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दलित नेता श्रवण कुमार निराला पुलिस हिरासत में ?

गोरखपुर। अम्बेडकर जन मोर्चा के संस्थापक और बांसगांव क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव लडे दलित नेता श्रवण कुमार निराला को आज अपरान्ह साढे चार बजे पुराने आरटीओ आफिस के पास टाटा सूमो गाड़ी में आए चार-पांच लोग जबरन पकड़ कर ले गए। परिजनों ने आशंका व्यक्त की है कि श्रवण कुमार निराला को सादे वर्दी में आयी पुलिस पकड़ कर ले गयी है और उन्हें किसी फर्जी मामले में फंसा दिया जाएगा।

श्रवण कुमार निराला आज अपरान्ह साढ़े चार बजे पुराने आरटीओ आफिस के पास सपा नेता संजय यादव के साथ बातचीत कर रहे थे। इसी समय वहां एक टाटा सूमो आयी। सूमो से उतरे चार-पांच लोगों ने निराला को पकड़ लिया और उन्हें जबरन अपने साथ लेते गए।
श्रवण कुमार निराला के भाई आदर्श निराला ने घटना की जानकारी देते हुए आशंका व्यक्त की कि उनके भाई को पुलिस गैरकानूनी तरीके से पकड़ कर ले गयी है और उन्हें किसी फर्जी मामले में फंसा दिया जाएगा। इसके पहले पुलिस दो बार ऐसा कर चुकी है। कई बार उन्हें आधी रात को हिरासत में लेकर प्रताड़ित किया गया है। परिजनों को भी पुलिस बार-बार तंग करती रही है।

सपा नेता संजय यादव ने बताया कि जिस तरह श्रवण कुमारा निराला को ले जाया गया उससे वह हतप्रभ हैं।

श्रवण कुमार निराला छात्र राजनीति में सक्रिय होने के बाद बहुजन समाज पार्टी में आए। वे करीब 23 वर्ष तक बसपा में रहे। वे बस्ती, देवीपाटन, फैजाबाद, आजमगढ़, गोरखपुर में 10 वर्ष से अधिक समय तक कोआर्डिनेटर रहे।

जुलाई 2019 में वे बसपा से अलग हो गए और एक नया संगठन अम्बेडकर जन मोर्चा बनाया।

उन्होंने दलितों और गरीबों को रिहाइश और खेती के लिए एक-एक एकड़ जमीन देने की मांग को लेकर लम्बा आंदोलन चलाया था। इसी आंदोलन के तहत कमिश्नर कार्यालय परिसर में धरना-प्रदर्श के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। उनके साथ रिटायर्ड आईजी एस आर दारापुरी, पत्रकार-लेखक रामू सिद्धार्थ सहित कई लोगों को गिरफतार किया गया था। सभी लोग दो सप्ताह से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद जमानत पर छूटे।

श्री निराला ने इस साल हुए लोकसभा चुनाव में बांसगांव संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा था।

इस समय वे माइक्रोफाइनेंस कम्पनियों के कर्ज जाल में फंसे लोगों की मदद के लिए मुहिम चला रहे थे। उन्होंने मांग की थी कि गरीब महिलाआंे के माइक्रोफाइनेंस के कर्जे माफ किए जाएं।

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