गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय संबद्ध महाविद्यालय शिक्षक संघ (गुआक्टा) कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह द्वारा शिक्षकों की समस्याओं को हल नहीं किये जाने से क्षुब्ध होकर 20 मई से प्रस्तावित सेमेस्टर परीक्षा के बहिष्कार के निर्णय लिया है।
अध्यक्ष प्रोफेसर केडी त्रिपाठी और महामंत्री प्रोफेसर धीरेंद्र प्रताप सिंह ने 16 मई को कुलसचिव को मांग पत्र सौंपते हुए चेताया कि एक सप्ताह पूर्व आंदोलनरत शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल के साथ कुलपति ने जिन मांगों पर सहमति जताई थी उस पर अब तक क्रियान्वयन नहीं हुआ जिससे आक्रोशित शिक्षकों ने परीक्षा बहिष्कार का अप्रिय निर्णय लिया है। शिक्षकों के इस निर्णय के लिए पूरी तरह कुलपति का शिक्षक विरोधी रवैया जिम्मेदार है।
शिक्षक नेताओं ने कहा कि आठ सप्ताह के ग्रीष्मावकाश, पिछले 3 वर्ष से शिक्षकों का परीक्षा पारिश्रमिक और मूल्यांकन संबंधी भुगतान नहीं हुआ है। यहां तक कि केंद्र पर परीप्रेक्षणकार्य करने वाले शिक्षकों का भी कोई भुगतान नहीं हुआ है। नए शिक्षकों के शोध हेतु छह माह के अवकाश में छूट का सर्कुलर जारी नहीं किया गया। महाविद्यालय के प्रोफेसर को विश्वविद्यालय के विभिन्न समितियों में प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया। गेस्ट हाउस का मनमानी किराया वापस नहीं लिया गया, प्रोन्नति हेतु विषय विशेषज्ञ देने में जानबूझकर हीला हवाली की जा रही है, स्नातक शिक्षकों को शोध की सुविधा नहीं प्रदान की गई। इससे कुलपति का शिक्षक विरोधी रवैया स्पष्ट है।
शिक्षको ने एक सप्ताह का मौका दिया था और कुलपति ने सभी मांगों पर सहमति जताई थी लेकिन आन्दोलन समाप्त होते ही कुलपति का पुराना रवैया सामने आ गया है।ऐसी स्थिति मे परीक्षा बहिष्कार के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचता है। नेता द्वय ने कहा कि देवरिया, कुशीनगर और गोरखपुर के नोडल केंद्र प्रभारियों ने भी परीक्षा बहिष्कार के निर्णय को पूर्ण समर्थन देने का वादा किया है।