गोरखपुर। स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गेनाइज़ेशन (एसआईओ) ने रविवार को गोरखपुर प्रेस क्लब में छात्र घोषणा पत्र जारी किया। घोषणा पत्र में जीडीपी का आठ फीसदी शिक्षा पर खर्च करने की मांग की गई है।
छात्र घोषणा पत्र को जारी करते हुए संगठन के राष्ट्रीय महासचिव नेहाल अहमद ने कहा कि हम आशा करते हैं कि सभी राजनीतिक दल हमारे अनुरोध पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देंगे। उन्होंने कहा कि हमने जिन मांगों को इस घोषणा पत्र में शामिल किया है, वो मुख्यतः शिक्षा, कोविड महामारी के बाद राहत पैकेज, रोजगार और अन्य युवाओं की समस्याएं, स्वास्थ्य और कल्याण, मानवाधिकार, प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, साहित्य, संस्कृति और विविधता को बढ़ावा देने से सम्बन्धित हैं। हमें उम्मीद है कि यह वैचारिक चिंतन प्रक्रिया एक जीवंत लोकतांत्रिक प्रक्रिया का उदाहरण बनेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि छात्रों और विशेष रूप से शिक्षा का मुद्दा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जो कि इस चुनाव के एजेंडों में शामिल होना चाहिए। इसके अतिरिक्त शिक्षा व रोज़गार एवं मानवाधिकार आदि मुद्दे भी इस चुनाव में चर्चा का विषय बनने चाहिए।
इस मौके पर एसआईओ उ0प्र0 पूर्व के प्रान्तीय सचिव फैसल कुरैशी, एसआईओ गोरखपुर के अध्यक्ष आतिफ हसन, एसआईओ के पूर्व प्रान्तीय अध्यक्ष मोहम्मद राफे, फैजान सरवर, एजाज़ अहमद, मो0 आतिफ आदि भी उपस्थित रहे।
घोषणा पत्र की प्रमुख बातें
* समाज की आवश्यकता के अनुरुप विभिन्न शिक्षा आयोग की सिफारिशों के अनुसार शिक्षा पर जीडीपी का आठ फीसदी खर्च किया जाए
* राज्य के मेडिकल कॉलेजों में यूपी के सरकारी स्कूलों व सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के छात्रों के लिए 10 प्रतिशत सीटों का आरक्षण होना चाहिए।
* मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय को नेशनल कमीशन फॉर मॉइनारिटी एजेकुशनल इंस्टीट्यूशंस (NCMEI) द्वारा अल्पसंख्यक दर्जा मिला है। इसे सभी राजनीतिक हमलों से बचाना चाहिए और छात्र हित को ध्यान में ऱखते हुए कार्रवाई होनी चाहिए।
* राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में अरबी, उर्दू व इस्लामिक स्टडीज़ के लिए विभाग व पर्याप्त सीटें होनी चाहिए।
* मदरसा शिक्षा को एक वैध स्नातक डिग्री के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए। इन पाठ्यक्रमों के आधार पर एम.ए. पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया जाना चाहिए।
* जस्टिस रंगनाथ मिश्रा आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाना चाहिए।
* छात्रों के बीच लोकतांत्रिक मूल्यों और भावनाओं को बनाए रखने के लिए विश्वविद्यालयों एवं डिग्री कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव बहाल होने चाहिए।
* स्कूलों के बुनियादी ढांचे में सुधार की आवश्कता है। कंप्यूटर लैब, स्मार्ट क्लास रुम और लाइब्रेरी के साथ आधुनिक सुविधाओं को सरकारी स्कूलों में भी उपलब्ध किया जाना चाहिए।
* संविदा पर होने वाली भर्तियों में कटौती कर स्थायी नियुक्तियों को इस प्रकार सुनिश्चित किया जाए कि स्थायी नियुक्ति एक शैक्षिक वर्ष से अधिक समय के लिए मान्य हो।
* तंबाकू एवं नशीली वदाओं के दुरुपयोग के कानून सख्ती से लागू किए जाए। कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
* सरकार को हाईकोर्ट के जजों की निगरानी में एक ऐसे कमीशन का गठन करना चाहिए जो कोविड महामारी की दूसरी लहर में हुई वास्तविक मौतों की जांच करें और कहां कहां सरकार द्वारा चूक हुई इसका आंकलन करें।
* शिक्षण संस्थानों में जाति आधारित भेदभाव को रोकने के लिए रोहित एक्ट लागू किया जाए।