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बौद्ध परिपथ की दस दिवसीय यात्रा ‘ चरथ भिक्खवे ’  15 अक्टूबर से सारनाथ से शुरू होगी

गोरखपुर/वाराणसी। बुद्ध की करुणा, मैत्री और संवाद का सन्देश लेकर विश्व शांति के लिए समर्पित बौद्ध परिपथ की दस दिवसीय यात्रा ‘ चरथ भिक्खवे ‘  15 अक्टूबर से सारनाथ से शुरू होगी। दस दिवसीय यह यात्रा सारनाथ से बोध गया, नालंदा, राजगीर, पटना, वैशाली, केसरिया, कुशीनगर, कपिलवस्तु, लुम्बिनी, श्रावस्ती, कौशांबी होते हुए 24 अक्टूबर को सारनाथ में सम्पन्न होगी। इस यात्रा में कवि, लेखक, कलाकार इतिहासविद् और समाजशास्त्रियों का समूह शामिल हो रहा है। इस यात्रा में बौद्ध स्थलों का भ्रमण,  स्थानीय लोगों से संवाद के साथ-साथ विचार गोष्ठी व  काव्य पाठ के कार्यक्रम भी होंगे।

यह जानकारी यात्रा के संयोजक प्रो सदानंद शाही ने एक विज्ञप्ति में दी।

प्रो शाही प्रेमचंद साहित्य संस्थान के निदेशक हैं। वे छत्तीसगढ़ के शंकराचार्य विश्वविद्यालय के कुलपति और बीएचयू के हिंदी विभाग के अध्यक्ष रह चुके हैं।

उन्होंने यात्रा के उद्देश्य के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि ‘अप्प दीपो भव का संदेश देने वाले गौतम बुद्ध को दुनिया महान शिक्षक के रूप में याद करती है। प्राचीन भारत के इतिहास में एक हजार वर्षों तक धम्म की जिस विशाल तरंग ने समूचे भारत को सराबोर कर दिया था, उसके सर्वोच्च शिखर पर जो महिमामयी मूर्ति विराजमान है, दुनिया उन्हें शाक्य मुनि गौतम बुद्ध के नाम से जानती है। प्राचीन भारत में उन्हीं की प्रेरणा से एक महान सामाजिक बदलाव और धर्म, साहित्य, कला और संस्कृति में एक नव जागरण का सूत्रपात हुआ।

उन्होंने कहा कि आधुनिक भारत में भी उन्नीसवीं शताब्दी से जिस महान नवजागरण का आरंभ हुआ उसकी प्रेरणा का एक शक्ति स्रोत भगवान बुद्ध हैं। वर्तमान विश्व , युद्ध और युद्ध की आशंकाओं से त्रस्त है। सत्य असत्य का संघर्ष, स्वयं को श्रेष्ठ दिखाने का संघर्ष, अधिकार का संघर्ष आदि कितने ही संघर्षों से अटी पड़ी है मानव सभ्यता। ऐसे में हर अबोले प्रश्न का उत्तर हैं बुद्ध। बुद्ध अर्थात शांति, बुद्ध अर्थात ज्ञान और बुद्ध अर्थात प्रेम। भगवान बुद्ध ने भिक्षुओं से कहा था ‘ चरथ भिक्खवे चारिकं बहुजन हिताय,बहुजन सुखाय, लोकानुकंपाय .. अर्थात् भिक्षुओं बहुजन सुख के लिए बहुजन हित के लिए,लोगों को सुख पहुँचाने के लिए निरन्तर भ्रमण करते रहो।हम बुद्ध की इसी शिक्षा को ध्यान  में रखते हुए करुणा, मैत्री और संवाद का सन्देश लेकर ‘बुद्ध की धरती पर कविता’पी शीर्षक यात्रा करते रहे हैं। विगत पांच वर्षों में पांच यात्राएँ कुशीनगर (2019), लुम्बिनी (2020), बोध गया (2022), सारनाथ(2023) और  कुशीनगर (2023)  में कर चुके हैं।

