति और कार्यपरिषद जैसे विश्वविद्यालय की संवैधानिक निकायों को पंगु और निष्प्रभावी बनाने का आरोप लगते हुए कहा कि राज्य सरकार से अनुमति लिए बिना और भूमि, भवन, प्रयोगशाला के बिना बीएससी एजी, एमएससी एजी और बीटेक जैसे नए स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम शुरू किया गए हैं। प्रो कमलेश ने आज अपने फेसबुक वाल पर कुलपति से 11 सवाल पूछते हुए उसका जवाब मांगा है।
प्रोफेसर कमलेश ने लिखा है कि कुलपति केवल और केवल अपनी मर्जी से विधि विरुद्ध आदेश सब पर थोप रहे हैं। वे पाठ्यक्रम समिति, संकाय परिषद, विद्या परिषद, प्रवेश समिति,परीक्षा समिति, और वित्त समिति जैसे विश्वविद्यालय के संवैधानिक निकायों को पंगु बना चुके हैं और अब कार्यपरिषद को भी निष्प्रभावी बनाने में लगे हुए हैं। उन्होंने लिखा है कि मैं फेसबुक पर लिखे गए अपने हर शब्द की जिम्मेदारी स्वीकार करता हूॅं और पुन: दोहराना चाहता हूं कि प्रोफेसर राजेश सिंह जी का कुलपति पद पर एक दिन भी बने रहना विश्वविद्यालय और संबद्ध महाविद्यालय परिवार के हित में नहीं है।
प्रो कमलेश कुमार के कुलपति से 11 सवाल
1.स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों का संचालन विश्वविद्यालय के आय-व्यय को प्रभावित करता है। इसलिए उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 की धारा 52 (c) के अनुसार इसके लिए राज्य सरकार की मंजूरी आवश्यक है। क्या बीएससी एजी, एमएससी एजी और बीटेक जैसे नए स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों के लिए राज्य सरकार से अनुमति ली गई है ?
2.जिस पाठ्यक्रम को चलाने के लिए न भूमि है, न भवन है, न प्रयोगशाला है, न पुस्तकालय ; उसके लिए शासन की अनुमति मिल सकती है ?
3. बगैर जरूरत और मांग के ₹75000 मासिक पर सलाहकारों की नियुक्ति अधिनियम, परिनियम की किस धारा के तहत हुई है ?
4. क्या यह सही नहीं है कि आपने न्यूनतम समान पाठ्यक्रम के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के दिशा निर्देशों से अलग दिशा निर्देश अपने विश्वविद्यालय में जारी करवाए थे ? विश्वविद्यालय के वेबसाइट पर सभी विषयों के न्यूनतम समान पाठ्यक्रम अब तक अपलोड क्यों नहीं करवाए गए हैं ?
5. यह जो मिड टर्म और एंड टर्म की परीक्षा का प्रावधान विद्यार्थियों पर थोपा जा रहा है, वह विश्वविद्यालय के किस निकाय से प्रस्तावित, संस्तुत व अनुमोदित है ?
6. कुलपति जी ओएमआर शीट वाली खर्चीली और विद्यार्थियों को तनाव में डालनेवाली परीक्षा पर इतना बल क्यों दे रहे हैं ? क्या इसके लिए विद्या परिषद की संस्तुति है ? अब तो सामान्य ढंग से पढ़ाई हो रही है। जिस पद्धति से पढ़ाई हो रही है, उसी पद्धति से परीक्षा क्यों नहीं होनी चाहिए ?
7. क्या परीक्षा समिति या स्वयं कुलपति जी विभागाध्यक्षगण को प्राश्निक ( प्रश्न पत्र बनाने वाले) का नाम प्रस्तावित करने के लिए अधिकृत कर सकते हैं ? यह पाठ्यक्रम समिति के वैधानिक अधिकारों को छीनना नहीं है ?
8. पिछले 6 महीने से कुलपति जी जब भी मुख्यालय से बाहर जाते हैं, तो कार्यभार किसको और किस प्रावधान के तहत सौंपकर जाते हैं ? उसकी सार्वजनिक सूचना क्यों नहीं होती?
9. कुलपति जी अपने प्रशासनिक भवन के कार्यालय पर कितने बजे से लेकर कितने बजे तक बैठते हैं ?
10. कुलपति जी का विद्यार्थियों, शिक्षकों, कर्मचारियों और अन्य लोगों से प्रतिदिन मिलने का तय समय क्या है ?
11. समस्त विद्यार्थियों, कर्मचारियों शिक्षकों, अधिकारियों की भारी असुविधा के बावजूद प्रशासनिक भवन का उत्तरी गेट कई महीनों से रहस्यमय ढंग से क्यों बंद है ? क्या इस गैर लोकतांत्रिक व्यवस्था का कोई वैधानिक प्रावधान है ?