साहित्य - संस्कृति

प्रेमचंद जयंती पर सेंट जोसेफ कॉलेज फॉर वीमेन में व्याख्यान और नाट्य मंचन

गोरखपुर। प्रेमचंद जयंती पर आज सुबह सेंट जोसेफ कॉलेज फॉर वीमेन में व्याख्यान और नाट्य मंचन आयोजित किया गया।

कार्यक्रम के प्रारंभ में वरिष्ठ पत्रकार और संस्कृतिकर्मी मनोज कुमार सिंह ने ‘ गोरखपुर में प्रेमचंद’ विषय पर बोलते हुए प्रेमचंद के किशोर वय के चार वर्ष और फिर सहायक अध्यापक के बतौर नार्मल स्कूल में साढ़े चार वर्ष के गोरखपुर प्रवास के दौरान उनके रचनाकर्म व जीवन की घटनाओं पर विस्तार से चर्चा की।

उन्होंने कहा कि गोरखपुर प्रेमचंद की कर्मभूमि है। किशोरावस्था में गोरखपुर में उन्हें अध्ययन की रुचि जागृत हुई और बतौर कहानीकार उनका अंकुरण हुआ। गोरखपुर के दूसरे प्रवास में वे 18 अगस्त 1916 को बस्ती से नार्मल स्कूल में सहायक अध्यापक होकर आये। यहीं पर हिन्दी में उनकी रचनाओं के प्रकाशन का सिलसिला शुरू हुआ। ‘ सेवासदन’ और ‘ प्रेमाश्रम’ उपन्यास गोरखपुर में रहते हुए लिखा। यहीं उनकी फ़िराक़ गोरखपुरी, दशरथ प्रसाद द्विवेदी, मनन्न गजपुरी से मित्रता प्रगाढ़ हुई। महात्मा गांधी की सभा में उन्होंने शिरकत की और ‘ स्वराज -विजय ‘ के लिए नौकरी छोड़ दी।

व्याख्यान के बाद इप्टा के कलाकारों ने डॉ मुमताज़ ख़ान के निर्देशन में प्रेमचंद की कहानी ‘ दुराशा’ पर आधारित नाटक का मंचन किया। नाटक परदा प्रथा के ख़िलाफ़ स्त्री प्रतिरोध को स्वर देता है। नाटक में सेवती की भूमिका रीना श्रीवास्तव, दयाशंकर की विनोद चंद्रेश, सरिता की भूमिका में कुसुम लता और आनंद मोहन की भूमिका अभिषेक शर्मा ने निभाई। गायन में मुकेश श्रीवास्तव, शैलेंद्र निगम के साथ -साथ विनोद चंद्रेश व अभिषेक शर्मा थे। मंच परिकल्पना सीमा मुमताज़ का था जबकि नाट्य रूपांतरण डॉ मुमताज़ ख़ान ने किए था।

 

इस मौक़े पर कॉलेज के प्राचार्य फादर आगस्टीन ने कहा कि प्रेमचंद ने अपनी कहानियों और उपन्यासों में स्त्री जीवन की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया और स्त्री मुक्ति के तमाम आयामों पर विमर्श प्रस्तुत किया।

इस मौक़े पर वरिष्ठ पत्रकार कामिल ख़ान, प्रेस क्लब के पूर्व महामंत्री मनोज यादव उपस्थित थे।

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