लोकसभा चुनाव 2024

आखिर क्यो अखिलेश सिंह और मुन्ना सिंह के रास्ते जुदा हुए

महराजगंज लोकसभा क्षेत्र में इंडिया गठबंधन से कांग्रेस के प्रत्याशी वीरेन्द्र चौधरी के समर्थन को लेकर महराजगंज के बड़े सियासी परिवार के दो भाइयों के रस्ते जुदा हो गए। पूर्व सांसद अखिलेश सिंह और उनके छोटे भाई पूर्व विधायक कौशल सिंह उर्फ मुन्ना सिंह अब एक दूसरे के सामने आ गए हैं। मुन्ना सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन का ऐलान कर दिया। उन्होंने रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की सभा पर मंच भी साझा किया। दूसरी तरफ पूर्व सांसद अखिलेश ने कहा कि वे न तो इंडिया गठबंधन का समर्थन करेंगे न भाजपा का। उनका संगठन पूर्वांचल किसान यूनियन चुनाव में अपनी भूमिका जल्द तय करेगा।

पूर्व सांसद अखिलेश सिंह ने 14 मई को निर्दल प्रत्याशी के रूप में महराजगंज लोकसभा से नामांकन किया था लेकिन उनका नामांकन पत्र जांच में खारिज कर दिया गया। इसके बाद से ही दोनों भाइयों में विवाद शुरू हुआ। पूर्व विधायक कौशल सिंह उर्फ मुन्ना सिंह ने 18 मई को पत्रकार वार्ता बुलायी और उसमें कहा कि चूंकि उनके बड़े भाई अब चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, इसलिए वे इंडिया गठबंधन से कांग्रेस के प्रत्याशी वीरेन्द्र चौधरी का समर्थन करेंगे।

उन्होंने कहा कि विषम परिस्थिति में कांग्रेस ने उनको नौतनवा विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया था और राहुल गांधी उनके समर्थन में सभा करने में आए थे। इस अहसान को वह भूले नहीं हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनके क्षेत्र में तमाम विकास कार्य कराए। इसलिए इस मौके पर वह दोनों नेताओं के साथ खड़े हैं और इंडिया गठबंधन के लिए वोट मांगेगे।

मुन्ना सिंह की पत्रकार वार्ता के तुरंत बाद उनके बड़े भाई पूर्व सांसद अखिलेश सिंह ने भी पत्रकार वार्ता बुलायी। इसमें उन्होंने अपने छोटे भाई की तरफ इशारा करते हुए आरोप लगाया कि उनका नामांकन पत्र खारिज होने के पीछे परिवार के ही लोग हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आज से उनका राजनीतिक रास्ता मुन्ना सिंह से अलग हो गया। मुन्ना सिंह भले इंडिया गठबंधन का समर्थन करें लेकिन वे न तो भाजपा का साथ देगें न इंडिया गठबंधन का। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस ने अपने सरकार में स्वामीनाथन कमेटी की अनुशंसा के अनुरूप किसानों को एमएसपी नहीं दिया। महराजगंज लोकसभा में अपनी भूमिका पूर्वांचल किसान यूनियन की बैठक में तय करेंगे।

श्री सिंह ने नौ अगस्त 2023 को पूर्वांचल किसान यूनियन का गठन किया था और ऐलान किया था इस संगठन के जरिए वे किसान हितों को लेकर जन आन्दोलन खडा करेंगेे। पूर्वांचल किसान यूनियन बनाने का फैसला उन्होंने तब किया जब समाजवादी पार्टी में उन्हें अलग-थलग कर दिया गया था। संगठन को सपा हाईकमान से साफ निर्देश मिला था कि जिले में सपा के काम काज में अखिलेश सिंह की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए। इसके बाद सपा के कई नेताओं ने सोशल मीडिया पर पूर्व सांसद अखिलेश सिंह के खिलाफ आरोप लगाए। इन आरोपों सबसे प्रमुख आरोप यह था कि सपा में रहते हुए उन्होंने अपनी व्यक्तिगत राजनीति करते रहे। सपा को मजबूत करने का कोई कार्य नहीं किया।

दरअसल विधानसभा चुनाव 2022 के चुनाव में पूर्व सांसद के सपा नेतृत्व से मतभेद उभर आए। अखिलेश सिंह सिसवा व कुछ अन्य विधानसभाओं में जिन उम्मीदवारों को टिकट दिलाना चाहते थे, उसे सपा नेतृत्व ने नहीं माना और अपनी पसंद के उम्मीदवार उतारे।

