सुपौल (बिहार)। कोसी नव निर्माण मंच ने आठ अगस्त को कोशी को बाढ़ प्रभावित घोषित कराने, कटाव पीड़ितों को नियमानुकूल क्षतिपूर्ति दिलाते हुए उन्हें सरकारी जमीन पर बसाने सहित 12 सूत्रीय मांगों के लिए डिग्री कॉलेज चौक पर एक दिवसीय धरना दिया।
धरना को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कोशी तटबंध के भीतर घरों व रास्ते में भरे हुए पानी में रहने की पीड़ा बताई। साथ ही हो रहे कटाव में अभी सामनों के नदी में समा जाने की की व्यथा बताई।
बाढ़ के लिए सरकारी प्रावधानों के अनुरूप 5 दिन ही नदी के पानी से घिरे रहने वाले गांव बाढ़ पीड़ित होते है। उस स्थिति में महीनों से बाढ़ की पीड़ा झेल रहे लोगों के प्रति प्रशासन संवेदनशील नही है।
इस मौके पर 12 सूत्रीय मांग पत्र जिला पदाधिकारी के अनुपस्थिति में उप विकास आयुक्त से वार्ता करते हुए दिया गया। उप विकास आयुक्त ने पूरी मांगों को समझने के बाद जिला पदाधिकारी के आने के बाद उनसे कार्रवाई करने के लिए कहने का आश्वासन दिया।
धरने को अशोक कुमार, मो सदरुल, मोजुल्हक, परमेश्वर यादव, गौकरण सुतिहार, मो अब्बास, श्याम यादव, शिव नारायण साह मुकेश कुमार यादव, माले नेता अरविंद शर्मा, बैरिया के मुखिया तुलाय पासवान, संजय कुमार, विजय साह, हासिम, भूपेंद्र यादव अरविंद मेहता, संदीप यादव, रामचंद्र यादव, दुखी लाल, संतोष मुखिया, सुनील, संजय, अरुण, महेंद्र यादव, मनिका देवी, प्रमोद राम, प्रियंका, धर्मेंद्र राजेंद्र यादव, रौशन कुमार,अमलेश यादव, भीम सदा, जय प्रकाश, मनोज, रामचद्र शर्मा उमेश इत्यादि ने संबोधित किया। अध्यक्षता भुवनेश्वर प्रसाद और संचालन इंद्र नारायण सिंह ने किया।
धरणे में शामिल होने के लिए लोग कहीं दो तो कहीं तीन नदियों को पार कर आए थे। कई किलोमीटर तक कमर भर पानी में चलते हुए महिला-पुरुष धरना में पहुंचे। कुछ लोग तो रास्ते की दुश्वारियों की वजह से सुबह 6 बजे चले तो दिन 12 बजे पहुंच पाए।
जिले के निर्मली प्रखंड के डगमारा पंचायत के सिकरहटा, सराय गढ़ प्रखंड के ढोली पंचायत के सिआनी के कटाव पीड़ित, मरौना प्रखंड के घोघररिया पंचायत के खोखनहा, मेनहा, बेला, किशनपुर प्रखंड के बौराहा पंचायत के मानिकपुर, बौराहा, झकराही, गोढ़ीआरी, सोनवर्षा, नोआबाखर पंचायत के खाप, हांसा, परसाही, दिघिया पंचायत के दुबिआही, बेला, मौजहा, सुपौल सदर प्रखंड के घूरण पंचायत के निर्मली बैरिया पंचायत के मुंगरार, घिवक, सुर्तीपट्टी बलवा पंचायत के डुमरिया लालगंज, बसबिट्टी पंचायत के मुसहरनिया,तेलवा पंचायत के सितुहर, नया नगर इत्यादि गांवों के लोग आए थे।
मांग पत्र :
(1) सुपौल जिले के कोशी पूर्वी तटबंध और पश्चिमी तटबंध/ सुरक्षा बांधगाइड बांध के बीच के गांवों को बाढ़ घोषित कर, निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया (SOP ) के तहत कार्य हो।
(2) सभी कटाव पीड़ितो को जिन्हे बसने को जमीन नहीं है। उन्हे सरकारी जमीन में बसाया जाए। पक्के व कच्चे घर का का सर्वे करके क्षतिपूर्ति दिया जाए।
(3) तटबंध के भीतर जहाँ गाँव कट रहे है और जिन-जिन गांवों में जरूरत लग रही है वहां पर कम्युनिटी किचन की व्यवस्था करायी जाए।
(4) कटाव पीड़ितों के समान निकालने के लिए सरकारी नावों को भेजा जाए।
(5) मुफ्त साहाय्य राशि (G.R.) के लिए 7000 रूपये का भुगतान सभी बाढ़ पीड़ित परिवारों को दिया जाए। साथ ही उसकी सूची में राशन कार्ड के बजाय अनुश्रवण समिति से अनुमोदित कराकर यथार्थ सूची बनवाई जाए। सूची को सार्वजनिक किया जाए जिससे यदि किसी त्रुटिवश किसी के नाम उसमें छूट जाते है तो उन वंचित परिवारों के नाम जोड़ने की मुकम्मल व्यवस्था हो।
(6) तटबंध के बीच बड़े क्षेत्रफल में मूंग की फसल बर्बाद हुई है। बिचड़ा भी डूबने से ख़राब हुआ है। जहाँ धान की कुछ रोपनी हुई थी वह भी डूबने के कारण नष्ट हुई है। अनेक गांवों मे पानी के दबाव के कारण एक भी फसल नहीं लगी है। इसलिए उन सभी क्षेत्रो का सर्वे कराकर किसानों को फसल इनपुट अनुदान का लाभ दिए जाएं।
(7) सभी घाटों पर अनुबंधित नावों के बोर्ड/ फ्लैक्स लगवाये जाएं। जहाँ नावें नही है वहां नावों को व्यवस्था की जाए।
(8) तटबंध के भीतर नावों पर मोबाइल डिस्पेंसरी स्थापित कराकर, इलाज के लिए सभी गाँवो में भेजा जाए।
( 9) कोशी तटबंध के बीच के लोगों का सर्वे कराकर पुनर्वास से वंचित लोगों को पुनर्वास दिलाया जाए। साथ ही कोशी बाढ़ कटाव से विस्थापित होकर तटबंध/बांध या आसपास की जमीन में बसे लोगों का भी सर्वे कराकर पुनर्वासित कराया जाए। वैसे परिवार जिनके पुनर्वास स्थलों पर दूसरे के कब्जे है, उन्हें और जिनके परिवार बढ़ने से पुनर्वास छोटा पड़ रहा है, उनको भी पुनर्वास दिया जाए। इस सभी परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ देते हुए उनके घर बनाने के लिए पैसे भी दिए जाए।
(10) तटबंध के बीच के लोगों के कल्याण के लिए बने कोशी पीड़ित विकास प्राधिकार को खोजवाने में उसमें वर्णित कार्यकमों को धरातल पर उतरने में अपने स्तर से पहल करे|
(11) सरकार द्वारा 4 हेक्टेयर तक के माफ़ लगान की वसूली पर रोक लगवाएं और अब तक वसूल की गयी राशि व्याज सहित वापस करें। लगान मुक्ति कानून/आदेश लाकर सम्पूर्ण लगान व सेस माफ करें। साथ ही जमीन का मालिकाना हक किसानों के पास रहे। प्रत्येक साल बाढ़ से उनकी फसलों व जमीन की हुई क्षति का क्षतिपूर्ति दें।
(12) कोशी के समस्या की निदान के दीर्घकालिक उपायों की पहल भी की किया जाए।