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माड़ापर, तकिया मेदनीपुर व कोनी गांव के किसानों ने नया गोरखपुर के लिए जमीन देने से मना किया

डीएम को ज्ञापन देकर कहा – भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना तत्काल वापस ली जाय नहीं तो वे आंदोलन होगा

गोरखपुर। पूर्व जिला पंचायत सदस्य कुँवर प्रताप सिंह की अगुवाई में माड़ापर, तकिया मेदनीपुर व कोनी गांव के किसानों ने जिलाधिकारी करयाली पहुंचकर नया गोरखपुर के लिए जबरन भूमि अधिग्रहण का आरोप लगते हुए कहा कि भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना तत्काल वापस ली जाय नहीं तो वे आंदोलन करेंगे।

किसानों ने जिलाधिकारी करायले को ज्ञापन भी दिया।

किसानों ने ज्ञापन में कहा कि गोरखपुर विकास प्राधिकरण द्वारा नया गोरखपुर बसाने के नाम पर माड़ापर, तकिया मेदनीपुर व कोनी के काश्तकारों की जमीन अधिग्रहण की अधिसूचना 19 सितम्बर को जारी की है। जमीन अधिग्रहण के लिए किसानों की सहमति के बिना अधिसूचना प्रकाशित की गई है। भूमि-अर्जन, पुनर्वास एवं पुर्नस्थापन का अधिकार अधिनियम में स्पष्ट है कि जिन ग्रामों में 80 प्रतिशत से अधिक किसान किसी भी परियोजना का विरोध करते हैं तो भूमि अर्जन नहीं हो सकता। ग्राम-माड़ापार, तकिया मेदनीपुर व कोनी में शत-प्रतिशत किसान अधिग्रहण के विरूद्ध हैं तो अधिग्रहण का विज्ञापन ही अवैध, शून्य तथा निष्प्रभावी है।

ज्ञापन में किसानों ने कहा कि सभी किसान भूमि अधिग्रहण के विरूद्ध हैं तो गोरखपुर विकास प्राधिकरण को 19 सितम्बर 2024 को समाचार पत्रों में दिये गये विज्ञापन अधिसूचना को जनहित, किसान हित में वापस ले लेना चाहिए अन्यथा किसान आन्दोलन के लिए बाध्य होंगे। जिसकी सारी जिम्मेदारी शासन-प्रशान की होगी।

किसानों ने कहा कि माड़ापार, तकिया मेदनीपुर व कोनी गांव शहर से 15 कि.मी. के अन्दर बसा हुआ है, जो पर्यावरण की दृष्टि से हरा-भरा है। ये गांव तुर्रा नाला व फरेन नाला के पास नेशनल हाइवे के किनारे हैं। यहाँ 10 लाख से 20 लाख रुपये प्रति डिस्मिल जमीन की वर्तमान बाजार मूल्य है। गोरखपुर विकास प्राधिकरण द्वारा 70 हजार से एक लाख रुपये प्रति डिस्मिल मुआवजा दिये जाने की बात हो रही है। किसानों से जबरन आउने पाउने दाम में जमीन अधिग्रहण कर गोरखपुर विकास प्राधिकरण द्वारा बहुमंजिली इमारत बनाकर अधिक मूल्य पर फ्लैट बेचकर मुनाफा कमांना चाहता है।

इन गांवों में जमीन अधिग्रहण होने से छोटे किसान भूमिहीन हो जाएंगे। जबरन भूमि अधिग्रहण करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का सर्वथा उल्लंघन है। मुआवजा (प्रतिकर) भी भू-अर्जन पुनर्वास एवं पुनर्व्यस्थापना एवं प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम-2013 के प्रावधानों के विरुद्ध है।

किसानों ने बताया कि जमीन अधिग्रहण का आधार सर्किल रेट वर्ष-2016 को बनाया गया है जो अनुचित है।

ज्ञापन देने आए किसानों में मदन विश्वक‌र्मा मलेन्दु निषाद संजय जायसवाल, विरेन्दर जायस‌वाल, सुनील मौर्य, अशोक जायसवाल हरीलाल, राणा प्रताप सिंह, भुमेश सिंह, श्रीटांय यादव, राजन‌बादव, केन्दन यादव, राम गोविन्द निषाद, अन्जय मिद्धा, गुड्डुचादव, बिर्तन्दर सिंह, लाल विहारी यादव, जितेन्दर उमर मोलाई,  पडराई यादव श्यामदेव साहनी, मुस्तकीम, राजु यादव, उजारी निषाद, रामप्रतीकारक, प्रवीण निषाद, मन्दपाल यादव, गणेश निषाद, यश मणि, जन प्रमाय निषाद, नन्द लाल निषाद, संतोष गुप्ता, अरविन्द निषाद,  रामरेखा गुप्ता, ओमप्रकाश गुप्ता, सरोज चौरसिया, विष्णु चौरसिया, मनीष यादव, अभिनव सिहं आदि शामिल थे।

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