पटना। कोशी विकास प्राधिकार बनाने सम्बन्धी पटना उच्च न्यायालय के फैसले पर कोशी नव निर्माण मंच ने न्यायालय द्वारा बाढ़ पीड़ितों के प्रति सहानुभूति दिखाए जाने का सम्मान करते हुए कहा है कि सरकार कोशी पीड़ितों और उसके सम्बन्धी अनेक मामलों सही जानकारी नही दे रही है। मंच ने कोशी के सवाल पर जन वैज्ञानिक, नदी विशेषज्ञ व पर्यावरणविदों द्वारा बनाए गए पीपुल्स कमीशन का पटना में 23 – 24 फरवरी को कन्वेंशन करने कि घोषणा की है।
कोशी नव निर्माण मंच ने कहा कि जल संसाधन मंत्री संजय झा जिस आदेश का स्वागत कर रहे है उसी में वर्णित है कि सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी चन्द्र किशोर पाठक कमिटी की रिपोर्ट नही मिल रही है। क्या यह सरकार के लिए शर्मनाक नही है ? चन्द्र किशोर पाठक कमिटी की रिपोर्ट में कोशी तटबन्ध के बीच के लोगों के कल्याण के लिए कार्य करने की रूप रेखा है।उसकी प्रस्तावना में ही लिखा है कि “तटबन्ध के बीच के लोग, क्षेत्र के विकास के लिए शंकर भगवान की तरह विष पान कर अपने सीने पर तटबंध बनने दिए। ” उसी रिपोर्ट के आधार पर 30 जनवरी 1987 को कोशी पीड़ित विकास प्राधिकार गठित हुआ था, जो गायब है। जिसको बार-बार हमलोग उठा रहे है क्या यह रिपोर्ट जान बूझकर गायब की गई है? जिससे कोशी तटबन्ध के बीच के लोगों के अधिकार को खत्म किया जा सकता है ? यदि मंत्री जी वास्तव में आदेश के प्रति सकारात्मक रुख रखते है और सरकार के पास पाठक कमिटी की रिपोर्ट नही है तो वो बताएं कब हम लोग उनके पास पाठक कमिटी की रिपोर्ट की फोटो कॉपी लेकर देने आएं ? उसे लेकर तटबन्ध के भीतर के लोगों के कल्याणार्थ कार्यक्रम तय करें और गायब कोशी पीड़ित विकास प्रधिकार को सक्रिय व प्रभावी बनाने का वादा करें।
संगठन कि ओर से महेंद्र यादव, इंद्र नारायण सिंह, संदीप व राहुल यादुका द्वारा संयुक्त विज्ञप्ति में कहा गया कि मंत्री जी जिस कोशी मेची नदी जोड़ परियोजना की चर्चा कर है उसके डीपीआर में उल्लेखित है कि यह पूर्वी कोशी मुख्य नहर का एक्सटेंसन परियोजना है जिसके पानी को मेची नदी के रास्ते महानंदा नदी में मिलाने की बात है| यह पूर्वी नहर तो पहले भी थी और अपने कमांड इलाके में तय लक्ष्य की सिंचाई नही दे पाने के कारण लक्ष्य को ही विभाग घटा दिया था। पहले से ही मानसून सीजन में उसमें पानी निस्तारित होते रहता है फिर कोशी की बाढ़ का कौन अधिक पानी उस परियोजना से निकलेगा ? उपर से यह परियोजना तो मात्र खरीफ फसलों को मानसून सीजन में जब सब जगह पानी व बाढ़ रहती है तभी सिचाई देने के लिए निर्मित हो रही है। यह कोशी की बाढ़ कम करने और सिंचाई देने के बजाय सिर्फ ठेकेदारों को फायदा पहुंचाएगी ऐसा प्रतीत होता है।
