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खाई खोद कर रास्ता बंद किये जाने पर डीएम से मिले ग्रामीण , आवागमन बहाल

बहराइच। कतरनिया घाट वन्य जीव प्रभाग के ककरहा रेंज के अंतर्गत नौबना गांव के ग्रामीणों ने सोमवार को जिलाधिकारी से मिलकर वन विभाग द्वारा झुडिया बाबा कुटी से मधवापुर तक जाने वाला सैकड़ों वर्ष पुराने रास्ते को खाई खोद कर बंद किये जाने पर विरोध दर्ज कराया। ग्रामीणों ने डीएम को पत्र देकर रास्ता बंद होने से हो रहीं दिक्कतों कि जानकारी देते हुए हस्तक्षेप करने की मांग की।

ग्रामीणों ने बताया कि मोतीपुर तहसील का नौबना ग्राम पंचायत-जंगल की किनारे बसा है। गांव में जंगल के रास्ते झुडिया बाबा कुटी से मधवापुर तक जाने वाला मार्ग सैकड़ों वर्ष पुराना है। इस मार्ग पर ग्राम पंचायत नौबना के मजरा बुटनिहा पुरवा, महतिआना पुरवा और टेपरा समेत कई मजरों के निवासी लोग अपने खेतों तक जाने के लिए रास्ते का प्रयोग करते हैं। ककरहा रेंज के वनकर्मियों ने इस रास्ते को 10 मार्च 2023 को जेसीबी से खाई खोदकर बंद कर दिया। वन कर्मियों द्वारा लोगों को आने जाने से मना कर दिया गया है। लोगों के गन्ने को गन्ना क्रय केंद्र उर्जा बाजार तक लाने नहीं दिया जा रहा है। फलस्वरूप उनका कटा हुआ गन्ना सूख रहा है। तिलहन की फसल भी खेतों में सड़ रही है। विकल्प के रूप में अन्य कोई रास्ता भी मौजूद‌ नहीं है।

ग्रामीणों ने बताया कि कृषि उपज को लाने ले जाने का एकमात्र रास्ता जंगल होकर ही था। नाराज ग्रामीणों ने प्रदर्शन भी किया और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से मुलाकात भी की लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। इसके बाद  गांव के लोग वन अधिकार आंदोलन , गिरजा पुरी बहराइच गए और सामाजिक कार्यकर्ता जंग हिंदुस्तानी से मुलाकात की। उन्होंने गांव के लोगों से जिलाधिकारी डॉ दिनेश चंद्र तथा प्रभागीय वनाधिकारी आकाशदीप वधावन से मुलाकात करायी। जिलाधिकारी ने ग्रामीणों की बात को गंभीरता पूर्वक सुनते हुए डीएफओ से बात की और निर्बाध रूप से लोगों के आवागमन को बहाल कराया। डीएफओ और ग्रामीणों के बीच वन संरक्षण में सहयोग के साथ रास्ते के प्रयोग की सहमति बनी।

नौबना गांव के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व वन अधिकार समिति के अध्यक्ष राधेश्याम ने किया। ग्रामवासी प्रेम नारायण का कहना है कि हम लोग हमेशा से ही जंगल को लगाने और बचाने का काम करते चले आए हैं और आगे भी वन संरक्षण में सहयोग करते रहेंगे।

सामाजिक कार्यकर्ता जंग हिंदुस्तानी ने बताया कि रास्ता बंद होने से ग्रामीण बहुत परेशान थे और धरना प्रदर्शन की तैयारी कर रहे थे लेकिन उन्होंने ग्रामीणों को जिलाधिकारी और प्रभागीय वन अधिकारी से मुलाकात करके अपनी बात रखने के लिए कहा जिसका सार्थक परिणाम निकल कर के आया है। जंगल का रास्ता प्रयोग करने वाले ग्रामीणों को वन और वन्यजीवों को बचाने की जिम्मेदारी का भी निर्वहन करना चाहिए।

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