सुपौल। कोशी नव निर्माण मंच ने डीएम को 17 सूत्रीय मांग पत्र भेजते हुए तटबंध के भीतर कोशी की बाढ़ से प्रभावित लोगों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) व मानदर के तहत राहत कार्य तेज करते हुए क्षतिपूर्ति देने की मांग की है। साथ ही अपनी दीर्घ कालिक मांगों को दुहराते हुए पुनर्वास, प्राधिकार, लगान मुक्ति सहित कोशी के समाधान की बात उठाई है।
संगठन ने अपने मांग पत्र में इस भीषण आपदा के समय रेस्क्यू कार्य की कमियों, नावों के अभाव में भूखे प्यासे छप्पर पर कई दिनों तक बिलख रहे लोगों की पीड़ा का जिक्र करते हुए कहा है कि मानक संचालन प्रक्रिया का अनुपालन हो और तय मानदर के अनुसार सभी राहत व क्षतिपूर्ति कार्य तेज से किया जाए।
तटबंध के भीतर के सभी गांवों में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव हो। पीड़ित परिवारों को साहाय्य अनुदान की सूची में कर्मियों के मनमानी के कारण राशन कार्ड की अनिवार्यता के नाम पीड़ित वंचित परिवारों के नाम जोड़ा जाए। बाढ़ में ध्वस्त हुए घरों का सर्वे कराकर गृह क्षति का भुगतान किया जाए। गाय, भैंस, बैल, बछड़े, बकरी इत्यादि मृत और नदी की धारा में समा गये पशुओं के क्षतिपूर्ति का सर्वे का क्षतिपूर्ति दिलाई जाए। विभागीय नियमों के अनुरूप क्षतिग्रस्त वस्त्र, बर्तन की निर्धारित राशि 2000 हजार और 1800 दिया जाए।
मांग पत्र में कहा गया है कि 33% से अधिक क्षतिग्रस्त फसलों का सर्वे कराकर फसल इनपुट का लाभ दिलाया जाए। गावों में मेडिकल कैंप और पशुओं के इलाज के लिए भी कैंप लगवाएं जाए। तटबंध के भीतर के पशुओं के लिए भी चारा दिया जाए। बसंतपुर अंचल के छितौनी सहित अन्य बुरी तरह से प्रभावित गांवों का जांच कर बाढ़ प्रभावित माना जाए। शिक्षा के लिए वहां विशेष योजना बनाई जाए। साथ ही पारदर्शिता अपनाते हुए अनुबंधित और चलाई गई नावें के साथ ही संचालित बाढ़ राहत कैम्प/ कम्युनिटी किचन की जानकारी सार्वजनिक की जाए।
संगठन मांग पत्र में अपनी दीर्घकालिक मांगों को दोहराते हुए मांग किया है कि तटबंध के भीतर सर्वे कराकर पुनर्वास से वंचित लोगों को पुनर्वास दिया जाए। इन लोगों के कल्याण के लिए बने कोशी पीड़ित विकास प्राधिकार को पुनः सक्रिय व प्रभावी बनाया जाए।
विशेष भू सर्वे में रैयतों की पेचीदगी दूर करने और लगान मुक्ति की बात उठाई है।
संगठन ने कोशी बाढ़ के समाधान के लिए उपलब्ध तथ्यगत आंकड़ों के आधार पर कहा है कि इसका समाधान कोशी मेची परियोजना या डगमारा का बराज नही है| इसलिए कोशी नदी की सभी छाडन धाराओं का सर्वे कराकर उन्हें पुनर्जीवित कराया जाए| उन्हें नियंत्रित तरीके से कोशी का पानी डायवर्ट करने से बाढ़ की समस्या कुछ हद तक कम हो जाएगी|