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 मृत्यु के कारणों के चिकित्सकीय प्रमाणन के लिए आयोजित किया गया प्रशिक्षण कार्यक्रम

लखनऊ। जनगणना कार्य निदेशालय, उत्तर प्रदेश ने टाटा मेमोरियल सेंटर एवं कैंसर इंस्टीट्यूट, मुम्बई के सहयोग से 23 मई को  निदेशालय के लखनऊ स्थित सभागार में मृत्यु के कारणों के चिकित्सकीय प्रमाणन (MCCD) के सम्बन्ध में राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज से सम्बन्धित विशेषज्ञ चिकित्सकों और कर्मचारियों ने प्रतिभाग किया।

प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन  निदेशक एवं संयुक्त महारजिस्ट्रार (सीआरएस) शीतल वर्मा, अपर निदेशक, चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण श्रीमती नीलम, अपर निदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा डॉ. सरोज कुमारी और टाटा कैंसर इंस्टिट्यूट  मुम्बई के डॉ. आकाश आनन्द ने किया। प्रशिक्षण सत्र में विभिन्न विभागों के शीर्ष अधिकारियों एवं विषय विशेषज्ञों ने उपस्थित प्रतिभागियों को बेहतर जानकारी एवं उत्कृष्ट मार्गदर्शन प्रदान किया एवं मानक सुधार हेतु नियमों एवं प्रक्रियाओं के बारे में अवगत कराया।

निदेशक, जनगणना एवं संयुक्त महारजिस्ट्रार (नागरिक पंजीकरण प्रणाली)  शीतल वर्मा ने कहा कि “ मृत्यु के कारणों का चिकित्सकीय प्रमाणन जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 (यथा संशोधित 2023) के अन्तर्गत किया जाता है। मृतक का अंतिम उपचार करने वाले डॉक्टर  द्वारा बिना शुल्क लिए मृत्यु के कारण को निर्धारित प्रारूप पर प्रमाणित किया जाना अनिवार्य है एवं इसकी एक प्रति मृतक के परिजन को उपलब्ध कराया जाना है। यह प्रमाणन कार्य विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानक के अनुरूप किया जाता है। उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेजों के प्रभारी जन्म-मृत्यु पंजीकरण हेतु रजिस्ट्रार के रूप में अधिसूचित हैं। वस्तुत: मृत्यु के कारणों का चिकित्सकीय प्रमाणन भी मृत्यु पंजीकरण की प्रकिया का हिस्सा है। वर्तमान में जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण का समस्त कार्य गृह मंत्रालय द्वारा संचालित सी.आर.एस. पोर्टल से ही किया जा रहा है। मृत्यु पंजीकरण के समय ही मृत्यु के कारण की डेटा एंट्री भी ऑनलाइन पोर्टल पर कर दी जाती है। पोर्टल से प्राप्त आँकड़ों के आधार पर भारत के महारजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा मृत्यु के कारणों के सम्बन्ध में राष्ट्रीय स्तर पर वार्षिक रिपोर्ट जारी की जाती है। इस सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित किए जाने का प्रयास है। “

कार्यक्रम में उपस्थित अपर निदेशक, चिकित्सा शिक्षा सुश्री नीलम ने बताया कि ‘’ प्रदेश के समस्त मेडिकल कॉलेज  मृत्यु के कारणों के चिकित्सकीय प्रमाणन (MCCD) को शत प्रतिशत कार्यान्वित करने हेतु प्रतिबद्ध हैं। इसके सफल कार्यान्वयन से घातक बीमारियों से सम्बन्धित विश्वसनीय एवं शुद्ध आकड़ें भावी योजना एवं नीति निर्माण हेतु सरकार को उपलब्ध होगें।‘’

अपर निदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवायें डॉ. सरोज कुमारी ने कहा कि ‘’ मृत्यु के कारणों के आंकड़ों की गुणवत्ता में सुधार लाने एवं मृत्यु के कारणों के सही प्रमाणन हेतु सम्बन्धित डॉक्टरों हेतु आयोजित यह प्रशिक्षण कार्यक्रम निःसन्देह अत्यन्त सार्थक एवं उपयोगी सिद्ध होगा।‘’

डॉ. आकाश आनन्द ने बताया कि ‘’इस प्रशिक्षण से भारत सरकार के अपेक्षानुरूप प्रशिक्षित डॉक्टरों की क्षमता एवं कार्यदक्षता में अभिवृद्धि होगी एवं मेडिकल कॉलेज एक उत्कृष्ट संसाधन केंद्र के रूप में राज्य के शेष चिकित्सालयों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा ।‘’

