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दलित नेता श्रवण कुमार निराला की जमानत अर्जी खारिज

गोरखपुर/महराजगंज। फरेंदा के न्यायिक मजिस्ट्रेट अखिल कुमार निझावन ने अम्बेडकर जन मोर्चा के मुख्य संयोजक श्रवण कुमार निराला की जमानत अर्जी आज खारिज कर दी। श्री निराला पर माइक्रोफाइनेंस कम्पनियों द्वारा महिलाओं को दिए गए कर्ज को न भरने के लिए उकसाने का आरोप है।

इसी बीच जानकारी मिली है कि इन्हीं आरोपों में श्री निराला के खिलाफ गोरखनाथ थाने में भी एफआईआर दर्ज की गई है।

अम्बेडकर जन मोर्चा के मुख्य संयोजक और संगठन की राष्ट्रीय अध्यक्ष सीमा गौतम के खिलाफ महराजगंज के फरेंदा थाने में 15 अक्टूबर को माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशन नेटवर्क (एमएफआईएन) के असिस्टेंट वाइस प्रेसीडेंट धीरज सोनी ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 318 (4), 338, 336(3), 340(2), 56 में एफआईआर दर्ज करायी थी।

श्री निराला को 15 अक्टूबर को दोपहर बाद 4.30 बजे पुराने आरटीओ आफिस के सामने से एक सूमो में सादे वर्दी में आए पुलिस कर्मी पकड़ ले गए थे। परिजनों को आज पता चला कि श्री निराला को फरेंदा में दर्ज एफआईआर में गिरफ्तार किया गया है और उन्हें फरेंदा थाने ले जाया गया है।

परिजनों ने अपने अधिवक्ता यशवंत कुमार के जरिए  फरेंदा के न्यायिक मजिस्टेट के समक्ष निराला की जमानत अर्जी प्रस्तुत की। श्री निराला के अधिवक्ता यशवंत कुमार ने कहा कि श्री निराला ने कोई जुर्म नहीं किया है। वे एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और अम्बेडकर जन मोर्चा संगठन का सदस्य हैं। वे  समाज के पीडित लोगों को न्याय दिलाने तथा उनकी पीड़ा को उच्च  अधिकारियों तक पहुंचाने का कार्य करते हैं। उनका उक्त फाइनेन्स कम्पनी तथा उक्त कम्पनी के लिए गए ऋणी महिलाओं से दूर-दूर तक कोई जान पहचान व वास्ता नहीं है। ऐसी दशा में प्रार्थी का जमानत प्रार्थना पत्र स्वीकार किया जाना चाहिए।

सहायक अभियोजन अधिकारी ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि अपराध अजमानतीय तथा अत्यन्त गंभीर प्रकृति का है और इसमें आजीवन कारावास तक  सजा हो सकती है।

न्यायिक मजिस्टेट अखिल कुमार निझावन ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद श्रवण कुमार निराला की जमानत अर्जी खारिज कर दी। न्यायिक मजिस्टेट ने अपने आदेश में कहा कि अभियुक्त पर माइक्रो फाइनेन्स इन्स्टीट्यूशन नेटवर्क द्वारा निर्गत समूह लोन को संबंधित महिलाओं को लोन न भरने के लिए उकसाने एवं फर्जी व कूटरचित तरीके से उनका अंगूठा निशानी लेकर लोन न भरने का आश्वासन देकर फार्म भरवाने एवं फाइनेन्स द्वारा लोन मांगने पर डण्डा दवाई का प्रयोग करने का आरोप है। मामले में विवेचना प्रचलित है। अभियुक्त द्वारा किया गया अपराध गम्भीर व अजमानतीय प्रकृति का है। मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए जमानत का आधार पर्याप्त नहीं है।

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