गोरखपुर। गोरखपुर विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालय शिक्षक संघ (गुआक्टा) ने महाविद्यालयी शिक्षकों के समस्याओं को लेकर 30 अप्रैल को कुलपति का घेराव करने की घोषणा की है। संघ ने कहा है कि कुलपति का रवैया तानाशाही वाला है। बार-बार मिलने और मांग पत्र देने के बावजूद उन्होंने महाविद्यालयी शिक्षकों की समस्याओं का समाधान नहीं किया।
गुआक्टा के अध्यक्ष डाॅ केडी तिवारी और महामंत्री धीरेन्द्र सिंह ने बयान जारी कर कहा कि कुलाधिपति के स्पष्ट आदेश और शासन के निर्देश के बावजूद पिछले छह माह से लंबित प्रोफेसर पदनाम के विषय विशेषज्ञों की फाइल का निपटारा नहीं किया गया। एक वर्ष पूर्व स्नातक शिक्षकों के शोध निर्देशक बनाए जाने की अधिसूचना के बावजूद अब तक उसका क्रियान्वयन नहीं हुआ है। महाविद्यालयों से पूरा शुल्क लेने के वावजूद वर्षों से परीक्षा पारिश्रमिक का भुगतान लंबित है। इन मुद्दों को लेकर गुआक्टा नेतृत्व ने कुलपति से गुहार लगाई लेकिन वे केवल आश्वासनों की घुट्टी पिलाकर बार-बार मामले को टालते रहे।
दोनों पदाधिकारियों ने कहा कि एक तरफ जहां प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों में महाविद्यालय शिक्षकों को प्रोफेसर पद नाम मिल चुका है वहीं गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति इसे लंबित रखकर महाविद्यालय शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार कर रहे हैं। कुलपति के व्यवहार से क्षुब्ध होकर परिक्षेत्र के सभी संबद्ध महाविद्यालयों के इकाई संघों से सहयोग का निवेदन करते हुए प्रस्ताव माँगा था। सभी इकाई शिक्षक संघो द्वारा गुआक्टा को लिखित रुप से पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया गया। उसी क्रम में गुआक्टा नेतृत्व द्वारा 30 अप्रैल से कुलपति केघेराव करने का निर्णय लिया गया है।
एक अन्य विज्ञप्ति में गुआक्टा के अध्यक्ष डाॅ केडी तिवारी और महामंत्री धीरेन्द्र सिंह ने ने कहा कि कुलपति प्रो राजेश सिंह ने राजकीय और अनुदानित प्राचार्यों की आनलाइन मीटिंग 26 अप्रैल को की। बैठक के बाद जारी की गई विज्ञप्ति सरासर झूठ का पुलिंदा है। कुलपति ने पांच कालेज की 6000 से 7000 , 7000 से 8000 की प्रोन्नति की फाइलों पर विषय विशेषज्ञ नहीं दिये है। एसोसिएट प्रोफेसर से प्रोफेसर पर पद्न्नति वाली फाइल लगभग छह माह से धूल फांक रही है। प्रोफेसर के लिए पद्दोन्नति मे कुलपति को केवल विषय विशेषज्ञ देना है। ए पी आई की जांच महाविद्यालय की आई क्यू ए सी करेगी ,शेष कार्य 5 लोगों की कमेटी करेगी लेकिन कुलपति इसमे भी अडंगा लगा रहे है जबकि पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर , इलाहाबाद राज्य विश्वविद्यालय, फैजाबाद विश्वविद्यालय ,काशी विद्यापीठ और सिद्धार्थ विश्वविद्यालय ने विषय विशेषज्ञ दे दिया और वहां के प्राध्यापकों को प्रोफेसर पदनाम मिल भी गया। आज तक अधिकांश महाविद्यालयों को उनका परीक्षा की कान्टीजेन्सी नहीं मिला है। मूल्यांकन का पैसा किसी शिक्षक को नहीं मिला है।
पदाधिकारियों ने कहा कि कुलपति परीक्षा की पवित्रता को अपने चहेतों द्वारा तार-तार कर रहे है। विश्वविद्यालय द्वारा जनपद मे 6 उडाका दल बना है जिसमे आज की तारीख मे कोई उडाका दल नहीं चल रहा है क्योंकि गाडी वाली एजेंसी का विश्वविद्यालय पर 35 लाख बकाया है। मुख्यमंत्री जी के शहर मे एक कुलपति सारे नियम कानून को ताक पर रख कर मनमानी कर रहा है ,जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा से विश्वविद्यालय की शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई है। गुआक्टा नेताओं ने कुलपति के खिलाफ आंदोलन में छात्रों , पूर्व नेताओं, विधायकों, सांसदो, वित्तविहीन शिक्षकों ,प्राचार्यों, प्रबन्धकों से सहयोग और समर्थन की अपील की है।