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मैत्रेय प्रोजेक्ट भूमि बचाओ आंदोलन के अध्यक्ष गोवर्धन गोंड पर चाकू से हमला

 जांच को अनशन स्थल पहुंचे पुलिस के आला अधिकारी, किसानों में आक्रोश, एक हिरासत में
 
कुशीनगर , 24 जून. मैत्रेय परियोजना हेतु अधिग्रहित जमीन को मुक्त कराने के लिए सिसवा कुटी पर 4002 दिन से धरना दे रहे भूमि बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष गोवर्धन गोंड को शनिवार की रात सोते समय किसी ने चाकू मार दिया। मौके पर पहुंचे लोगों ने डायल 100 पुलिस को घटना की जानकारी दी। पुलिस उन्हें इलाज के लिए कसया सीएचसी ले गयी, जहां से डाक्टरों ने जिला अस्पताल व उसके बाद मेडिकल कालेज रेफर कर दिया।
मैत्रेय परियोजना के लिए अधिग्रहित किसानों की भूमि को अधिग्रहण मुक्त कराने के लिए गोवर्धन गोड़ अपने गांव की कुटी पर धरना शुरू किए। धरने के 4002वीं रात में किसी ने उन्हें चाकू मार दिया। घटना की जानकारी होने पर डायल 100 पुलिस व कसया एसओ शैलेश कुमार सिंह मय फ़ोर्स मौके पर पहुंचे। रविवार को घटना स्थल पर किसानों का हुजूम एकत्र होने लगा तो प्रशासन भी सकते में आ गया।
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घटना स्थल पर जुटी भीड़
मौके पर पहुंचे सीओ ओमपाल सिंह व एसओ ने घटना का जायजा लिया तथा घायल श्री गोंड के पुत्र की तहरीर पर पुलिस ने एक व्यक्ति को हिरासत में लिया। हिरासत में लिए गए व्यक्ति से पुलिस पूछताछ कर रही है। घटना को लेकर मैत्रेय परियोजना प्रभावित किसानों में काफी आक्रोश देखा गया। घटना को कुछ किसानों ने आंदोलन को दबाने की साजिश बताया है।
गोवर्धन गोंड के बेटे मनमोहन ने दो नामजद और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ तहरीर दी है. तहरीर के अनुसार घटना को पुरानी रंजिश में अंजाम दिया गया. हमला रात दो बजे किया गया. तहरीर में जिन दो लोगों को नामजद किया गया है वे कसया नगर पालिका के वार्ड नंबर 22 निवासी सुमंत सिंह और रामध्यान हैं.
दो दशक से किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं गोवर्धन गोंड

 दो दशक से कुशीनगर की भूमि पर किसान हित की लड़ाई लड़ रहे गरीब परिवार में जन्मे गोवर्धन प्रसाद गोंड की पृष्ठ भूमि संघर्षों की रही है। मैत्रेय परियोजना से प्रभावित किसानों के आवाज बने गोवर्धन के साथ किसानों का हुजूम है।

स्कूली दौर में बुद्ध इंटर कालेज और बुद्धपीजी कालेज से छात्र हितों के लिए आवाज उठाने के साथ 1980 में देवरिया में आमरण अनशन कर गोवर्धन ने गोंड जाति को अनुसूचित जाति की लम्बी लड़ाई लड़ी। उन्होंने इसके लिए प्रशासनिक और उच्च न्यायालय इलाहबाद तक गोंडों के अधिकार को लेकर संघर्ष किया। संघर्ष के दौर में वर्ष 2001 में  बामियान बुद्ध की प्रतिमा आतंकवादियों द्वारा तोड़े जाने से दुःखी तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तर प्रदेश में दुनिया की सबसे ऊंची बुद्ध प्रतिमा स्थापना की घोषणा की और यहीं से कुशीनगर के सात गांवों के किसानों की मुश्किले शुरू हुईं, और यहीं से भूमि अधिग्रहण के खिलाफ कुशीनगर की धरती पर किसान आंदोलन उपजा।
भूमि बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष के रूप में गोवर्धन गोंड ने  भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के प्रकाशन, धाराओं के प्रकाशन, भौतिक सत्यापन, जमीन को लेकर सरकार व प्रशासन के खिलाफ सड़क से विधानसभा तक धरना-प्रदर्शन जारी रखा। वर्ष 2007 को 16 सितम्बर से क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठ गए। 4002 दिनों से कसया-देवरिया मार्ग पर सिसवा-महंथ गोवर्धन धरने पर बैठे हैं।
गोवर्धन गोंड
गोवर्धन गोंड
आंदोलन के चलते ही सामाजिक कार्यकत्री मेधा पाटेकर एवं मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त संदीप पांडेय ने राष्ट्रीय आंदोलनों के संगठन का राष्ट्रीय सम्मेलन भी सिसवा महंथ में कराया जिसके प्रभाव से स्थानीय विधायक व मंत्री रहे ब्रह्माशंकर त्रिपाठी ने 70 सदस्यीय किसान प्रतिनिधियों से मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव से वार्ता कराई। सरकार बदलने के साथ मैत्रेय आंदोलन में उतार चढ़ाव भी काफी रहा।
आंदोलन के प्रभाव से वर्ष 2012 में सपा सरकार के निर्देश पर जिलाधिकारी रहे रिग्जियान सैम्फिल ने किसान नेताओं से वार्ताकर जमीन को दो चरण में बांटकर करार एक्ट 84 के तहत प्रथम फेज 273 एकड़ के भूमिधरों की 193 एकड़ जमीन अधिग्रहित की. वर्ष 2013 में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और बौद्ध धर्म गुरु लामा जोपा रिनपोछे ने प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया लेकिन अभी तक कोई निर्माण नहीं हुआ है. गोवर्धन गोंड किसानों की जमीन वापस करने की मांग को लेकर आन्दोलन जारी रखे हुए हैं.

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