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कठिन ड्यूटी कर रहे हैं लैब टेक्नीशियन, पीपीई किट में 6 से 8 घंटे भूखे-प्यासे लेते हैं कोविड-19 के नमूने

देवरिया। महीनों अपने परिवार से दूर रहना, घंटों पसीने में नहाए रहना, दम घोंटू पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्युपमेंट्स (पीपीई) किट में ड्यूटी करना, खुद को इंफेक्शन से बचाना और कोरोना के खतरे से जीतने के इरादे से लड़ना। यह जिले के कोरोना जांच केंद्रों पर कोरोना जाँच के लिए नमूने ले रहे हर एक लैब टेक्नीशियन (एलटी) की कहानी है। कोविड-19 के विरुद्ध संघर्ष कर रहे चिकित्सा विभाग में लैब टेक्नीशियन नींव की ईंट साबित हो रहे हैं। भीषण गर्मी में पीपीई किट पहनकर लैब टेक्नीशियन अपने फर्ज को बखूबी निभा रहे हैं।

कोविड की जांच कर रहे एलटी विषम परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। यह कोरोना योद्धा 6 से 8 घंटे पीपीई में ही रहते हैं। एयर टाइट पीपीई किट पहनकर कई घंटे भूख-प्यास के साथ रहना पड़ता है। इस दौरान वह वे न तो पानी पी सकते हैं और न ही बाथरूम जा सकते हैं। यह कितना मुश्किल है और इनका योगदान कितना महत्वपूर्ण है, जो कोरोना की लड़ाई की रणनीति में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में सैंपल कलेक्शन कक्ष बना हुआ है। यहां एंटीजन और ट्रूनॉट और आरटीपीसीआर के 100 से अधिक नमूने रोजाना लिए जाते हैं। यहाँ तैनात लैब टेक्नीशियन रवि प्रताप सिंह बताते हैं कि सैंपलिंग करते समय खाने-पीने का भी समय नहीं मिल पाता। कई-कई घंटे पानी तक नहीं पीते। पीपीई किट के अंदर हवा पास नहीं होने से अंदर काफी गर्मी व उमस महसूस होती है। पूरा शरीर पसीने से तरबतर हो जाता है। शरीर में पानी की कमी होने से कई बार डिहाइड्रेशन की समस्या भी हो चुकी है।

सीएचसी पथरदेवा जांच केंद्र पर तैनात एलटी सुशील मिश्रा का कहना है कि कोरोना संकट के दौर में वह अपने कर्तव्य को निभा रहे हैं। पीपीई किट को पूरी सावधानी से उतारना पड़ता है क्योंकि सैंपल लेते समय पीपीई किट के बाहर की परत पर वायरस के संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है। जाने अनजाने में पीपीई किट उतारते समय यदि अंदर कपड़ों से किट का बाहरी भाग संपर्क में आ जाए तो संक्रमित होने के खतरा अधिक रहता है। साथ ही उतारने के बाद किट को सावधानी से नष्ट भी करना होता है।

मोबाईल टीम के साथ कोविड सैंपलिंग कार्य में लगे एलटी लोरिक यादव का कहना है उन्हें कई बार हॉटस्पॉट और कंटेनमेंट क्षेत्र में भी जाना पड़ा। मरीज का पता लगाने के लिए कई लोगों से बातचीत भी करनी पड़ती है। यह बेहद जिम्मेदारी वाला कार्य है और वह इसे बखूबी निभा भी रहे हैं। हालांकि, सुरक्षा के मद्देनजर जब वह घर जाते हैं, तो खुद को अलग कमरे में क्वारंटीन कर लेते हैं। वह परिवार के सदस्यों से ज्यादा बात भी नहीं करते हैं।

सावधानी के साथ कर रहे सराहनीय कार्य

सीएमओ डॉ. आलोक पांडेय का कहना है कि जिले में जिला अस्पताल, सीतापुर अस्पताल, सभी सीएचसी, पीएचसी सहित 34 कोरोना जांच केंद्र बनाये गए हैं। इसके अलावा चार मेडिकल मोबाईल यूनिट टीम भी कोरोना सैम्पलिंग में लगाई गई है। सभी केंद्रों पर नमूने लेने के लिए एलटी तैनात किये गए हैं जो निरन्तर कोरोना से लड़ाई में अहम् भूमिका निभा रहे हैं, जिसकी जितनी सराहना की जाये कम है।