बीआरडी मेडिकल कालेज में एनएचएम संविदा कर्मियों का हाल
गोरखपुर। बीआरडी मेडिकल कालेज में नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के तहत कार्य कर रहे संविदा कर्मचारियों और नर्सों को राज्य सरकार के नियमित और संविदा कर्मचारियों के मुकाबले दो से तीन गुना कम वेतन मिल रहा है. बीआरडी मेडिकल कालेज में एक ही तरह का कार्य करने वाले कर्मचारियों और नर्सों के वेतन में इतना भारी अंतर हैरत में डालने वाला है.
वेतन व मानदेय में भारी अंतर से एनएचएम संविदा कर्मी बहुत दुखी हैं और लगातार मुख्यमंत्री से लगायत स्वास्थ्य व चिकित्सा विभाग के अफसरों को ज्ञापन व पत्र दे रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.
बीआरडी मेडिकल कालेज के एपीडेमिक वार्ड नम्बर 12, 100 बेड वाले इंसेफेलाइटिस वार्ड, राष्ट्रीय पोषण मिशन (एनआरसी) , प्रिवेन्टिव मेडिसीन एवं रिहैबिलिटेशन सेंटर (पीएमआर), ट्रामा सेंटर में नेशनल हेल्थ मिशन के तहत 550 से अधिक स्टाफ नर्स तथा तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संविदा पर कार्य कर रहे हैं. इन्हें एनएचएम के तहत वेतन /मानदेय मिलता है.
एपीडेमिक वार्ड नम्बर 12 व 100 बेड वाले इंसेफेलाइटिस वार्ड में 300 नर्स व कर्मचारी कार्य कर रहे हैं. राष्ट्रीय पोषण मिशन (एनआरसी) में 10, प्रिवेन्टिव मेडिसीन एवं रिहैबिलिटेशन सेंटर (पीएमआर) में 11, एसएनसीयू ( न्यू बार्न केयर यूनिट ) में 18, ट्रामा सेंटर में 98 नर्स व कर्मचारी तैनात हैं. इसके अलावा 119 नर्स व कर्मचारी आउटसोर्स पर तैनात किये गए हैं.
वर्षों से कार्य करने के बावजूद इन्हें राज्य सरकार के नियमित व संविदा कर्मचारियों के मुकाबले मामूली वेतन/ मानदेय मिल रहा है. यह वेतन/मानदेय भी नियमित रूप से नहीं मिलता है. वेतन वृृद्धि और भत्ते भी समय से नहीं मिलते.
पीएमआर सेंटर में कार्य कर रहे 11 संविदा कर्मियों को 36 महीने से वेतन नहीं मिला है. इसी तरह ट्रामा सेंटर में कार्य करने वाले एनएचएम संविदा कर्मियों को 10 महीने से वेतन नहीं मिला है. बाल रोग विभाग के तहत वार्ड नम्बर 12 और 100 बेड के इंसेफेलाइटिस वार्ड के एनएचएम कर्मियों को एक वर्ष का एरियर भुगतान भी लम्बित है.
एनएचएम संविदा कर्मी समय से वेतन, मानदेय व भत्ता न मिलने के साथ-साथ राज्य सरकार के नियमित व संविदा कर्मियों के मुकाबले काफी कम वेतन में काम करने को मजबूर हैं. इससे उनमें भारी असंतोष है. एक ही तरह का कार्य करने के बावजूद वेतन/मानदेय व सुविधाओं में भारी अंतर उनके अंदर कुंठा उत्पन्न कर रहा है.
उदाहरण के तौर पर एपीडेमिक वार्ड नम्बर 14 में 62 नर्स व कर्मचारी कार्य करते हैं. यह वार्ड मेडिसीन विभाग के तहत संचालित होता है और यहां पर इंसेफेलाइटिस के वयस्क रोगियों सहित अन्य बीमारियों से ग्रस्त मरीज भर्ती होते हैं. यहां पर कार्य करने वाले 62 नर्सो-कर्मचारियों को राज्य सरकार के संविदा कर्मचारी के समान वेतन दिया जाता है. इस वार्ड में कार्यरत स्टाफ नर्स को 38,000 वेतन /मानदेय मिलता है जबकि तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को क्रमशः 22,500 और 17, 500 रूपया वेतन/ मानदेय मिलता है.
