साहित्य - संस्कृति

‘ चरथ भिक्खवे ’ : सारनाथ में कविता पाठ के साथ यात्रा का आगाज, बोधगया में ‘ देशज बुद्ध ’ का विमोचन

बोधगया। बौद्ध परिपथ की दस दिवसीय यात्रा  ‘चरथ भिक्खवे’ मंगलवार शाम सारनाथ से अपने दूसरे पड़ाव पर मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के सामने स्थित राजस्व सर्वे एवं प्रशिक्षण संस्थान पहुँची। प्रो. सदानंद शाही के नेतृत्व में समस्त यात्रियों ने  जलपान के बाद बोधगया में महाबोधि मंदिर का दर्शन किया। यात्रियों का स्वागत बीटीएमसी कार्यालय में भंते धर्मेंद्र ने किया।

इस मौके पर राजस्व प्रशिक्षण संस्थान में  किताब ‘ देशज बुद्ध ‘ पुस्तक का विमोचन हुआ। कार्यक्रम में पुस्तक के प्रधान संपादक चर्चित कथाकार रणेन्द्र ने बुद्ध के विचारों और बौद्ध धर्म की संस्कृति तथा झारखंड की आदिवासी संस्कृति के मध्य आदान-प्रदान के संदर्भ में अपनी बात रखी। झारखंड में प्रचलित बुद्ध की अनेक किंवदंतियों का पुरावशेषों के आधार पर विश्लेषण इस पुस्तक में किया गया है।

सारनाथ में वरिष्ठ कवि ज्ञानेन्द्र पति कविता पाठ करते हुए

यात्रा के संयोजक प्रो. शाही ने देश को जानने, उसकी प्रतीति करने और अंततः उससे सच्चा प्रेम करने के संदर्भ में ‘चरथ भिक्खवे’ यात्रा के मूल भाव को व्यक्त किया। उन्होंने बुद्ध के संबंध में नए तथ्यों की दिलचस्प खोज के लिए रणेन्द्र को बधाई दी और उम्मीद जताई कि मैत्री, करुणा, सद्भाव का व्यापक संदेश जन-जन तक पहुँच सकेगा।

प्रो. रामसुधार सिंह ने ढाई हजार साल पहले राजकुमार सिद्धार्थ के बुद्ध बनने की यात्रा तथा उस समय प्रचलित धार्मिक और सामाजिक रूढ़ियों से संघर्ष की बात की। बुद्ध द्वारा लोकानुकंपाय दी गई देशना का भी उल्लेख उन्होंने किया। विमोचित पुस्तक में देशज नाम के आकर्षण के बारे में भी बताया।

इंग्लैंड में पले-बढ़े और बोधगया में ‘ द रुट फाउंडेशन ‘ के निदेशक कबीर सक्सेना ने तिब्बती बौद्ध परम्परा द्वारा नालन्दा ज्ञान परम्परा को वर्तमान समय मे आगे बढ़ाने की बात रखी। इस बात पर ज़ोर दिया कि भीतर की यात्रा अधिक महत्त्वपूर्ण है जिससे वास्तविक रूप में सब सुखी हो पाएं।

सारनाथ में साखी पत्रिका के 40 वें अंक ‘ बुद्ध की धरती पर कविता ‘ का विमोचन

मुख्य अतिथि और ‘ अँधेरे में बुद्ध ‘ की लेखिका डॉ. गगन गिल ने यात्रा के सांस्कृतिक-साहित्यिक महत्त्व को रेखांकित किया। ‘ देशज बुद्ध ‘ पुस्तक के रणेन्द्र की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि बुद्ध के पथ का अनुसरण आज और अधिक ज़रूरी हो गया है।

कार्यक्रम की अध्यक्षा और वरिष्ठ आलोचक डॉ. रंजना अरगड़े ने अपने जीवन के प्रमुख उद्देश्यों में एक, बोधगया आने के, बारे में बताया। इस संदर्भ में पाली और बौद्ध साहित्य के प्रकांड विद्वान डॉ. धर्मानन्द दामोदर कोसंबी की पुस्तक का भी उल्लेख किया जिसमें 100 साल पहले बोधगया और बौद्ध धर्म की उजड़ी हुई स्थिति के बारे में दिलचस्प बयान किया गया है।

मंच संचालन डॉ. परम प्रकाश राय और आभार ज्ञापन कार्यक्रम के स्थानीय संयोजक डॉ. राकेश कुमार रंजन ने किया। इस अवसर पर डॉ. अनुज लुगून, डॉ. पृथ्वीराज सिंह, डॉ. शैलेन्द्र, डॉ. पिंटू कुमार, डॉ. अनुज कुमार तरुण, डॉ. अम्बे कुमारी, डॉ. रमाशंकर सिंह, प्रकाश उदय, डॉ. कुणाल किशोर, अंशुप्रिया, चाहत अन्वी, रवीन्द्र, अलोक की विशिष्ट उपस्थिति के अतिरिक्त मगध विश्वविद्यालय और दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के अनेक विभागों के विद्यार्थियों की सक्रिय उपस्थिति रही।

बोधगया में पुस्तक ‘ देशज बुद्ध ‘ का विमोचन

कार्यक्रम में  ‘साखी’ पत्रिका की  ‘ बुद्ध की धरती पर कविता’ अंक और ‘ बुद्ध के बढ़ते कदम’ अंक प्रदर्शित किया गया था जिसमें विद्यार्थियों और  शिक्षकों ने काफी रुचि दिखाई।

केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान सारनाथ में कविता पाठ और ‘साखी’ के 40वें अंक ‘ बुद्ध की धरती पर कविता ‘ के विमोचन से शुरू हुई यात्रा 

 बौद्ध परिपथ की साहित्यिक-सांस्कृतिक यात्रा ‘ चरथ भिक्खवे ‘ का आगाज 15 अक्टूबर को  केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान सारनाथ के परिसर में आयोजित कार्यक्रम के साथ हुआ। केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान के कुलपति प्रो. डब्ल्यू डी नेगी की कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि बुद्ध के उपदेश में एक प्रकाश था जिसने समस्त मानव जाति को दया, करुणा, सहानुभूति, त्याग और सेवा का संदेश दिया।

अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के सदस्य डॉक्टर के सुमेध थेरो ने बौद्ध चिंतन में दो प्रकार की प्रमुख यात्राओं का जिक्र करते हुए इस यात्रा की महत्ता को उजागर किया। कवि ज्ञानेंद्रपति ने अपनी कविता ‘ सारनाथ के प्रांगड़ में ‘ का पाठ किया। कवियित्री गगन गिल ने अपनी कविता ‘ घूम रहे हैं उद्विग्न बुद्ध ‘ का पाठ किया।

पुस्तक ‘ देशज बुद्ध ‘

यात्रा के संयोजक प्रो.सदानन्द शाही ने अतिथियों का स्वागत और संचालन डॉ. रामसुधार सिंह ने किया। इस अवसर पर प्रेमचन्द साहित्य संस्थान की त्रैमासिक पत्रिका ‘साखी’ के चालीसवें अंक ‘बुद्ध की धरती पर कविता ‘ का विमोचन किया गया।

 कार्यक्रम में शहर के साहित्यकार, कलाकार एवं समाजसेवी उपस्थित थे।