आदेश विवरण में राज्य सरकार द्वारा दिए गये शपथ का जिक्र है कि कोशी त्रासदी 2008 के पुनर्वास के लिए बिहार कोशी फ्लड रिकवरी प्रोजेक्ट और कोशी बेसिन डवलपमेंट प्रोजेक्ट चल रहे है। विश्व बैंक से चलने वाली इस परियोजना का हकीकत यह है कि कुसहा त्रासदी के 2,36,632 पूर्ण ध्वस्त घरों में बिहार कोशी फ्लड रिकवरी प्रोजेक्ट में 60 हजार लगभग लोगों के घर बनाने के बाद परियोजना को बंद कर दिया गया और कोशी बेसिन डवलपमेंट प्रोजेक्ट में तो पुनर्वास कम्पोनेंट को ही हटा दिया गया है। हाई डैम की चर्चा तो 70 वर्षों से सुनाकर नेता और सरकार लोगों को गुमराह करते रहते है। यह बनेगा कि नही अलग सवाल है परन्तु वैकल्पिक सवालों पर काम तो तत्काल शुरू करना चाहिए।
कोशी नव निर्माण मंच ने अपनी विज्ञप्ति में कहा कि संगठन ने पहल करके पीड़ित लोगों, जमीनी कार्य करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ देश भर के जन वैज्ञानिक, पर्यावरणविद, नदी व पानी के विशेषज्ञों को एक प्लेटफार्म लाकर कोशी पीपल्स कमिशन की प्रक्रिया शुरू किया है| जिसमें विश्व बांध आयोग की सदस्य रह चुकी सुप्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर, देश के जाने-माने पर्यावरण वैज्ञानिक डाक्टर रवि चोपड़ा, संयुक्त राष्ट्र संघ में क्लाइमेट चेंज कमिटी के सलाहकार रह चुके जनवैज्ञानिक सौम्या दत्ता, आई.आई.टी कानपुर के प्रोफेसर और कोशी सहित अन्य नदियों के अध्येता प्रो राजीव सिन्हा, नेपाल के सुप्रसिद्ध कोशी के विशेषज्ञ अजय दीक्षित, कोशी और बिहार की नदियों के विशेषज्ञ रंजीव कुमार, युवा शोधकर्ता और एडवोकेट डाक्टर गोपाल कृष्ण, नेपाल के देवनारायण यादव, सामाजिक कार्यकर्ता डाक्टर राजेन्द्र रवि ने स्वेच्छा से योगदान देने को स्वीकार किया। मंथन अध्ययन केंद्र के श्रीपाद धर्माधिकारी, जैव विविधता पर कार्य रहे युवा पर्यावरण शोधकर्ता नचिकेत केलकर, सुप्रीम कोर्ट के वकील शवाहिक सिद्दीकी ने भी योगदान दिया है। कोशी सहित अन्य नदियों के विशेषज्ञ डाक्टर दिनेश कुमार मिश्र, पूर्व आईएसएस और नदी विशेषज्ञ गजानन मिश्र , सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ट अधिवक्ता संजय पारिक भी सलाहकार के रूप में समय-समय पर सहयोग करने को स्वीकार किये हैं।
पीपल्स कमीशन 23 व 24 फरवरी को पटना में पीपल्स कन्वेंशन का आयोजन कर रहा है जिसमें उपरोक्त लोगों के समग्र प्रयास अंतरिम रिपोर्ट को लाने की प्रक्रिया चल रही है। पहले दिन 23 फरवरी को नव ज्योति निकेतन में कोशी के जानकर और क्षेत्र के लोग उस प्रस्तावित अंतरिम रिपोर्ट को अंतिम रूप देंगे और 24 फरवरी को एन एन सिन्हा में उसे जारी करते हुए कोशी के व्यापक सवालों पर चर्चा व आगे की रणनीति की घोषणा होगी। इस आयोजन में उपरोक्त सदस्यों में से अनेक लोग उपस्थित रहेंगे। जल संसाधन मंत्री सहित अन्य लोगों को भी इसमें आने का निमंत्रण भेजा जा रहा है।