तीन साल आठ महीने बाइस दिन बाद खाद लदी बोगी विशाखापत्तनम से बस्ती पहुंची
बोगी के मेमो में रवानगी की तारीख 3 नवंबर 2014 दर्ज है
पूवोत्तर रेलवे की रूटीन जांच में बोगी की मिसिंग का पता चला
गोरखपुर, 29 जुलाई; देश में हवा से बात करने वाली बुलेट ट्रेन चलाने की कवायद चल रही है. ऐसे में जब खाद लदी एक बोगी को विशाखापत्तम के पारादीप से बस्ती की 1326 किमी की दूरी तय करने में 3 साल 8 महीने 22 दिन लग जाये तो रेलवे के सिस्ट्म पर सवाल उठना लाजिम है. इस घटना पर रेलवे के जिम्मेदार अधिकारी भी हतप्रभ हैं। हालांकि इस मिसिंग बोगी का पता भी रेलवे के एफओआईएस सिस्ट्म यानी फ्रेट आपरेशन इन्वेस्टीवेशन सिस्ट्म से चला. इस रेलवे के लखनऊ मंडल के डीसीएम ने इसे खोज निकाला. पता चला कि अलग की गयी बोगी विशाखापत्तनम यार्ड में पड़ी हुई है. 25 जुलाई को इससे खाद मंगाने वाले व्यापारी को इसकी सुपुर्दगी मिल गयी.
कहानी कुछ इस तरह है. पारादीप के इंडियन फास्फेट लिमिटेड आईपीएल से 42 बोगी की डीएपी खाद लदी एक मालगाड़ी बस्ती उप्र के मेसर्स रामचंद्र गुप्ता के लिए 3 नवबंर 2014 को रवाना हुई. रास्ते में इसकी एक बोगी में तकनीकी खराबी पाई गयी. इस बोगी को अलग कर सिक यार्ड में मरम्मत के लिए भेज दिया गया. 41 बोगी की मालगाड़ी अपने समय पर बस्ती पहुंच गयी. खाद उतर भी गयी। व्यापारी ने उस समय एक बोगी नहीं आने की सूचना रेलवे को दे दी. ऐसा व्यापारी का कहना है। जबकि रेलवे के जिम्मेदार कह रहे हैं कि व्यापारी ने इसकी सुधि ही नहीं ली. जिससे सिक यार्ड में गयी बोगी मिस हो गयी.
पूवोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी संजय यादव ने गोरखपुर न्यूज लाइन को बताया कि 19 जुलाई को रूटीन जांच में डीसीएम लखनऊ को इस मिस बोगी संख्या एस ई 107462 का पता चला. इसके बाद विशाखापत्तनम से क्वैरी की गयी. इसके बाद बोगी का पता चला और इसी व्यापारी की गोरखपुर आ रही खाद की रेक में इसे जोड़कर बस्ती पहुंचाया गया. उधर व्यापारी का कहना है काफी अवधि हो जाने के कारण खाद की गुणवत्ता संदिग्ध है कुछ बोरिया फट गयी हैं. बोगी में लदी खाद की कीमत लगभग दस लाख रुपये हैं. व्यापारी का आरोप है कि उसने कई बार रेलवे को पत्र लिखा लेकिन कोई तवज्जो नहीं दी गयी. हालांकि आरोप लगाने के बावजूद व्यापारी ने खाद को रिसीव कर लिया है।