गोरखपुर। दीदउ गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और पूर्वांचल में शिक्षा, स्वास्थ्य व पर्यावरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य करने वाले प्रो राधे मोहन मिश्र की याद में 6 नवंबर को गोरखपुर जर्नलिस्ट्स प्रेस क्लब के सभागर में स्मृति सभा का आयोजन किया गया। लोक अभियान द्वारा आयोजित इस सभा में उपस्थित लोगों ने प्रो मिश्र के व्यक्तित्व व कृतित्व की चर्चा करते हुए अपनी यादें साझा की।
स्मृति सभा में उपस्थित गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो चितरंजन मिश्र ने कहा कि प्रो राधे मोहन मिश्र स्वाधीन और स्वतंत्र व्यक्तित्च के थे। वे कर्म के उत्साह के प्रतीक थे। वे निरंतर कर्म में लगे रहे। सेवानिवृत्त होने के बाद भी शिक्षा, स्वास्थ्य व पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य करते रहना उनके कर्मयोगी जीवन का प्रमाण है।
उन्होंने कहा कि प्रो राधे मोहन ने अराजकता के शिकार हुए गोरखपुर विश्वविद्यालय को एक क्रेन की भांति पटरी पर लाने का कार्य किया। वे किसी भी दबाव और धमकी के आगे नहीं झुके। आप उनसे बहस करते हुए अपने मानसिक क्षितिज का विस्तार कर सकते थे। वे नियमों-परिनियमों, संविधान और कानून का पालन करने में जिद तक अड़ते थे। वे बहस और असहमति को जगह देते थे और एक लोकतांत्रिक दायरा बनाए रखते थे। उन्होंने नाभिकीय उर्जा जैसे जटिल विषय पर हिंदी में किताब लिखी थी। उन्होंने प्रो राधेमोहन के कार्यों पर एक किताब के प्रकाशन का सुझाव दिया।
गोरखपुर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो चन्द्रभूषण अंकुर ने कहा कि प्रो राधे मोहन ने उन्हें पढ़ाया नहीं था लेकिन वे उनके लिए सदैव एक अध्यापक सरीखे थे। वे प्रतितभाशाली विद्यार्थियों की मदद के लिए तत्पर रहते थे। उनकी शख्सियत ऐसी थी कि आप उनके साथ खुलकर काम कर सकते थे। वे अपने पास आए लोगों को बहुत गहरे तक प्रभावित करते थे। उन्होंने अपने कुलपति कार्यकाल में छात्रों द्वारा भरे जाने वाले फार्म में पिता के साथ मां का नाम लिखा जाना शुरू किया था।
प्रो राधे मोहन मिश्र की सुपुत्री अराधना मिश्र ने अपने पिता को याद करते हुए कहा कि वे साधारण जनों के साथ भी गहरी आत्मीयता रखते थे। उन्होंने गरीब लड़कियों की शिक्षा के लिए कम्प्यूटर और सिलाई केन्द्र स्थापित किए थे। उन्होंने अपने जीवन में नौ लड़कियों का विवाह अपने संसाधन से किए।
लोक अभियान के सचिव अख्तर अली ने लोक अभियान की स्थापना और उसके द्वारा रसूलपुर में गरीब बच्चों के लिए स्कूल स्थापित करने और उसका भवन बनवाने में प्रो राधेमोहन मिश्र के प्रयासों को याद किया। अख्तर अली ने कहा कि वे छात्र जीवन में प्रो मिश्र के सम्पर्क में आए थे और उनसे प्रभावित होकर पूरा जीवन सामाजिक कार्य को समर्पित कर दिया।
सामाजिक कार्यकर्ता एवं मानव सेवा संस्थान के निदेशक राजेश मणि ने प्रो मिश्र द्वारा पूर्वांचल में इंसेफेलाइटिस के रोकथाम और गोरखपुर विश्वविद्यालय को नई उंचाई पर ले जाने के प्रयासों की चर्चा की।
प्रगतिशील लेखक संघ के कलीमुल हक ने प्रो राधेमोहन मिश्र एक सजर की तरह थे। उनके न रहने पर हमें उनकी कमी बेतरह महसूस हो रही है।
स्मृति सभा का संचालन कर रहे वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार सिंह ने प्रो राधे मोहन मिश्र द्वारा इंसेफेलाइटिस की रोकथाम के प्रयासों के साथ-साथ बीआरडी मेडिकल कालेज में रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर, एम्स की स्थापना के लिए चलाए गए अभियान की विस्तार से चर्चा की। श्री सिंह ने कहा कि पूर्व कुलपति द्वारा पूर्वांचल की छोटी नदियों-आमी, स्याही के अविरल प्रवाह और प्रदूषण से मुक्त रखने तथा रामगढ़ ताल को वेटलैंड घोषित कराने के लिए किए गए कार्यों की चर्चा करते हुए उनके कर्मठ व निडर स्वभाव को याद किया।
स्मृति सभा में मांधाता सिंह, सरोज सहित अनेक लोग उपस्थित थे।