गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर से सम्बद्ध महाविद्यालय शिक्षक संघ (गुआक्टा) के महामंत्री प्रोफेसर धीरेंद्र प्रताप सिंह ने गोरखपुर विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र विभाग द्वारा शोध निदेशक बनाए जाने में नियमों की अनदेखी करने पर तीव्र रोष जताया है।
श्री सिंह ने कहा कि पिछले दिनों गुआक्टा के शिष्टमण्डल और कुलपति के बीच हुई वार्ता का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन करते हुए राजनीत शास्त्र विभाग महाविद्यालयों के प्राचार्यो को शोध निदेशक बनाने में आनाकानी कर रहा है, जिसे गुआक्टा बर्दाश्त नहीं करेगी। राजनीतिशास्त्र विभाग के डीआरसी की पहली बैठक में प्राचार्यो को यह कहते हुए शोध निदेशक नहीं बनाया गया कि अभी वे प्रोबेशन पीरियड में है जबकि यूजीसी की नियमावली प्रस्तुत कर यह बताया गया कि प्रोबेशन पीरियड में भी वे शोध निर्देशक बन सकते हैं तो अगली बैठक में विभाग द्वारा यह कहते हुए अडंगा लगा दिया गया कि प्राचार्य शिक्षक नहीं होते। एक बार पुनः यूजीसी नियमावली और प्रदेश सरकार द्वारा 2016 में जारी निर्देश का हवाला देते हुए यह अवगत कराया गया कि प्राचार्य को प्रोफेसर पद नाम मिल गया है और भी शोध निदेशक हो सकते हैं तो राजनीतिशास्त्र विभाग के डीआरसी की बैठक में यह कहते हुए मामले को लटका दिया गया है कि विश्वविद्यालय नियमावली में संशोधन की जरूरत पड़ेगी। राजनीति शास्त्र विभाग का यह रवैया शिक्षक विरोधी और हठधर्मिता का प्रतीक है।
गुआक्टा महामंत्री ने कहा कि यदि इसी विश्वविद्यालय के शिक्षा शास्त्र और हिंदी विभाग के डीडीआरसी द्वारा प्राचार्य को शोध निदेशक बनाया जा सकता है तो आखिर राजनीश शास्त्र विभाग को इसमें क्या परेशानी है ? जब कुलपति का घेराव किया गया था तो इस बिंदु पर कुलपति ने सहमति भी जताई थी और एक सर्कुलर जारी करने का वादा किया था लेकिन सब वादों को धत्ता दिखाते हुए राजनीति शास्त्र विभाग ने एक बार पुनः मनमानी की है जिसे गोरखपुर विश्वविद्यालय संबद्ध महाविद्यालय शिक्षक संघ बर्दाश्त नहीं करेगा और आर-पार की लड़ाई लड़ेगा।