प्रो शाही ने बताया कि  कविता यात्रा के पांच वर्ष पूरे होने पर हम विश्व शांति के लिए समर्पित बौद्ध परिपथ  की दस दिवसीय यात्रा चरथ भिक्खवे करने जा रहे हैं। इसमें कवि लेखक कलाकार इतिहासविद् और समाजशास्त्रियों का वृहत्तर समूह शामिल हो रहा है।यात्रा 15 अक्टूबर 2024 को सारनाथ से शुरू होकर 24 अक्टूबर 2024 को सारनाथ में ही पूरी होगी। बुद्ध अपने जीवन में लुम्बिनी, कपिलवस्तु, बोध गया, सारनाथ, वैशाली ,नालन्दा, राजगीर, श्रावस्ती, कौशाम्बी से लेकर कुशीनगर तक निरन्तर भ्रमण करते रहे। बुद्ध की वाणी का प्रादुर्भाव इन स्थानों की सामाजिक संरचना और संस्कृति से अन्त:क्रिया करते हुए हुआ है। इस यात्रा के दौरान हम बुद्ध की बानी और उनसे जुड़े स्थानों की पारस्परिकता का अनुभव करेंगे। हमारे लिए यह  भी दिलचस्प अनुभव होगा कि भारत के पूर्वी हिस्से के एक छोटे से भूभाग में विकसित विचार किस तरह ढाई हज़ार वर्ष बाद भी समकालीन विश्व को आलोकित करने में सक्षम हैं।

यात्रा विवरण 

पहला दिन -15 .10.2024, मंगलवार

सारनाथ से बोध गया दूरी 250 किमी 5.00 घंटे

प्रस्थान 10 बजे सुबह। पहुँचना 4 बजे दिन में।

शाम 5-7 विचार गोष्ठी काव्यपाठ एवं भ्रमण !

भोजन एवं रात्रि विश्राम

दूसरा दिन-16.10.2024, बुधवार

बोध गया से नालन्दा 72 किमी 2 घंटे

प्रस्थान 9 बजे सुबह । पहुँचना 11बजे दिन । नालन्दा का भ्रमण ।

नालन्दा से राजगीर की दूरी 13 किमी आधा घंटा

प्रस्थान 1 बजे दिन में । पहुँचना 1.30 बजे दिन में ।दोपहर का भोजन। भ्रमण एवं विचार गोष्ठी। समय 4.30घंटे।

राजगीर में रात्रि विश्राम

तीसरा दिन-17.10.2024, वृहस्पतिवार

राजगीर से पटना के लिए प्रस्थान सुबह 8 बजे

10-12 पटना में विचार गोष्ठी/ काव्यपाठ एवं दोपहर का भोजन रात्रि विश्राम

चौथा दिन-18.10.2024, शुक्रवार

पटना से वैशाली की दूरी 31 किमी 1.30 घंटे

प्रस्थान 8 बजे सुबह में । पहुँचना 10 बजे दिन में। भ्रमण 2 घंटे

वैशाली से केसरिया की दूरी 75 किमी 2.30 घंटे

प्रस्थान 1 बजे । पहुँचना 3 बजे ।

केसरिया से कुशीनगर 175 किमी 3 घंटे

प्रस्थान 5 बजे दिन में । पहुँचना 8 बजे शाम। भोजन एवं रात्रि विश्राम

पाँचवाँ दिन-19.10.2024, शनिवार

प्रात: कुशीनगर में भ्रमण । विचार गोष्ठी दो घंटे । दोपहर का भोजन

कुशीनगर से कपिलवस्तु की दूरी 120किमी 3 घंटे

प्रस्थान 2 बजे दिन में । पहुँचना 5 बजे शाम । भ्रमण एवं लुम्बिनी के लिए प्रस्थान

कपिलवस्तु से लुम्बिनी की दूरी 55 किमी 2 घंटे

प्रस्थान 7 बजे शाम । पहुँचना 9 बजे शाम ।भोजन एवं रात्रि विश्राम

छठां दिन-20.10.24, रविवार

लुंबिनी में भ्रमण, दोपहर का भोजन, काव्यपाठ

लुम्बिनी से श्रावस्ती के लिए प्रस्थान 5 बजे शाम । पहुँचना 7 बजे शाम। भोजन एवं रात्रि विश्राम

सातवाँ दिन-21.10.2024, सोमवार

श्रावस्ती में भ्रमण, विचार गोष्ठी, रात्रि भोजन एवं विश्राम

आठवाँ दिन-22.10.2024,मंगलवार

श्रावस्ती से कौशाम्बी की दूरी 320 किमी 8 घंटे

प्रस्थान प्रात: 7 बजे

कौशांबी पहुँचना 6 बजे शाम । भोजन एवं रात्रि विश्राम

नवाँ दिन-23.10.2024, बुधवार

कौशांबी में भ्रमण एवं विचार गोष्ठी। दोपहर का भोजन।

कौशांबी से सारनाथ की दूरी 215 किमी 4 घंटे

प्रस्थान 4 बजे शाम । पहुँचना 8 बजे शाम।

दसवाँ दिन-24.10.2024, वृहस्पतिवार

प्रात: 10 बजे से भ्रमण, विचार गोष्ठी, काव्य पाठ, भ्रमण