राजेश मणि
बच्चों और महिलाओं की तस्करी , इनका व्यापार, शोषण एवं उत्पीड़न का मामला कोई नई समस्या नही है. आये दिन इन समस्याओं से हम सभी रूबरू होते रहते है. देश में कड़े कानूनी प्राविधान के अभाव में इस घृणित कृत्य को पेशा बना चुके अपराधी पकड़े जाने के बाद भी बच जाते थे परन्तु अब केन्द्र सरकार के द्वारा परित किये गये नये मानव तस्करी (रोकथाम, सुरक्षा और पुनर्वास) बिल 2018 के माध्यम से इस अपराध पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित होने के साथ ही अपराधियों को भी कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी. हम इस नये बिल का स्वागत करते हैं.
मानव तस्करी को रोकने से सम्बंधित नए बिल को 26 जुलाई 2018 को लोकसभा में मंजूरी दी गई है. इस विधेयक का नाम मानव तस्करी (रोकथाम, सुरक्षा और पुनर्वास) बिल 2018 है.
इस बिल में मानव तस्करी को रोकने के लिए बचाव , सुरक्षा के साथ ही पुनर्वास एवं अभियुक्त को कड़ी से कड़ी सजा का प्राविधान किया गया है और ऐसे मामलों का निपटारा तय समय सीमा के अंदर किये जाने का प्राविधान है. इसके साथ ही गंभीर मामलों में आजीवन कारावास की सजा भी दोषी को हो सकती है. साथ ही नए बिल में इस बात का भी प्राविधान है कि पीड़ितों का पुनर्वास जल्द से जल्द किया जाये.
इस बिल में मानव तस्करी के अपराध से निपटने के लिए जिला और राज्य से लेकर केंद्र सरकार के स्तर तक जिम्मेदारी निर्धारित की गई है. केंद्र सरकार के स्तर पर गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला एनआईए (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ) एंटी ट्रैफिकिंग ब्यूरो का भी कार्य करेगी.
बिल में पीड़ितों के पुनर्वास के लिए एक अलग से फंड बनाने का भी प्रावधान है जिसका उपयोग पीड़ित को समाज में फिर से सम्मानित जीवन जीने का अवसर प्रदान करना है. मानव तस्करी के अपराध में दोषी पाए जाने पर नए विधेयक में 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा और एक लाख तक के जुर्माने का प्रावधान है.
वर्तमान बिल में मानव तस्करी को रोकने के पुराने कानून में कमियां थी जिसमें सुधार किये गये है. तमाम शहरों में स्थित गैर कानूनी रेड लाइट एरिया को बंद करने में नए कानून से मदद मिलेगी. साथ ही साथ राष्ट्रीय एंटी-ट्रैफिकिंग ब्यूरो विधेयक तस्करी के मामलों की जांच करने और विधेयक के प्रावधानों को लागू करने के लिए एक राष्ट्रीय एंटी-ट्रैफिकिंग ब्यूरो की स्थापना होगी. ब्यूरो में पुलिस अधिकारी और आवश्यकतानुसार किसी भी अन्य अधिकारी शामिल होंगे जो विधेयक के अनुसार किसी भी अपराध की जांच कर सकता है, इसे दो या दो से अधिक राज्यों द्वारा संदर्भित किया गया है.
ब्यूरो के प्रमुख कार्य में ज्ञात मार्गों की निगरानी, समन्वय स्रोत, पारगमन और गंतव्य बिंदुओं पर निगरानी, प्रवर्तन और निवारक कदमों की सुविधा, कानून प्रवर्तन के बीच समन्वय बनाए रखना एजेंसियां और गैर-सरकारी संगठन और अन्य हितधारकों, और खुफिया साझाकरण के लिए विदेशों में अधिकारियों के साथ अंतरराष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि, और आपसी कानूनी सहायता शामिल हैं.
विधेयक के तहत, राज्य सरकार एक राज्य नोडल अधिकारी नियुक्त करेगा. वह राज्य समिति के निर्देशों के अनुसार, विधेयक के तहत कार्रवाई, राहत और पुनर्वास सेवाएं प्रदान करने का कार्य करेंगे. राज्य सरकार राज्य और जिला स्तर पर एक पुलिस नोडल अधिकारी भी नियुक्त करेगी. जिला में तस्करी से संबंधित सभी मामलों से निपटने के लिए राज्य सरकार प्रत्येक जिले के लिए एंटी-तस्करी पुलिस अधिकारी भी नामित करेगी.
