गोरखपुर। डॉक्टर -सिपाही विवाद में सिपाही और उनके परिजनों की एफआईआर दर्ज न किये जाने पर मुखर हुआ नागरिक समाज अब संगठित आंदोलन की दिशा में बाढ़ चल है। विधान परिषद सदस्य देवेन्द्र प्रताप सिंह की अगुवाई में एक दिन के उपवास और अधिकारियों को ज्ञापन दिए जाने के बाद अब तक पुलिस ने सियापही पंकज कुमार की एफआईआर दर्ज नहीं की है। सिपाही पंकज कुमार जमानत पर रिहा हो चुके हैं। अब नागरिक समाज ने लोगों को इस मुद्दे पर जागरूक करने के लिए जन जागरण अभियान शुरू कर दिया है।
इस क्रम में 20 अक्टूबर की सुबह विधान परिषद् सदस्य देवेन्द्र प्रताप सिंह की अगुवाई में रामगढ़ ताल स्थित नौकाविहार पर आम नागरिकों और मार्निंग वाकर्स के साथ जन संवाद का आयोजन किया गया जिसमें महानगर के अनेक प्रबुद्ध जनों, शिक्षकों अधिवक्ताओं, विविध सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलो के लोग दलीय सीमाएं तोड़ कर शामिल हुए।
एमएलसी देवेन्द्र प्रताप सिंह ने इस मौके पर लोगों से आह्वान किया कि वे संगठित होकर इस अन्याय और क्रूरता का विरोध करें। जनसंवाद के दौरान वहां मौजूद लोगों सर्वसम्मति से यह संकल्प लिया कि मानवता को कलंकित करने वाला इस घटना के जिम्मेदार डॉ. अनुज सरकारी का बहिष्कार किया जाय और आरोपी डाक्टर दम्पति तथा उनके स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई होने तक यह आन्दोलन विभिन्न चरणों में अनवरत चलता रहेगा।
जनसंवाद में बड़ी संख्या में मौजूद आम नागरिकों को सम्बोधित करते हुए एम०एल०सी० देवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि डाक्टर के जेल जाने तक यह आन्दोलन चलता रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि चिकित्सा का पेशा अत्यन्त संवेदनशील व आम लोगों के जीवन से जुड़ा हुआ है जिसमें अनेक चिकित्सकों के अच्छे आचरण और उत्कृष्ट सेवा की प्रशंसा किये बिना नहीं रहा जा सकता। किन्तु दुर्भाग्य का विषय है कि ऐसे संभ्रान्त और जनसेवा के सहनीय कार्य भी कुछ चिकित्सक कलंकित कर रहे हैं।
एमएलसी देवेन्द्र प्रताप सिंह ने राज्य सरकार से मांग की कि व्यापक जनहित को दृष्टिगत रखते हुए सरकार को निजी नर्सिंग होम/चिकित्सालय चलाने वाले चिकित्सकों की सरकारी अस्पतालों की भॉति परामर्श फीस निर्धारित की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि फीस और जांच के गोरखधन्धे में लिप्त लोग गरीब जनता का शोषण और खुली लूट कर रहे है। सरकार सभी चिकित्सकीय जांचों का भी न्यूनतम शुल्क निर्धारित करे इस के साथ ही निजी प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सकों के लिये यह भी नियम दिन में अधिक्तम 50 से अधिक मरीज न देखें। निजी चिकित्सकों की फीस और जांच केवल ऑनलाईन मोड में किया जाए। मारिकों को डाक्टरों के अस्पताल से दवा लेने को बढ़ी नहीं किया जाए। पैक्टिसनर्स के संस्थानों पर आयकर की नियमित मानीटरिंग भी जनहित में अत्यन्त आवश्यक हैं। सरकार ने यदि उपरोक्त व्यवस्था बना दी तो सेवा भाव से विहीन डाक्टरों का लूट खसोट और भ्रष्टाचार स्वतः समाप्त हो जाएगा और गरीब जनता को बड़ी राहत मिलेगी।
लोगों को सम्बन्धित करते हुए पूर्व विधायक शीतल पाण्डेय ने कहा कि यह अन्याय के खिलाफ न्याय की लड़ाई है और हम न्याय के पक्ष में जनता के साथ इस आन्दोलन में पूरे मनोयोग और प्रतिवद्धता के साथ है।
इस जन आन्दोलन के संयोजक पार्षद विश्वजीत त्रिपाठी ने कहा कि इस घोर अपराध से आहत हो कर जनता सड़क पर उतर गई है।
गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष राम सिंह, राधेश्याम सिंह, डॉ. भानु प्रताप सिंह ने कहा कि यह लड़ाई अब जनता की अदालत में है और मांग पूरी न होने पर जेपी आंदोलन की तर्ज पर इसे प्रदेशव्यापी बनाया जाएगा।
जन आन्दोलन को समाजवादी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष चन्द्रवली यादव, डॉ अन्नू प्रसाद, तारकेश्वर शाही, धर्मेन्द्र कुमार त्रिपाठी, शिक्षक नेता सत्यपाल सिंह, जगदीश पाण्डेय, संयुक्त कर्मचारी परिषद के नेता डॉ. वृज लाल तिवारी, शशिकान्त दूवे आलोक कुमार शुक्ला, राजूमणि, डॉ धीरेन्द्र सिंह, डॉ उमेश सिंह, डॉ दान पान सिंह, डॉ सुधांशु शेखर सिंह, डॉ इन्द्रजीत सिंह लीडर, डॉ प्रियवर्द्धन सिंह, डॉ सुशील त्रिपाठी, ओम नारायण पाण्डेय, डॉ चन्द्रशेखर, चौधरी रत्नेश मिश्र, अरूण मिश्रा एडवोकेट, श्रीकृष्ण दूबे एडवोकेट, डॉ अनिल चन्द समेत अनेक लोगों ने सम्बोधित किया। नौका विहार से लोग जुलूस की शक्ल में पैडलेगंज तिराहे तक गए और वहाँ स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।