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डीएम के साथ बैठक में 15 वनटांगिया गांवों में वन अधिकार कानून को तेजी से लागू करने की मांग

बहराइच। सोनभद्र में दिनांक 16 नवंबर को आयोजित जनजाति गौरव दिवस में भाग लेने के बाद बहराइच लौटे वनवासियों ने सामाजिक कार्यकर्ता जंग हिंदुस्तानी के साथ जिलाधिकारी से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान बहराइच जनपद में वन अधिकार कानून 2006 के क्रियान्वयन की वर्तमान स्थिति पर चर्चा की गई।

वनवासियों ने कहा कि वन अधिकार कानून 2006 के क्रियान्वयन की वर्तमान स्थिति सन्तोषजनक है किंतु इस मामले में अभी बहुत सारा कार्य किया जाना शेष है। मोतीपुर तहसील के पांच वन ग्रामों क्रमशः भवानीपुर , बिछिया, टेडिया, ढकिया,गोकुलपुर और वनटांगिया ग्राम महबूबनगर में दावा सत्यापन के बाद 1254 में शामिल से 273 दावेदारों के अधिकार सुनिश्चित किए जा चुके हैं। शेष दावेदारों तथा अवशेष दावेदारों की दावेदारी की प्रक्रिया उपखंड और जिला स्तर पर लंबित है जिस में विशिष्ट दस्तावेजी साक्ष्यों की मांग की जा रही है जिसे झोपड़ी में रहने वाले वन निवासियों के द्वारा दिया जा पाना संभव नहीं है। जनजाति मंत्रालय द्वारा वन अधिकार कानून से संबंधित अक्सर पूछे गए प्रश्नों की मार्गदर्शिका पर ध्यान न देकर जबरदस्ती दावा खारिज किया जा रहा है।

1950 से 1962 के मध्य के लिखित साक्ष्य मांगे जा रहे हैं। दावेदारों के दावों का निर्धारण करते समय उनके पास यदि थोड़ी भी मात्रा में राजस्व की भूमि मौजूद हो तो उस राजस्व भूमि का संज्ञान लेकर उनके दावों को निरस्त किया जा रहा है एक व्यक्ति के नाम जमीन या व्यवसाय होने से पूरे परिवार को वन अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। उपखंड स्तरीय वन अधिकार समिति द्वारा वन अधिकार कानून के तहत वर्तमान में केवल आवासीय भूमि पर अधिकार दिया जा रहा है तथा कृषि भूमि से वंचित किया जा रहा है। इसके अलावा जो गांव राजस्व ग्राम हो गए हैं उनमें किसी भी प्रकार के विकास कार्य नहीं कराए जा रहे हैं तथा शासन के इस महत्वपूर्ण निर्णय के बारे में वन क्षेत्र में कोई प्रचार प्रसार नहीं किया जा रहा है।

जन हिन्दुस्तानी ने कहा कि 15 अन्य परंपरागत वनटांगिया मजदूरों के गांव में ग्राम स्तरीय वन अधिकार समिति में अनाधिकृत रूप से ग्राम पंचायत के लोगों को शामिल कर दिया गया है जिसके पुनर्गठन की आवश्यकता है। साथ ही दावा सत्यापन के लिए दावा फार्म भी उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। जिसे तत्काल उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता है। 273 दावेदारों में से 93 दावेदारों को अधिकार पत्र वितरित किया जा चुका है। शेष को अभी तक अधिकार पत्र वितरित नहीं किया गया है जिस पर अधिकारियों द्वारा ग्राम वार शिविर लगाकर अधिकार पत्र वितरित किए जाने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि जिन लोगों के दावा फार्मो को खारिज किया गया है उन्हें उपखंड अथवा जिला स्तर की समिति के द्वारा लिखित निर्णय उपलब्ध नहीं कराया जाता है। यहां तक कि ग्राम स्तरीय वन अधिकार समितियों को भी पूरे मामले से अनभिज्ञ रखा जाता है। एक तरफ उत्तर प्रदेश की लोकप्रिय सरकार स्वयं लगातार वन निवासियों के जीवन के स्तर को सुधारने के लिए ध्यान दे रही है तो दूसरी तरफ निचले स्तर के उनके अधीनस्थ अधिकारी इस कानून का मजाक बना रहे हैं और वन अधिकार कानून को मजबूती के साथ लागू करने पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

जिलाधिकारी डॉक्टर दिनेश चंद्र ने बताया कि जिन लोगों को अधिकार पत्र वितरित किया गया है उनकी खतौनी बनाई जा रही है। राजस्व अभिलेखों में अंकित न होने के कारण यह वन निवासी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि सहित किसी भी योजना के पात्र नहीं बन पाते थे। उनकी जमीनों को राजस्व अभिलेखों में दर्ज कराया जा रहा है।इसके अलावा वन अधिकार कानून 2006 के तहत जिन दावेदारों ने दावेदारी की थी उनके व्यक्तिगत अधिकारों के साथ साथ सामुदायिक अधिकार को मान्यता दी रही है ।

जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को वन अधिकार कानून 2006 के सफल क्रियान्वयन के लिए सभी बिंदुओं पर विशेष कार्यवाही करने का निर्देश दिया है। इस अवसर पर अपर जिला अधिकारी श्री मनोज जिला समाज कल्याण अधिकारी श्री रमाशंकर, किशनलाल ,गिरीश कुमार आदि मौजूद रहे।

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