मऊ। योगी सरकार के बिजली के निजीकरण के फैसले के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा उत्तर प्रदेश के आह्वान पर जिले के किसान-मजदूर, बुनकर संगठनों ने चार दिसमबर को जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा की पावर कॉरपोरेशन की घाटे के कारण निजीकरण की दलीलें बेबुनियाद और जनता की आँखों मे धूल झोंकने वाली है। यह कदम अडानी अंबानी टोरंटो जैसे कॉरपोरेट कंपनियों को फायदा पहुंचाने वाला है। सरकार इसका प्रयास कई वर्षों से करती आ रही है जो बिजली कर्मचारी किसान मजदूरों के कड़े विरोध के कारण फलीभूत नहीं हो सके। अब ट्रिपल पी के बहाने प्रथम चरण में दक्षिणांचल और पूर्वांचल विद्युत निगमों को पूजीपतियों को सौंप कर बिजली निजीकरण के काम को चालाकी से आगे बढ़ा रही है।
वक्ताओं ने कहा कि जहाँ तक बिजली के बकाया वर्ष 2023-24 तक 1लाख 10 हजार करोड़ बकाया बताया जा रहा है. जबकि बिजली बिलों का बकाया 1 लाख 15815 करोड़ है जिसका बड़ा हिस्सा सरकारी दफ्तरों इंडस्ट्रीज पुलिस विभाग आदि पर है इसे वसूल लिया जाए तो भी 5825 करोड़ फायदे में रहेगी बिजली निगम। विद्युत नियामक आयोग के अनुसार पहले से ही 34हजार करोड़ रूपया उपभोक्ताओं का निगम पर निकलता है जो उपभोक्ताओं को नहीं दिया जा रहा है। एक और तथ्य है कि हाल ही में 55 हजार करोड़ रूपया बिजली आधुनिकरण के लिए सरकार द्वारा खर्च किया जा रहा है। इसके बाद भी निजीकरण कर बिजली को कारपोरेट के हवाले किया जा रहा है।
वक्ताओं ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बिजली विभाग में 6 महीने के लिए हड़ताल पर रोक लगाने की कड़ी निंदा करते हुए बिजली कर्मचारियों अधिकारियों किसानों, मजदूरों, बुनकारों और आम जनता से एकजुट होकर बिजली निगम के फैसले की वापसी के लिए आंदोलन करने का आवाहन किया।
प्रदर्शन मे प्रमुख रूप से अब्दुल अजीम खां, बसंत कुमार, रामजी सिंह, शैलेन्द्र कुमार, सुदर्शन, विश्वराज, इक़बाल अहमद, वीरेंद्र कुमार, रामनवल, शेरमोहम्मद,श्री राम सिंह, सिकंदर, कैलाश चौहान, विद्याधर कुशवाहा, हरिलाल, छागुर चौहान, श्रवण,दिब्य कुमार सिंह, जय प्रकाश यादव, हीरा, चंद्र शेखर चौहान, राम बदन बनबासी, सुरेन्द्र राजभर, साधू यादव, फेकू राजभर, सहित सैकड़ो कार्यकर्त्ता शामिल रहे।