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प्रियंका गांधी ने शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों और कृषि स्नातकों से बातचीत की

लखनऊ। कांग्रेस की महासचिव एवं उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी ने 2016 के 12460 शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों और उप्र कृषि विश्वविद्यालयों के स्नातक युवाओं से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बात की। बातचीत के बाद उन्होंने कहा कि यूपी में बेरोजगारी की स्थिति व प्रताड़ना भयावह है।

उन्होंने कहा कि पिछले दो दिनों में मैंने बेरोजगार युवाओं के दो समूहों से बात की। बेरोजगारी की स्थिति व प्रताड़ना भयावह है। 12460 शिक्षक भर्ती शून्य जनपद में युवा परीक्षा पास कर चुके हैं लेकिन उन्हें भर्ती नहीं मिली है। कृषि प्राविधिक भर्ती में युवा परीक्षा दे चुके हैं और डेढ़ साल से रिजल्ट नहीं आया है। तमाम युवा अवसाद का शिकार हैं। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। बहुत ही परेशान करने वाला मंजर है।
प्रियंका गांधी ने कहा कि अफसोस कि सरकार के जिम्मेदार लोगों ने इनकी बातें अभी तक नहीं सुनी हैं। ऐसी दर्जनों भर्तियों के युवा सरकारी ऑफिसों, कोर्ट व मंत्रियों के दफ्तरों का चक्कर काट रहे हैं लेकिन कोई जवाब नहीं मिल रहा है। आखिर ये नौकरी तो उनका हक है तो इतना टालमटोल करने का रवैया क्यों ? इन युवाओं की बात सुनना जरूरी है। इनकी दर्द की कहानियां सामने लाना जरूरी है और इन सबकी मांगों का समर्थन करना जरूरी है।

वर्ष 2016 में 12460 शिक्षक भर्ती में शून्य जनपद के अभ्यर्थी अबतक नियुक्ति से वंचित हैं। इस शिक्षक भर्ती विज्ञापन में 51 जिलों में पद थे लेकिन 24 जिलों में पद शून्य थे। विगत 3 साल से शून्य जनपद वाले अभ्यर्थी कोर्ट- कचहरी के चक्कर काट रहे हैं। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये एक महिला अभ्यर्थी ने प्रियंका गांधी से कहा कि जब 2016 में उन्होंने परीक्षा दी थी, चयन के बाद बहुत खुश थीं लेकिन आज तक नियुक्ति नहीं हुई। उनके पास दो छोटे छोटे जुड़वे बच्चे हैं, उनकी चिंता रहती है। वे नौकरी न मिलने पर लगभग दो साल तक अवसाद में थीं। कई दिनों तक वे सोफे पर पड़ी रहती थीं, उनके बच्चे भूखे प्यासे रहने को मजबूर थे। अपनी बातों को रखते हुए उन्होंने कहा कि अब घर की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। अपने बच्चों पर 10 रुपया खर्च करने के लिए उन्हें 10 बार सोचना पड़ता है।

एक अन्य अभ्यर्थी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि बड़ी ही मेहनत से उसने पढ़ाई की है। सोचा था कि परिवार वालों की मदद कर पाऊंगा लेकिन तीन साल से धक्के खा रहा हूँ। बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने का काम शुरू किया था अब कोरोना काल में वह भी बंद है। घर का एक सदस्य प्राइवेट नौकरी करता है लेकिन अब उनकी भी नौकरी छूट चुकी है। घर की स्थिति यह है कि अब शाम-सुबह के खाने की चिंता होने लगी है।

दो अन्य अभ्यर्थियों ने अपना दर्द साझा करते हुए प्रियंका गांधी से कहा कि नौकरी न मिलने से उनकी शादी टूट गयी और वे अब सामाजिक उपहास के पात्र बन गए हैं। यह कहते हुए एक अभ्यर्थी ने भावुक होते हुए कहा कि आखिर हमारी गलती क्या है ? हम योग्य हैं। परीक्षा में बेहतर नम्बर लाये हैं लेकिन सरकार रोज रोज अपना नियम बदलती है।

प्रियंका गांधी ने अभ्यर्थियों से कहा कि वे हर सम्भव मदद करेंगी। यह हमारे लिए राजनीतिक मुद्दा नहीं बल्कि मानवीय संवेदनाओं का मसला है। यह न्याय का सवाल है।

कृषि विश्वविद्यालयों के कृषि स्नातक युवाओं के समूह से बातचीत में कृषि स्नातकों ने कहा कि कृषि स्नातक छात्र और छात्राएं मजदूरी करने को बाध्य हो गए हैं। भाजपा सरकार में कोई कृषि विभाग की भर्ती नहीं आ रही है जबकि सरकार किसानों की आय दोगुना करने की बात करती है। एग्रीकल्चर असिस्टेंट(कृषि प्राविधिक) की भर्ती परीक्षा का परिणाम डेढ़ साल से रुका हुआ है।  कृषि विभाग के 75 फीसदी पद खाली हैं। लेकिन सरकार कोई भर्ती नहीं ला रही है। कांग्रेस सरकार द्वारा कृषि स्नातक युवाओं को ऋण देने की योजना को भी युवा विरोधी सरकार ने बंद कर दिया है।

प्रियंका गांधी ने कहा कि 50,000 से अधिक कृषि स्नातक सरकार की युवा विरोधी नीतियों के शिकार हुए हैं। यूपी में युवाओं का भविष्य सरकार ने अंधकारमय कर दिया है। ऐसा लगता है कि सरकार युवाओं के प्रति गैर जिम्मेदार है। प्रियंका गांधी से संवाद में आचार्य नरेन्द्रदेव कृषि विवि, चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय, सरदार पटेल कृषि विवि मेरठ, इलाहाबाद कृषि विवि के स्नातक युवाओं ने हिस्सा लिया।