गोरखपुर। ट्रिपल टेस्ट का मैकेनिज्म न डेवलप करने पर सरकार को दंडित करना चाहिए लेकिन उसकी जगह ओबीसी आरक्षण को समाप्त करने का फैसला सुनाया जा रहा है। यह 52% ओबीसी आबादी के साथ अन्याय है। यह फैसला ओबीसी जातियों के प्रतिक्रिया का लिटमस टेस्ट है।
उक्त वक्तव्य आचार्य मिंदर चौधरी ने अर्जक संघ गोरखपुर के तत्त्वावधान में दिसंबर माह में परिनिर्वाण प्राप्त हुए महामानवों डॉ. बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर, संत गाडगे, पेरियार ललई सिंह यादव आदि के श्रद्धांजलि के अवसर पर ‘ अर्जकों के अधिकार : चुनौतियां, समाधान एवं अपेक्षित कार्य व्यवहार ‘ विषय पर बोलते हुए कही।
यह कार्यकर्म कुई बाजार स्थित अशोक यादव बौद्ध के घर पर आयोजित की गई थी। उन्होंने कहा कि भारत का हर दूसरा आदमी ओबीसी है। मंडल कमीशन ने ओबीसी आबादी 52% मानी है। जबकि देश में सांसद, विधायक, सचिव, मंत्री, संस्थाओं के अध्यक्ष सभी प्रमुख पदों पर अपर कास्ट का कब्जा है जो सरकार के इशारे पर हो रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने आनन फानन में बिना किसी गणना, बिना किसी रिपोर्ट, बिना किसी मांग के ईडब्ल्यूएस लागू किया। वह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया तो कोर्ट ने उस पर कोई स्टे नहीं दिया बल्कि उसे जारी रखा और उस संविधान विरुद्ध आरक्षण पर मुहर भी लगा दी।
कार्यक्रम की शुरूआत में प्राचार्य डॉ. धनंजय यादव ने कहा कि महापुरुषों के दिखाए गए मार्ग से ही दलित और महिलाओं की उन्नति संभव है। इसलिए प्रचलित ढकोसलों, कर्मकांड और अंधविश्वास से दूर जाना होगा। शिक्षा पर ध्यान देना होगा और उस पर निवेश बढ़ाना होगा।
मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय गोरखपुर के सहायक प्रोफेसर डॉ. गगनदीप भारती ने अपने वक्तव्य में कहा कि वर्तमान समय में जब सरकारें उदारीकरण, निजीकरण धुंआधार रूप से कर रही हैं। जिससे सार्वजनिक सेवाओं में सरकारी नौकरी का अभाव हो गया। इसलिए नवयुवकों को केवल सरकारी नौकरी हेतु प्रयास सीमित नहीं रखना चाहिए। रोजगार के अन्य वैकल्पिक व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए। तकनीकी शिक्षा एवं परिश्रम से इस योग्य बनना होगा कि खुद रोजगार देने में सक्षम हो सके।
मेरठ कॉलेज के स. प्रो. हितेन्द्र सिंह सैंथवार ने कहा कि तथागत बुद्ध के मार्ग पर चलने से ही समाज में वैज्ञानिक चेतना, सामाजिक एकता और राष्ट्र के प्रति उत्तरदायित्व बोध विकसित हो सकेगा।
डॉ. रवींद्र पीएस ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि अकादमिक शिक्षा के साथ विभिन्न देशों के समाज, इतिहास, आंदोलन आदि को जरूर पढ़ना चाहिए। सदैव अपनी तर्क बुद्धि को ऊपर रखनी चाहिए। किसी भी कुरीति को अपनी संस्कृति मानकर चिपकना नहीं चाहिए बल्कि उसे जल्द से जल्द त्याग देना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मक्खन निषाद, ने की। विशिष्ट अतिथि पटेल बनवारी सिंह आज़ाद, प्रो गगन दीप भारती, डॉ. हितेश सिंह सैंथवार, डॉ. रवींद्र पीएस, डॉ. आर.डी. पटेल, आकाश पासवान, मणिदेव मल्ल, दिलीप कुमार सुमन थे।
इस अवसर पर जय गोविंद सैनी, विश्राम प्रसाद, डॉ. वेद प्रकाश, पंकज पासवान, कैलास नाथ यादव, शिववचन यादव, अनिरुद्ध यादव, रामसाजन यादव सृजन, विद्यासागर मल्ल, लक्ष्मी नारायण बौद्ध, राम दुलारे उपासक, डॉ. राम चैत्तर बौद्ध, मोमिन, मदन गोपाल, जै राम मौर्य, विनोद चौधरी, लौटराम कन्नौजिया, अनुज चौधरी, वीएन यादव, विनोद निषाद, मोहित निषाद, जय सिंह, साधू शरण यादव, मुग्गन शर्मा, धीरेंद्र कुमार चौधरी, कन्हैया लाल राव, मनोज कुमार विश्वकर्मा, अजय कुमार यादव, शशिकांत यादव, रामदरस चौधरी, मोहन शर्मा नाई, राम जीत आदि लोगों ने प्रतिभाग किया।