गोरखपुर. पूर्वांचल सेना ने एक अगस्त से ‘ सफाई कर्मचारी अधिकार आंदोलन ’ का आगाज किया. नगर निगम परिसर में सैकड़ों की संख्या में जुटे ठेका सफाईकर्मियों व पूर्वांचल सैनिको ने तीन दिन का कार्य बहिष्कार करते हुए अपनी मांगों को पूरा करने की मांग की. मांग पूरा न होने पर अनिश्चितकालीन कार्य का बहिष्कार की चेतावनी दी गई.
ठेका सफाई कर्मियों ने नगर निगम द्वारा ठेका सफाई कर्मचारियों का पंजीकरण, नगर निगम सफाई कर्मचारियों का सरकार द्वारा निर्धारित वेतन किसी बिचौलियों के माध्यम से ना कर सीधे सफाई कर्मियों के बैंक अकाउंट में भेजने,सफाई कर्मियों को सफाई के दौरान प्रयोग होने वाले सुरक्षा स्वास्थ्य, उपकरणों को पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराने, सफाई कर्मचारियों के स्वास्थ्य की नियमित जांच की व्यवस्था और सफाई कर्मचारियों के लिए नगर निगम में समस्या समाधान, सूचना हेतु स्थल आवंटित करने की मांग की.
आन्दोलन संयोजक नियुक्त किये गए पूर्वांचल सेना के जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र वाल्मीकि ने ज्ञापन लेने पहुंचे प्रशासनिक अधिकारी को ज्ञापन पढ़कर सुनाया और मांगों से अवगत कराया.
आन्दोलन का नेतृत्व कर रहे पूर्वांचल सेना के अध्यक्ष धीरेन्द्र प्रताप ने कहा कि नगर निगम में केवल 700 सफाई कर्मचारी स्थाई नियुक्त हैं, बाकी के लगभग 1700 कर्मचारी पिछले 15-20 वर्षो से ठेके पर काम करते हुए शहर की गंदगी साफ करते हैं. ठेकादार का नियंत्रण होने के कारन इनको न्यूनतम वेतन भी इन्हें पूरा नहीं मिल पाता है. उन्होंने कहा की ठेकेदारों द्वारा सफाई कर्मियों से कम लेने का कोई नियमित समय निर्धारित नहीं है और ना ही जानलेवा गंदे-जहरीली गैस युक्त जगहों, शीशे ,नुकीले धातुओं, बजबजाती नालियों- गटरों आदि’ के बीच काम करने के लिए उपयोग होने वाले ‘मास्क, लॉन्ग बूट, हैंड ग्लब्स, हेलमेट जैसे सुरक्षा उपकण नहीं प्रदान किया जाता है. उन्होंने बताया की कार्य के दौरान यदि किसी सफाई कर्मी के साथ कोई दुर्घटना, बीमारी, इन्फेक्शन इत्यादि हो जाता है तो वह उसके लिए स्वयं जिम्मेदार होता है. ठेकेदार या नगर निगम के द्वारा किसी प्रकार का कोईसहयोग नहीं दिया जाता है जो की सीधे सीधे मजदूर अधिकार , मानव अधिकार का हनन, संविधान की अवमानना और देश की श्रम शक्तिका अपमान है.