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एक महीने बाद राप्ती नदी लाल निशान तक वापस आयी, अभी भी 267 गांव बाढ़ से प्रभावित

डीएम ने 20 सितम्बर तक फसल क्षति आकलन की रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया

गोरखपुर। राप्ती नदी का जलस्तर कम होते-होते आज शाम चार बजे ठीक खतरे के निशान तक पहुंच गया। इसके पहले करीब एक महीने तक राप्ती नदी खतरे के निशान से उपर बह रही थी। रोहिन नदी भी खतरे के निशान से 3.41 मीटर नीचे है। अलबत्ता घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ने लगा है।

सरयू घाघरा नदी का जलस्तर आज अयोध्या में खतरे के निशान 92.73 मीटर से कुछ ही कम 92.50 पर था जबकि तुर्तीपार में यह खतरे के निशान 64.01 मीटर से उपर 64.18 तक पहुंच गया था।

जिला प्रशासन के अनुसार नदियों का जलस्तर कम होने से बाढ़ प्रभावित गांवों की संख्या अब 267 रह गयी है।

जिले में बाढ़ से 391 गांव, 3,12,605 आबादी और 56240 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुए हैं।

बाढ़ का पानी उतरने के बावजूद बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। तमाम गांवों में लोगों की आवाजाही अब भी नावों से ही हो रही है। लोगों की शिकायत है कि राहत खाद्यान्न किट का ठीक ढंग से वितरण नहीं हो रहा है। बाढ़ से प्रभावित गांव में कुछ लोगों को राहत खाद्यान्न किट दिया गया है तो बहुत से लोगों का नहीं दिया गया है।

जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, गोरखपुर के अनुसार जिले में अब तक 98642 राहत खाद्यान्न किट, तिरपाल और जेरीकेन का वितरण किया गया है। कम्युनिटी किचेन के माध्यम से 10,500 भोजन पैकेट दिए गए हैं। इसके अलावा 26000 लीटर मिट्टी का तेल वितरित किया गया है।

उधर बाढ़ प्रभावित गांवों में फसल नुकसान का आकलन करने के लिए डीएम ने अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व की अध्यक्षता में एक कमेटी बनायी है। इस कमेटी में उप निदेशक कृषि सचिव हैं। इसके अलावा सभी उपजिलाधिकारी, जिला कृषि अधिकारी, जिला उद्यान अधिकारी, लीड बैंक अधिकारी, एआईसी आफ इंडिया के समन्वयक को कमेटी का सदस्य बनाया गया है। इस कमेटी को 20 सितम्बर तक तहसीलवार और गांववार फसल क्षति का आकलन कर रिपोर्ट देने को कहा गया है।