आरोप है कि इस कारण श्री सिंह विधानसभा चुनाव में सक्रिय नहीं रहे। चुनाव वाद सपा के कुछ नेताओं ने उन पर गंभीर आरोप भी लगाए थे।

अखिलेश सिंह लोकसभा चुनाव हर हाल में लड़ना चाहते थे। सपा से टिकट की संभावनाएं धूमिल पड़ने पर उन्होंने कांग्रेस से टिकट का भी प्रयास किया लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने पूर्वांचल किसान यूनियन का सम्मेलन कर निर्दल प्रत्याशी के बतौर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया और नामांकन भी कर दिया।

मुन्ना सिंह अपने बड़े भाई के चुनाव लड़ने के फैसले से सहमत नहीं थे। पहले भी कई बार अपने बड़े भाई के राजनीतिक निर्णयों से असहमत होने के बाद भी वे उनके साथ खड़े रहे थे। इस बार उन्होंने अपनी राजनीति खुद से तय करने का निर्णय लिया। इसलिए जब अखिलेश सिंह का नामांकन खारिज हो गया तब वे तुरंत कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में आ गए।

मुन्ना सिंह के कदम से हैरान हुए अखिलेश सिंह ने फौरन उनसे राजनीतिक रास्ता अलग करने का निर्णय ले लिया। अखिलेश सिंह इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी का समर्थन न करने के पीछे सपा कुछ नेताओं द्वारा उनके विरूद्ध की गयी बयानबाजी के साथ-साथ कांग्रेस प्रत्याशी वीरेन्द्र चैधरी को पूर्व मंत्री अमर मणि त्रिपाठी परिवार द्वारा समर्थन दिए जाने को भी कारण बता रहे हैं। उनका कहना है कि वह ऐसे प्रत्याशी के साथ नहीं खड़े हो सकते जिसका समर्थन उनके धुर विरोधी अमरमणि त्रिपाठी करेगें।

उन्होंने 19 मई को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की अड्डा बाजार में हुई सभा में मुन्ना सिंह की मौजूदगी पर भी सवाल उठाया। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर कहा कि मुन्ना सिंह सिर्फ एक विधानसभा सीट के लिए इतना गिर गए कि उन्होंने सपा जिलाध्यक्ष के साथ मंच शेयर कर लिया जिसने उनके खिलाफ अपमानजनक बातें कहीं थी।

अखिलेश सिंह 1991 से 1995 के बीच दो बार नौतनवा से विधायक रहे। वे 1999 में 13वीं लोकसभा के लिए महराजगंज से सांसद चुने गए थे। उनके भाई कुंवर कौशल सिंह उर्फ मुन्ना सिंह 2012 में नौतनवा से कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे।

दोनों भाई तीन दशक से अधिक समय से महराजगंज जिले की राजनीति में सक्रिय हैं। दोनों भाई बाहुबली नेता एवं पूर्व मंत्री अमर मणि त्रिपाठी के कट्टर विरोधी हैं। आज भले दोनों भाइयों के रास्ते जुदा हुए लेकिन अपने पूरे राजनीतिक जीवन में यह परिवार तमाम उतार चढाव के बाद भी समाजवादी पार्टी के साथ रहा। यह भी रहा कि जब -जब समाजवादी पार्टी ने उन पर अमरमणि त्रिपाठी या किसी और नेता को तरजीह दी, दोनों ने पार्टी के बजाय अपने राजनीतिक हितों को उपर रखा।

दोनों भाइयों को राम-लक्ष्मण की जोडी के बतौर देखा जाता रहा है। अखिलेश सिंह राजनीतिक सिद्धांतों की बात ज्यादा करते हैं जबकि मुन्ना सिंह लोगों से सीधे जुड़े रहते हैं। दोनों को राजनीति की स्टाइल अलग रही है लेकिन 1985 से एक दूसरे के पूरक ही बने रहे। पहली बार दोनों एक दूसरे के खिलाफ सार्वजनकि बयानबाजी पर उतरे हैं।

दोनों भाइयों के इंटरव्यू न्यूज चैनलों व सोशल मीडिया पर साया हो रहे हैं। हाल के दिनों में और इस लोकसभा चुनाव में हाशिए पर चला गया ‘ कुंवर परिवार ‘ अचानक चर्चा में आ गया है। लोगों दोनों भाइयों के हर गतिविधि में गहरी दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

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