इसी वार्ड के ठीक नीचे एपीडेमिक वार्ड 12 और बगल में 100 बेड का इंसेफेलाइटिस वार्ड संचालित है. ये दोनों वार्ड बाल रोग विभाग संचालित करता है और यहां पर इंसेफेलाइटिस व अन्य बाल रोगी भर्ती होते हैं. यहां पर कार्यरत स्टाफ नर्स तथा तृतीय व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को एनएचएम संविदा के अनुसार वेतन व मानदेय मिलता है. इनका मानदेय/वेतन वार्ड संख्या 14 में कार्यरत स्टाफ नर्स व कर्मचारियों के मुकाबले काफी कम है.
वार्ड नम्बर 14 के स्टाफ नर्स को 38,000 रूपए वेतन के रूप में मिलता है तो वार्ड न 12 और 100 बेड वाले इंसेफेलाइटिस वार्ड की नर्स को सिर्फ 21 हजार मिलते हैं. वार्ड नम्बर 14 के तृतीय श्रेणी कर्मचारी को 22,500 मिलते हैं तो उसी के बराबर काम करने वाले वार्ड नम्बर 12 के तृतीय श्रेणी कर्मचारी को सिर्फ 8,000 रूपए मिलते हैं. यही हाल चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का भी है.
यदि नियमित स्टाफ नर्स व कर्मचारियों के मुकाबले वेतन मानदेय की तुलना करें तो इसमें और भी बड़ा अंतर आ जाता है।
एसएनसीयू ( न्यू बार्न केयर यूनिट ) , एनआरसी, ट्रामा सेंटर और पीएमआर सेंटर में कार्य करने वाले नर्सों व कर्मचारियों को तो सबसे कम वेतन मिल रहा है.
पद नाम | नियमित पद | राज्य सरकार के संविदा कर्मचारी (वार्ड नंबर 14) | एनएचएम संविदा कर्मी (वार्ड नम्बर 12 व 100 बेड इंसेफेलाइटिस वार्ड ) | एसएनसीयू और एनआर सी | ट्रामा सेंटर | पीएमआर | |
1 | सिस्टर इंचार्ज | 46,000 | – | 22,000 | – | – | – |
2 | स्टाफ नर्स | 42,000 | 38,000 | 21,000 | 17,500 | 10,000 | – |
3 | तृतीय श्रेणी कर्मचारी | 25,000 | 22,500 | 8,000 | 12,000 | 8,000 | 16,000 |
4 | चतुर्थ श्रेणी | 21,000 | 17,500 | 6,500 | 6,000 | 3500 | 11,000 |
ऐसा नहीं है कि इस बारे में कोई आवाज नहीं उठायी जा रही है। जब भी बीआरडी मेडिकल कालेज में सीएम, मंत्री और बड़े अफसर आते हैं तो एनएचएम संविदा कर्मी उन्हें ज्ञापन देकर एक समान कार्य के लिए एक समान वेतन के सिद्धान्त के अनुसार इस भेदभाव को खत्म करने की मांग करते हैं लेकिन उनकी आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई.
अभी जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बीआरडी मेडिकल कालेज में 17 जुलाई को आए थे तो एनएचएम के कर्मचारियों और नर्सो ने इस सम्बन्ध में ज्ञापन देकर यह भेदभाव दूर करने की मांग की थी.
बीआरडी में कार्यरत एनएचएम कर्मियों ने एक अगस्त को मुख्यमंत्री को फिर रिमाइंडर भेज कर समान कार्य के लिए समान वेतन दिलाने, संविदा कर्मियों को नियमित करने, राज्य सरकार के संविदा कर्मियों के अनुसार 20 आकस्मिक अवकाश व अन्य सुविधाएं दिलाने, आउटसोर्सिंग के तहत कार्य कर रहे कर्मियों को समायोजित करने, सभी संविदा कर्मियों को सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के अनुसार वेतन मानदेय देने, संविदा कर्मियों को चिकित्सकीय सुविधाएं निश्शुल्क दिलाने, मृतक आश्रितों को योग्यता अनुसार नौकरी देने की मांग की है.