गोरखपुर। सपा छोड़ने के बाद राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के अध्यक्ष बने पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कुशीनगर लोकसभा से चुनाव लड़ने की घोषणा की है। उन्होंने इंडिया गठबंधन से समर्थन की आशा भी प्रकट की है।
सोशल मीडिया पर पोस्ट कर उन्होंने कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि ‘ राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के गठन दिनांक 22 फरवरी से लेकर आज तक निरंतर इंडिया गठबंधन को जिताने और मजबूत बनाने का प्रयास करता चला आ रहा हूँ, इसी क्रम में देशवासियों से हमने अपील भी किया कि संविधान बचाओ-भाजपा हटाओ, लोकतंत्र बचाओ-भाजपा हटाओ, देश बचाओ-भाजपा हटाओ। इंडिया अलायन्स में सम्मिलित यूपी की दोनों बड़ी पार्टियों के नेताओं से मेरी वार्ता भी हुई एवं उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप मैंने पांच नामों की सूची भी भेजी और मैं प्रतीक्षा करता रहा कि उस पर निर्णय कर इन्ही दोनों पार्टियों की ऒर से तय किये गये नामों की घोषणा भी हो, किंतु आज-तक घोषणा नहीं हुई।
श्री मोर्य ने लिखा है कि ‘ अस्तु लम्बी प्रतीक्षा के बाद लोकसभा कुशीनगर की जनता की मांग को देखते हुए, कुशीनगर की जनता के सम्मान, स्वाभिमान व विकास का संकल्प लेकर, मैं कुशीनगर लोकसभा के प्रत्याशी के रूप में, कुशीनगर की जनता को समर्पित कर रहा हूँ तथा देवरिया लोकसभा में राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के प्रत्याशी एस.एन. चौहान होंगे, शेष नामों की घोषणा भी शीघ्र किया जायेगा। ‘
‘ अब देखना यह है कि इंडिया गठबंधन में सम्मिलित दल मुझे इंडिया गठबंधन का हिस्सा मानते है या भीम आर्मी प्रमुख, चंद्रशेखर आजाद एवं अपना दल (कमेरावादी), पल्लवी पटेल की तरह गठबंधन का हिस्सा न होने का प्रमाण पत्र देते हैं। ’
श्री मौर्य ने जनवरी 2024 को सपा से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्होंने एमएलसी का भी पद छोड़ दिया। इसके बाद 22 फरवरी को दिल्ली में हुए राष्टीय शोषित समाज पार्टी का उन्हें अध्यक्ष चुना गया था। उस वक्त उन्होंने कहा था कि वे इंडिया गठबंधन को मजबूत करने का कार्य करेंगे।
स्वामी प्रसाद मौर्य दो वर्ष पहले भाजपा छोड़ सपा में आए थे। उस वक्त वे श्रम मंत्री थे। सपा में आने के बाद वह कुशीनगर जिले के फाजिलनगर विधानसभा से चुनाव लडे लेकिन भाजपा प्रत्याशी से हार गए। सपा ने उन्हें बाद में एमएलसी बना दिया था।
श्री मौर्य का राजनीतिक जीवन काफी लम्बा है। उन्होंने 1980 से लोकदल से अपने राजनैतिक जीवन की शुरूआत की और जनता दल से होते हुए 1996 में बसपा में आए। वह 1996 में पहली बार 13वीं विधानसभा के लिए विधायक चुने गए थे। उसके बाद वह 2002 में फिर विधायक बने। वह 2007 में विधान परिषद सदस्य रहे। वे बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। बसपा सरकार में वे पंचायती राज मंत्री थे। बसपा के विपक्ष में रहने पर उन्होंने नेता विरोधी दल की भूमिका निभायी थी।
श्री मौर्य की मौर्य, कुशवाहा समाज में अच्छी पकड़ मानी जाती है।
श्री मौर्य कुशीनगर जिले की पडरौना सीट पहली बार 2009 के उपचुनाव में बसपा से लड़े थे और जीते। इसी वर्ष वह पडरौना लोकसभा सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा था लेकिन कांग्रेस के आरपीएन सिंह से हार गए थे।
इसके बाद वह 2012 में भी इसी सीट से चुनाव जीते। वर्ष 2016 में उन्होंने बसपा छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा के टिकट पर पडरौना सीट से विजयी होने के बाद उन्हें श्रम मंत्री बनाया गया था
वर्ष 2017 में उनके बेटे उत्कृष्ट मौर्य रायबरेली के उंचाहार विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे लेकिन करीब दो हजार मत से हार गए थे। वर्ष 2019 में स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य भाजपा के टिकट पर बदायूं से लोकसभा का चुनाव लड़ीं और जीतीं। इस बार भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया है।