प्रशिक्षण में सम्मिलित चिकित्सकों एवं अन्य सम्बद्ध कर्मचारियों को बीमारियों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण (ICD-10), मानक कोडिंग की प्रक्रिया, केस स्टडी के माध्यम से निर्धारित प्रारूप पर मृत्यु के कारणों को प्रमाणित करते हुए उसकी ऑनलाइन प्रविष्टि, प्रमाणित चिकित्सकीय अभिलेखों एवं सांख्यिकी सूचनाओं के बेहतर प्रबन्धन एवं प्रेषण पर गहन चर्चा एवं प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

 प्रशिक्षण सत्र में टाटा कैंसर अस्पताल के डॉ निशांत, डॉ रुचि पाठक एवं डॉ तनुजा ने सभी बिंदुओं पर विस्तृत जानकारी प्रदान की एवं फ़ीड किए गए सम्बन्धित डेटा की त्रुटियों पर अनुभव साझा किया। प्रशिक्षण के दौरान निदेशालय की ओर से उप निदेशक डॉ. गौरव पाण्डेय,  सहायक निदेशक कुमार सत्यम  ने जन्म-मृत्यु पंजीकरण के सही तरीकों पर व्याख्यान दिया।

कार्यक्रम का संचालन उप निदेशक डॉ. गौरव पाण्डेय ने किया।  धन्यवाद ज्ञापन संयुक्त निदेशक ए. के. राय ने किया। प्रशिक्षण में उप महारजिस्ट्रार मनीष कुमार चौधरी,  उप निदेशक अरुण कुमार,  उप निदेशक दिव्या जैन,  हेमंत वर्मा,  सहायक निदेशक कुमार सत्यम,  अजय सिंह भारती,  शैलेश कुमार,  शशिकांत शुक्ल, हिमानी,  सुरम्या भारतीय, सुश्री सुदेशना आदि उपस्थित रहे।

एमसीसीडी क्या है ?

जन्म और मृत्यु पंजीकरण (आरबीडी) अधिनियम, 1969 (यथा संशोधित 2023) के 10(2) और 10(3) के अंतर्गत उपचार करने वाले चिकित्सक द्वारा प्रत्येक मृत्यु के कारण को निर्धारित प्रारूप पर प्रमाणित किया जाना अनिवार्य है तथा उसकी एक प्रति बिना शुल्क लिए मृतक के परिजन को उपलब्ध कराया जाना है। इस योजना का उद्देश्य मृत्यु के कारणों पर शुद्ध एवं विश्वसनीय डेटाबेस उपलब्ध कराना है ताकि बीमारियों के व्यापक रोकथाम एवं उपचार हेतु योजनायें बनाई बनायी जा सकें एवं मृतक के परिजनों को बीमा, वित्तीय अनुदान एवं राहत आदि दावों का लाभ मिल सके।

इसके अंतर्गत संस्थागत मृत्यु के सन्दर्भ में संबंधित सूचना को अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा निर्धारित प्रारूप (फॉर्म नंबर 4) पर भरा जाना अनिवार्य है तथा गैर-संस्थागत मृत्यु के लिए एक अलग फॉर्म- 4A निर्धारित किया गया है, जिस पर उपचार करने वाले चिकित्सकों/डॉक्टरों द्वारा सूचना भरी जाती है। यह आँकड़े योजनाकारों, प्रशासकों और चिकित्सा पेशेवरों के लिए अत्यन्त आवश्यक हैं। यह कार्यक्रम विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा विकसित मृत्यु के कारण के अंतरराष्ट्रीय वर्गीकरण और चिकित्सा प्रमाणीकरण के अनुरूप लागू है। एमसीसीडी का अनुपालन न करने की स्थिति में धारा 23 के तहत दण्ड का प्रावधान लागू है।

 सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 के संक्रमण के दौरान मृतकों के परिजनों को मृत्यु के कारण के प्रपत्र की प्रति उपलब्ध कराने का आदेश दिया। इससे पहले अधिनियम में मृत्यु के कारण के प्रपत्र का एक भाग परिजनों को देने का प्रावधान था, परन्तु इस भाग में मृत्यु का कारण नहीं लिखा होता था। इस सम्बन्ध में लागू किए गए नवीन संशोधित अधिनियम, 2023 के अनुसार मृत्यु के कारण के विधिवत भरे हुए फॉर्म की एक प्रति मृतक के निकटतम परिजन को अंतिम उपचार करने वाले चिकित्सक के द्वारा निःशुल्क प्रदान की जाएगी।