गोरखपुर. सरकार के तमाम दावों के बावजूद इंसेफेलाइटिस (जेई/एईएस) से उत्तर प्रदेश खासकार पूर्वांचल में बच्चों की मौत पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। बीआरडी मेडिकल कालेज में इस वर्ष जनवरी से अक्टूबर तक 10 महीने में 268 लोगों की मौत हो गई है।
एक जनवरी से 31 अक्टूबर तक मिले आंकड़े के अनुसार इस अवधि में बीआरडी मेडिकल कालेज में इंसेफेलाइटिस के 948 मरीज भर्ती हुए जिसमें 268 की मौत हो गई। यहां भर्ती होने वाले मरीज गोरखपुर, महराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, मउ, गोंडा, गाजीपुर, बलरामपुर, बलिया, आजमगढ़ के अलावा बिहार और नेपाल के हैं।
गत चार वर्षों के मुकाबले इंसेफेलाइटिस के मरीजों की संख्या तो घटी है लेकिन मृत्यु दर इस वर्ष काफी है। इस वर्ष मृत्यु दर 28.27 फीसदी है जबकि वर्ष 2014 में 28.15, 2015 में 25.33, 2016 में 26.16 और 2017 में 22.69 फीसदी था।
एक जनवरी से 31 अक्टूबर तक बीआरडी मेडिकल कालेज में भर्ती हुए इंसेफेलाइटिस मरीजों के आंकड़ों का विश्लेषण करें तो पता चलता है कि इंसेफेलाइटिस से सबसे अधिक प्रभावित जिला गोरखपुर है। इस वर्ष अभी तक बीआरडी मेडिकल कालेज में रिपोर्ट हुए इंसेफेलाइटिस के 948 केस में अकेले गोरखपुर के 256 केस हैं। यानि कुल मरीजों का 27 फीसदी। गोरखपुर मंडल के चार जिले -गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर और महराजगंज, इंसेफेलाइटिस से सर्वाधिक प्रभावित हैं। बीआरडी मेडिकल कालेज में इन चार जिलों से मरीजों की संख्या 64 फीसदी से अधिक है। इसके अलावा बीआरडी मेडिकल कालेज में बिहार से भी बड़ी संख्या में इंसेफेलाइटिस मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं। अक्टूबर महीने तक बीआरडी मेडिकल कालेज में बिहार से इंसेफेलाइटिस के 101 मरीज भर्ती हुए।