विधेयक में राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर एंटी-तस्करी राहत और पुनर्वास समितियों ( नेशनल एन्टी ट्रेफिकिंग रिलिफ एण्ड रिहैबिलिएशन कमेटी, स्टेट एन्टी ट्रेफिकिंग रिलिफ एण्ड रिहैबिलिएशन कमेटी, डिस्ट्रिक एन्टी ट्रेफिकिंग रिलिफ एण्ड रिहैबिलिएशन कमेटी) की स्थापना का प्रावधान है. ये समितियां पीड़ितों को मुआवजे मुहैया कराने, पीड़ितों के प्रत्यावर्तन और समाज में पीड़ितों के पुनः एकीकरण का कार्य करेगी.
संरक्षण और पुनर्वास विधेयक में केंद्रीय या राज्य सरकार द्वारा संरक्षण गृह स्थापित करने का प्राविधान किये गये है. ये पीड़ितों को आश्रय, भोजन, परामर्श और चिकित्सा सेवाएं प्रदान करेंगे. इसके अलावा, पीड़ितों को दीर्घकालिक पुनर्वास प्रदान करने के लिए केंद्रीय या राज्य सरकार प्रत्येक जिले में पुनर्वास गृह बनाए रखेगी. पीड़ितों का पुनर्वास आरोपी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही या कार्यवाही के नतीजे पर निर्भर नहीं होगा। केंद्र सरकार एक पुनर्वास निधि भी तैयार करेगी, जिसका उपयोग इन संरक्षण और पुनर्वास गृहों को स्थापित करने के लिए किया जाएगा.
विधेयक में प्रत्येक जिले में अदालतों की स्थापना के का प्रावधान है जो एक वर्ष के भीतर ट्रायल पूरा करेंगे.
व्यक्तियों की तस्करी, तस्करी को बढ़ावा देने सहित विभिन्न अपराधों के लिए दंड निर्दिष्ट करता है, पीड़ित की पहचान का खुलासा करना, और बढ़ी हुई तस्करी (जैसे बंधुआ श्रमिकों के लिए तस्करी और भीख मांगना)। उदाहरण के लिए, बढ़ी हुई तस्करी को जीवन कारावास तक 10 साल की सख्त कारावास के साथ दंडनीय किया जाएगा, साथ ही न्यूनतम एक लाख रुपये के जुर्माना भी होगा। इसके अलावा, किसी भी सामग्री का प्रकाशन जो किसी व्यक्ति की तस्करी का कारण बन सकता है, पांच से 10 साल के बीच कारावास और 50,000 रुपये और एक लाख रुपए के बीच जुर्माना के साथ दंडनीय होगा.
पुनर्वास निधि के माध्यम से पिड़ित को शिक्षा, कौशल विकास, स्वास्थ्य देखभाल मनोवैज्ञानिक समर्थन, कानूनी सहायता, सुरक्षित आवास इत्यादि सहित पीड़ित के शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कल्याण के उद्देश्य से किया गया है.
विधेयक में यह उल्लेख है कि राष्ट्रीय एंटी-ट्रैफिकिंग ब्यूरो की स्थापना से उत्पन्न होने वाले वित्तीय निहितार्थ को पहले वर्ष में 10 करोड़ रुपये और अगले दो वर्षों में 20 करोड़ रुपये पुनर्वास के लिए अनुमानित किया गया है। इसे 10 करोड़ रुपये के प्रारंभिक आवंटन किया गया है जिसे आवश्यकता के आधार पर बढ़ाया जायेगा.
मानव तस्करी जैसे जघन्य अपराध को रोकने के लिए यह बिल निश्चित रूप से सहायक होगा बशर्ते जमीन स्तर पर इस बिल के प्राविधान को लागू कराया जा सके.
[author image=”http://gorakhpurnewsline.com/wp-content/uploads/2018/08/rajesh-mani-e1533387491904.jpg” ] राजेश मणि मानव सेवा संस्थान ‘सेवा’ गोरखपुर के निदेशक हैं. मानव सेवा संस्थान ‘सेवा ’ को मानव तस्करी की रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय और यूएन द्वारा सम्मानित किया जा चुका है [/author]
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