गोरखपुर। केंद्र पुरोनिर्धारित मदरसा (एसपीक्यईएम) आधुनिकीकरण योजना के तहत जिले के 168 मदरसों में तैनात 504 शिक्षकों का 2 से 3 साल का मानदेय बकाया है। कई माह से राज्यांश भी नहीं मिला है। शब-ए-बारात, रमजान व ईद में भी न केंद्रांश मिला न राज्यांश। सरकार के रवैये के विरोध में शिक्षक बांह पर काली पट्टी बांधकर शिक्षण कार्य कर रहे हैं।
मानदेय न मिलने के विरोध में प्रदेश भर के शिक्षक 23 जुलाई को लखनऊ के इको गार्डन में धरना देंगे। जनपद से भी बड़ी संख्या में शिक्षक लखनऊ धरने में शामिल होने जायेंगे।
शिक्षक मोहम्मद आजम ने बताया कि शिक्षकों का दो व तीन साल का मानदेय केंद्र सरकार ने जारी नहीं किया है। कई माह से राज्यांश भी नहीं मिला है। जिंदगी चलाना बहुत मुश्किल हो गया है। मदरसों में आधुनिक शिक्षा की वकालत करने वाली केंद्र व प्रदेश सरकार के कथनी और करनी में काफी अंतर देखने को मिल रहा हैं। दोनों सरकारें मदरसों में आधुनिकीकरण शिक्षा को बढ़ावा देने की बात तो करती हैं लेकिन मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों को मानदेय देने में हीलाहवाली कर रही है।
शिक्षिक गौसिया सुम्बुल ने बताया कि आधुनिकीकरण शिक्षकों पर मदरसों में हिन्दी, विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान, अंग्रेजी पढ़ाने का दारोमदार हैं। शिक्षक योगी दरबार में भी गुहार लगा चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। रोजी-रोटी, चिकित्सा समेत तमाम दुश्वारियों से दो चार होना पड़ रहा है।
अखिल भारतीय मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक बदरे आलम अंसारी ने बताया कि विभिन्न मांगों को लेकर शिक्षक लखनऊ में धरना देने जा रहे हैं। समय से मानदेय नहीं मिलने से मदरसा शिक्षकों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है। धरने तक शिक्षक काली पट्टी बांधकर ही शिक्षण कार्य करेंगे। जिले से 150-200 के करीब शिक्षक धरने में शामिल होंगे।
शिक्षकों की मांग
मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों का बकाया मानदेय जल्द दिया जाए। शिक्षकों को स्थायी करने के साथ ही केंद्र सरकार के बराबर उप्र सरकार द्वारा अंशदान दिया जाए। प्रतिमाह मानदेय दिए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
इस शिक्षक की तो बेहद दुखद कहानी
जमुनहिया बाग गोरखनाथ के रहने वाले आसिफ महमूद खान ‘एम फातिमा गल्स स्कूल नकहा नं. 1’ में आधुनिकीकरण शिक्षक है। इनका तीन साल का बच्चा थैलीसीमिया बीमारी से पीड़ित है। दो माह में तीन बार उसे खून चढ़ाया जाता है। इनके बेटे को को पैदाइश के पांचवें माह में मेजर थैलीसीमिया जैसी बीमारी ने चपेट में ले लिया।
उन्होंने बताया कि दो साल से केंद्र सरकार ने मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों का मानदेय नहीं भेजा है। एक साल का मानदेय लैप्स भी हो चुका है। ऐसे में बच्चे का इलाज कराने में काफी दुश्वारी हो रही है। बच्चे को दो माह में तीन बार खून चढ़ता है। हर बार ढ़ाई से तीन हजार रुपया खर्च होता है। प्रदेश सरकार द्वारा मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों को दिया जाने वाला अंशदान भी कई माह से नहीं मिला है। ऐसे में इलाज व घर का खर्चा चलाना मुश्किल होता है। वहीं बेटे की बीमारी पर काफी खर्च होता है। काफी कर्जदार हो गया हूं।