बोध गया। प्रेमचंद साहित्य संस्थान, वाराणसी एवं हिंदी विभाग, मगध विश्वविद्यालय, बोध गया के संयुक्त तत्वावधान में 12-13 नवम्बर को मगध विश्वविद्यालय के मन्नूलाल केंद्रीय पुस्तकालय सभागार में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी “बुद्ध की धरती पर कविता” का आयोजन किया गया है। गौतम बुद्ध के जीवन से अभिन्न रूप से सम्बद्ध कुशीनगर और लुम्बिनी के पश्चात् बोध गया में, प्रेमचंद साहित्य संस्थान द्वारा आरंभ “बुद्ध की धरती पर कविता” शृंखला का यह तीसरा आयोजन है।
इस दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आरम्भ हिंदी के वरिष्ठ कविद्वय ज्ञानेन्द्रपति और आलोक धन्वा की उपस्थिति में उद्घाटन सत्र के साथ होगा जिसकी अध्यक्षता मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जवाहर लाल करेंगे और दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय,बोध गया के कुलपति प्रो.कामेश्वर नाथ सिंह मुख्य अतिथि होंगे।
संगोष्ठी के संयोजक,प्रेमचंद साहित्य संस्थान के निदेशक और काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हिंदी के आचार्य,प्रो. सदानन्द शाही ने “बुद्ध की धरती पर कविता” की प्रासंगिकता और उपयोगिकता को रेखांकित करते हुए कहा कि कहा कि आज समस्त संसार विश्व-युद्ध और परमाणु युद्ध के आसन्न खतरे में जीने को अभिशप्त है। उपभोक्तावाद और व्यक्तिवाद की चरमपंथी गतिविधियाँ प्रकृति का सर्वनाश करने पर तुली हुई हैं। ऐसे में करुणा,शांति और विश्वमैत्री के सबसे बड़े उपदेष्टा गौतम बुद्ध की ओर मानवता निरीह दृष्टि से देख रही है। सम्प्रदायवाद, जातिवाद और युद्ध से ग्रस्त मनुष्यता हेतु बुद्ध की चर्चा किसी महौषधि से कम नहीं है। यह संगोष्ठी भुला दिए गए हमारे समाज के सबसे महान पुरखे को याद करने और उसकी स्मृति के आलोक में अपनी मनुष्यता को जाग्रत करने का एक अनुष्ठान है।
प्रो.शाही ने आगे बताया कि चूंकि कविता हमारे अच्छे-बुरे समय की सबसे अच्छी साथी है और वर्तमान को अतीत और भविष्य से जोड़ने में इसका कोई जोड़ नहीं है,अतः गौतम बुद्ध को हिंदी और विश्वकविता ने किस तरह सहेजा है और हमारे सामूहिक भविष्य को सँवारने के लिए बुद्ध को किस रूप में प्रस्तुत किया है,इसका अन्वेषण ही इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का प्रधान अभीष्ट है।
कविता में बुद्ध,विभिन्न विधाओं में बुद्ध,संवाद पुरुष बुद्ध और भारतीय कविता में बुद्ध जैसे सत्रों में विभाजित संगोष्ठी को मृत्युंजय कुमार सिंह,प्रो.रामसुधार सिंह,प्रो.राजेश मल्ल,प्रो. पृथ्वीराज सिंह,डॉ. भरत कुमार सिंह,महेश आलोक,रामप्रकाश कुशवाहा आदि वक्तागण सम्बोधित करेंगे। इसके अतिरिक्त ख्यातिलब्ध कवि आलोक धन्वा की अध्यक्षता में काव्य-गोष्ठी भी आयोजित होगी जिसमें हिंदी के वरिष्ठ और युवा कवियों द्वारा बुद्ध-केंद्रित कविताओं का पाठ किया जाएगा।
संगोष्ठी के सह-संयोजक डॉ. विश्वमौलि ने बताया कि इस अवसर पर बुद्ध विचार के गम्भीर अध्येता शैलेन्द्र प्रताप सिंह को उनकी चर्चित पुस्तक ‘बुद्ध के बढ़ते कदम” हेतु “बुद्ध की धरती पर कविता” द्वारा प्रथम “बुद्धचर्या सम्मान 2022” प्रदान किया जाएगा।