आंदोलन से दबाव में आए प्रशासन ने माले जिला पंचायत सदस्य के घर से 36 घंटे बाद नजरबंदी हटाई

लखनऊ। भाकपा माले ने सीतापुर के पार्टी जिला सचिव एवं जिला पंचायत सदस्य अर्जुन लाल के खिलाफ केस दर्ज कर उन्हें नजरबंद करने के खिलाफ आज पूरे प्रदेश में प्रदर्शन किया। पार्टी ने 30 जून को रिखीपुरवा गांव से हरगांव तक छह किलोमीटर लंबा ‘लोकतंत्र व संविधान बचाओ’ मार्च निकालने की घोषणा की है।

इस मुद्दे पर बढ़ते जनआंदोलन से प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन दबाव में आ गया और 36 घंटे बाद कामरेड अर्जुन लाल के घर से नजरबंदी हटा ली गई। नज़रबनाड़ी हटाने के बावजूद अर्जुन लाल का अनिश्चित कालीन धरना जारी है।

भाकपा माले ने राज्यपाल और राज्य निर्वाचन आयुक्त को ज्ञापन भेजकर पूरी घटना से अवगत कराते हुए तत्काल फर्जी केस वापस लेने की मांग की है।

जिला पंचायत सदस्य अर्जुन लाल अध्यक्ष पद की निर्दल प्रत्याशी प्रीति सिंह रावत के प्रस्तावक हैं। रविवार की रात  भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में दबाव बनाने के लिए हरगांव पुलिस ने जमीन के वर्षों पुराने एक मामले में मुकदमा दर्ज कर दिया। यह केस लेखपाल की तहरीर पर दर्ज किया गया। एफआईआर में उन्हें सीलिंग की जमीन पर अवैध कब्जा करने का आरोप लगाया गया है। इस केस में कामरेड अर्जुन लाल, उनके परिवार के सभी सदस्यों सहित गांव के 30 लोगों को आरोपी बनाया गया है।

मऊ में प्रदर्शन करते भाकपा माले कार्यकर्ता

 

अर्जुन लाल के घर पर पुलिस तैनात कर उन्हें नजरबंद कर दिया गया है। इसके खिलाफ अर्जुन लाल ने आज सुबह आठ बजे से अपने गांव रिखीपुरवा (हरगांव, सीतापुर) में धरना शुरू कर दिया है। उनके साथ कई समर्थक भी धरने पर बैठे हैं।

उनकी मांग है कि  दर्ज फर्जी मुकदमा (सं0 0375/21, थाना हरगांव) वापस हो, उनकी नजरबंदी खत्म हो, जिला पंचायत अध्यक्ष की निर्दलीय प्रत्याशी के प्रस्तावक से अपना नाम वापस लेने और भाजपा प्रत्याशी को वोट देने के लिए डाले जा रहे अवैध दबाव पर रोक लगे।

इस मांग को लेकर आज भाकपा माले कार्यकर्ताओं ने कई जिलों में प्रदर्शन किए। ये प्रदर्शन मऊ, सीतापुर, बलिया, गाजीपुर, मथुरा आदि स्थानों पर हुए।

अर्जुन लाल के घर बैठी पुलिस

भाकपा माले के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने बताया कि जिस जमीन पर कब्जे के लिए पुलिस ने अर्जुन लाल सहित 30 लोगों पर सार्वजनिक संपत्ति नुकसान अधिनियम 1984 की धारा 2 और 3 के तहत केस दर्ज किया है, उस  जमीन पर मालिकाना हक़ पाने के लिए भूमि प्रबंधन समित ग्राम पंचायत पिपरा घूरी को अर्जी दी गई थी जिसे तत्कालीन ग्राम प्रधान ने सत्यापन किया। उसके बाद उपजिला अधिकारी सीतापुर में केस दायर किया जिसमें एसडीएम सदर ने नोटिस जारी किया। जिसे लेकर हाईकोर्ट गए। हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन व रेवन्यू विभाग से रिपोर्ट मांगी। लेखपाल, तहसीलदार जिला प्रशासन ने मौके की जांच कराकर सभी तीस लोगो को भूमि हीन और पात्र होने का सत्यापन हाईकोर्ट को भेजा जो उपरोक्त कागजों में वर्णित है। हाई कोर्ट ने पात्रों को कंसीव करते हुए आवंटन  प्रक्रिया में शामिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट और जिला प्रशासन, के ही कागजों के अनुसार पात्र हैं तो अवैध कब्जा, भूमाफिया, कैसे हो सकते हैं ?

माले सचिव ने कहा कि यह कार्रवाई इसलिए की जा रही है कि अर्जुन लाल, प्रीती सिंह रावत के प्रस्तावक क्यों बने। प्रसासन चाहता है कि वे प्रस्ताव वापस कर लें  जिससे प्रीती रावत का पर्चा खारिज हो जाय और बीजेपी का प्रत्याशी निर्विरोध जीत जाय। यह लोकतंत्र का सीधे गला घोंटने का काम है जिसके खिलफ लड़ाई तेज होगी।