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 ‘ पूर्वांचल में फेमिनिज़्म ’ पर विचार गोष्ठी 15 दिसंबर को 

गोरखपुर। नई दिल्ली की संस्था मेरा रंग फाउंडेशन  ने 15 दिसंबर को दोपहर दो बजे बैंक रोड स्थित होटल विवेक में ‘ पूर्वांचल में फेमिनिज़्म ’ विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया है।

विचार गोष्ठी में  दिल्ली से हिंदी की जानी-मानी स्त्रीवादी आलोचक सुजाता शामिल होंगी। दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन कर रहीं सुजाता का हिंदी आलोचना में स्त्रीवादी दृष्टिकोण पर विशेष काम है। उन्हें वर्ष 2022 का देवीशंकर अवस्थी सम्मान भी मिल चुका है। कार्यक्रम के पैनल में गोरखपुर विश्वविद्यालय की प्रोफेसर सुनीता मुर्मू, अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन की प्रदेश महासचिव मीना सिंह, चिकित्सक और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. रीना श्रीवास्तव तथा उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष चारू चौधरी भी शामिल होंगी।

कार्यक्रम का संचालन पैसिफिक कॉलेज ऑफ नर्सिंग की प्रधानाचार्य देवयानी करेंगी।

मेरा रंग फाउंडेशन की फाउंडर और मैनेजिंग ट्रस्टी शालिनी श्रीनेत ने बताया कि मेरा रंग फाउंडेशन पिछले पांच-छह वर्षों से गोरखपुर में विभिन्न सामाजिक विषयों पर विचार गोष्ठियों का आयोजन करता आ रहा है। अब तक घरेलू हिंसा, मानसिक स्वास्थ्य, राजनीति में महिलाओं की भागीदारी और एसिड अटैक जैसे विषयों पर चर्चा आयोजित की गई है। इस बार संस्था ने ‘ फेमिनिज़्म ’ जैसे विषय को केंद्र में रखा है।

शालिनी ने कहा कि हमारे समाज में फेमिनिज़्म के पक्ष-विपक्ष पर खूब चर्चाएं होती हैं, लेकिन इसके वास्तविक स्वरूप के बारे लोगों को अभी भी बहुत कम जानकारी है। संस्था का उद्देश्य इस सेमिनार के माध्यम से फेमिनिज़्म के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करना तो है ही, साथ ही यह समझने की कोशिश करना भी है कि पूर्वांचल के समाज में इसका कितना असर है और इसे सही दिशा में ले जाने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं। शालिनी के अनुसार, गोरखपुर अपनी सांस्कृतिक और सामाजिक विविधताओं के चलते इस चर्चा के लिए एक आदर्श स्थान है। यहां पारंपरिक सोच और आधुनिक दृष्टिकोण का संगम है, जो फेमिनिज़्म के विभिन्न पहलुओं को समझने के लिए एक सही परिप्रेक्ष्य प्रदान करता है।

शालिनी श्रीनेत ने कहा कि गोरखपुर का समाज बहुत ही जागरूक और बौद्धिक है, यहां की लड़कियां भी विभिन्न क्षेत्रों में अपनी पहचान बना रही हैं, लिहाजा पिछले कार्यक्रमों की तरह यह आयोजन भी सफल होगा और इसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों, शिक्षाविदों, विद्यार्थियों और स्थानीय नागरिकों के भाग लेने की पूरी उम्मीद है।

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