समाचार

एल्युमिनी मीट में 2004 बैच के 25 शिक्षामित्र 20 साल बाद मिले, सुख-दुख साझा किया 

गोरखपुर। एल्युमिनी मीट में जनपद के 25 शिक्षामित्र हरिओम नगर स्थित एक कोचिंग संस्थान के कक्ष में एकत्रित हुए और वहां अपने बीते बीस वर्षों की बातों को याद करते हुए आगे की संभावनाओं पर चर्चा की ।

विदित हो कि विगत बीस वर्ष पहले 17 नवंबर 2004 को डायट परिसर के रानी लक्ष्मीबाई हाल में 82 शिक्षामित्रों का तीस दिवसीय प्रशिक्षण प्रारंभ हुआ जिसमें 80 लोग उपस्थित थे। उसके बाद अपने उन्होंने अपने विद्यालयों में 17 दिसंबर 2004 को शिक्षामित्र पद के रूप में ज्वाइन किया। तब से अब तक इनके बीच आपस में सामूहिक रूप से संपर्क नहीं था।

इसी को दृष्टिगत रखते हुए 20 वर्ष बाद 17 दिसंबर 2004 बैच के शिक्षामित्रों ने मिलने की योजना पर विचार किया। इन 80 शिक्षामित्रों में से दो लोग दिवंगत हो चुके हैं। बाकी 78 में से 25 लोगों ने एल्युमिनाई मीट कार्यक्रम में प्रतिभाग किया और 20 वर्ष पुराने लम्हों को याद किया। शिक्षामित्र किन्हीं कारण बस नहीं आ सके या उनको इस कार्यक्रम के बारे में जानकारी नहीं हो पाई उसके लिए भविष्य में पुनः इस तरह का कार्यक्रम आयोजित कर सभी से मिलने का प्रस्ताव पारित किया गया।

एल्युमिनी मीट की योजना और उसे मूर्त रूप देने में रंजन, अविनाश कुमार, बेचन सिंह, सुनील शर्मा, संतोष त्रिपाठी, हितेंद्र मौर्य आदि ने विशेष प्रयास किया।

इस मौके पर अविनाश कुमार शुक्ला ने कहा 20 वर्ष पूर्व तीस दिवसीय प्रशिक्षण के लिए हम सब डायट के रानी लक्ष्मीबाई हाल में मिले थे । सर्द और ठिठुरन भरे माह में जब एक -दूसरे से मिले थे तब असमंजस में होते हुए भी हम सबके चेहरे पर गर्मजोशी भरी मुस्कान तैर रही थी । इक्का- दुक्का साथियों को छोड़ दिया जाये तो कोई भी एक-दूसरे से परिचित नहीं था। इस 30 दिनी प्रशिक्षण में हम सब मित्रता की ऎसी डोर में बंधे जो समय -समय पर मिलने के लिए व्याकुल कर देता रहा है। मुझे याद है कि प्रशिक्षण के अन्तिम दो दिन अधिकतर साथियों के चेहरे पर सिर्फ बनावटी हंसी थी। बिछुड़ने का दुःख कईयों के चेहरे पर महीनों देखा गया था । प्रशिक्षण के बाद विदाई समारोह के दिन कइयों के आंखों से आंसू छलक गये थे। समय परिस्थितिवश कुछ साथियों को छोड़ हम लोग अन्य से दूर हो गये। फिर अपनी-अपनी जिन्दगी की उठा-पटक से ऎसे हैरान-परेशान हुए कि चाहे सुख हो या दुःख किसी साथी की याद नहीं आयी। याद आयी भी तो बहुत दिन बाद कारण, बात और सम्पर्क न होने की वजह से मन मारकर बैठ गये ।

बात शिक्षामित्र की समस्याओं पर भी हुई। कुछ शिक्षामित्र 68500 व 69000 में शिक्षक के रूप में चयनित हुए जिनकी संख्या बहुत ही कम है,। अभी भी प्रदेश में लगभग 152000 शिक्षामित्र साल के मात्र 11 महीने 10000 के मानदेय पर अपना जीवन यापन कर रहे हैं । बहुत सारे शिक्षामित्र इस पीड़ा को सहन ना करते हुए आर्थिक तंगी,अवसाद व गंभीर  बीमारियों के चपेट में आकर अपने प्राण त्याग दिए। इन सभी बातों के बीच सभी शिक्षामित्र साथियों को सांत्वना दी गई कि वह धैर्य व संयम से काम लें। एक न एक दिन शिक्षामित्रों के दिन भी बहुरेंगे। उनका परिवार भी खुशहाल होगा।  हम जहां जिस विद्यालय में हैं वहां उस ग्रामसभा के गरीब मजदूर, किसान के बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं। उनको हम ईमानदारी पूर्वक शिक्षा ग्रहण कराएं , अपने जिम्मेदारियों का भरपूर निर्वहन करें।

कार्यक्रम में शिवकुमार दुबे, रमेश दुबे, सुनील शर्मा, रंजू पांडेय, संतोष कुमार त्रिपाठी, प्रज्ञा सिंह, स्वर्णालता सिंह, जगदीश प्रसाद, रामदयाल यादव, प्रमोद शर्मा, संयोगिता पाल, राजेश गोंड, हितेंद्र मौर्या आदि शिक्षामित्र जुटे ।

Related posts