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कुशीनगर में कुआं हादसा: एम्बुलेंस पहुंचने में देरी और इलाज में लापरवाही के खिलाफ प्रदर्शन

कुशीनगर। नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र के नौरंगिया स्कूल टोला में बुधवार की रात कुएं में गिरने से 13 लड़कियों और महिलाओं की मौत हो गई जबकि एक महिला बुरी तरह घायल है। मृतकों में दो वर्ष की एक बच्ची थी जबकि छह लड़कियों की उम्र 18 वर्ष से कम थी। यह घटना उस समय घटी जब कुएं पर शादी के पहले होने वाली मटकोर की रस्म का कार्यक्रम चल रहा था और कुएं का जगत स्लैब टूट गया। घटना के बाद मौके पर एम्बुलेंस पहुंचने में देरी और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में चिकित्साकर्मियों की अनुपस्थिति से नाराज लोगों ने गुरूवार को खड्डा-पडरौना सड़क को एक घंटे तक जाम रखा। प्रशासन ने सीएचसी के प्रभारी चिकित्साधिकारी का तबादला कर दिया है और एक फार्मासिस्ट व वार्ड व्वाय को निलम्बित कर दिया गया है। दो एम्बुलेंस चालकों की सेवा समाप्त कर दी गई है। प्रदेश सरकार की ओर से मृतक परिवारों को चार-चार लाख की आर्थिक सहायता दी गई है।

गुरूवार को इस हादसे में मरे सभी लड़कियों-महिलाओं का अंतिम संस्कार कर दिया गया। पनियहवा में नारायणी नदी के किनारे आठ चिताएं एक साथ जली। एक चिता पर एक ही घर की दो बेटियों को अंतिम विदाई दी गई। एक और चिता पर देवरानी-जिठानी का शव जला। दो बच्चियों के शव को दफनाया गया। रिश्तेदारी में आयी एक बच्ची का शव कसया क्षेत्र के गिदहा गांव भेजा गया जहां परिजनों ने अंतिम संस्कार किया।

 

 नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र के नौरंगिया स्कूल टोला निवासी परमेश्वर कुशवाहा के पुत्र अमित की शादी के पहले होने वाले मटकोर रस्म के लिए महिलाएं बुधवार की रात गांव के कुएं के पास गईं थी। यह कुआं बहुत पुराना है और यहां धार्मिक रीति रिवाज किए जाते हैं। कुंए पर स्लैब डालकर ढंका गया था। रस्म के दौरान कुएं की स्लैब टूट गई और एक दर्जन से अधिक लड़कियां और महिलाएं कुएं में गिर गए। उनके उपर मलबा भी गिर गया। गांव के लोगों ने रस्सियों के सहारे किसी तरह सबको बाहर निकाला और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ले गए लेकिन 13 महिलाओं व लड़कियों को नहीं बचाया जा सका। मृतकों में 17 वर्षीय पूजा और 16 वर्षीय ज्योति सगी बहनें थीं। इस घटना में एक ही परिवार के दो महिलाओं ममता पत्नी रमेश चैरसिया और शंकुतला पत्नी भोला की भी मौत हो गई। दोनों रिश्ते में देवरानी-जेठानी थे। हादसे में अजय चौरसिया की दो वर्षीय पुत्री परी की मौत हुई है।

इस हादसे में गौरीशंकर की 45 वर्षीय पत्नी जगरोशनी घायल हैं।

घटना की सूचना मिलने पर जिलाधिकारी एस राजलिंगम व पुलिस अधीक्षक सचिन्द्र पटेल मौके पर पहुंचे। बाद में गोरखपुर के कमिश्नर रवि कुमार एनजी व डी आई जी भी पहुुंचे।

ग्रामीणों ने सी एच सी पर तैनात डॉक्टरों के समय से उपस्थित न रहने और एम्बुलेंस पहुंचने में देरी का का आरोप लगाते हुए गुरूवार को प्रदर्शन किया।

पी एच सी नेबुआ नौरंगिया का उच्चीकरण कर अब इसे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बना दिया गया है। यहां पर डॉक्टरों व चिकित्सा कर्मियों की संख्या में इजाफा हुआ है लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि चिकित्साकर्मी सीएचसी पर रहते नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय से एम्बुलेंस पहंच गयी होती और सीएचसी पर चिकित्सकर्मी रहते तो कई महिलाओं-लड़कियों की जान बचायी जा सकती थी।

इस गांव में पांच वर्ष पहले विधानसभा चुनाव के वक्त बारात में आर्केस्ट्रा देख रहे छह लोगों को एक पिकप ने कुचल दिया था। यह घटना 17 फरवरी 2017 को घटित हुई थी।

प्रशासन कुओं की सुधि लेता तो न होती इतनी बड़ी दुर्घटना

कुएं लोक संस्कृति की पहचान हैं। पीने के पानी के स्थायी स्रोत के साथ यहां पर धार्मिक व सांस्कृति कार्यक्रम भी होते रहे हैं। बदलते समय में अब इनकी उपयोगिता नहीं रह गई है। तमाम कुएं या तो पाट दिए गए हैं या इन पर स्लैब लगा दिया गया है। अधिकतर कुएं खुले हुए हैं जिनसे हमेशा दुर्घटना की आशंका रहती है। जिस कुंए पर घटना घटी है उसमें एक गाय गिर गयी थी जिसके बाद यहां स्लैब लगाया गया था लेकिन यह स्लैब बहुत कमजोर था। लोगों का कहना है कि कुओं के अस्तित्व को बचाने के साथ-साथ उन्हें सुरक्षित करने की मुहिम चलायी जानी चाहिए ताकि इस तरह के हादसे न हो सकें।

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