गोरखपुर। कवयित्री सुनीता की पुस्तक ‘ तराई की मातृदेवियाँ , भारत और नेपाल: एक नारीवादी अध्ययन ‘ का लोकार्पण और परिचर्चा का कार्यक्रम 22 मार्च को दोपहर तीन प्रेमचंद पार्क में आयोजित किया गया है। प्रेमचंद साहित्य संस्थान और जन संस्कृति मंच द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध नारीवादी आलोचक और लेखक अनिता भारती, आलोचक प्रो अनिल कुमार राय , इतिहासकार प्रो चंद्रभूषण अंकुर तथा वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार सिंह भाग लेंगे।
यह पुस्तक अतुल्य प्रकाशन दिल्ली से इसी वर्ष प्रकाशित हुई है। यह किताब दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में हुए शोध का यह संशोधित रूप है जिसमें मातृदेवियों के सैद्धांतिक आधारों का समाजशास्त्रीय और पारिस्थितिकीय परिप्रेक्ष्य में विश्लेषण किया गया है। पुस्तक में भारत और नेपाल के सीमावर्ती जिले महराजगंज और नवलपरासी को अपने अध्ययन क्षेत्र के रूप में चुना गया है लेकिन यह सम्पूर्ण भारत और नेपाल को भी विश्लेषण का आधार बनाती है। पुस्तक का रोचक हिस्सा जीवित मातृदेवियों पर केंद्रित है। नेपाल में कुमारी देवियों की प्रथा का ऐतिहासिक विश्लेषण पुस्तक को महत्वपूर्ण बनाता है। फील्ड वर्क पर आधारित यह पुस्तक कई मायनों में महत्वपूर्ण है।
इसी पुस्तक से – “देवी की अवधारणाओं में दो बिंदु केंद्रित हैं – यौनिक पवित्रता और पतिव्रता। हम देखतें हैं कि औपनिवेशिक विकृतिकारण से अपनी महिलाओं को बचाने के लिए अपने इतिहास से ऐसे चरित्रों को महिमामंडित किया गया है जो यौनिक पवित्रता और पतिव्रता की प्रतीक हैं। यह एक तरह से महिला को देवी बनाने की प्रक्रिया थी।”